When: The Scientific Secrets of Perfect Timing Hindi Summary

When: The Scientific Secrets of Perfect Timing Hindi Summary And Ebook

By: Daniel H. Pink

When: The Scientific Secrets of Perfect Timing Hindi Summary

---------- About Book ----------

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके जीवन में फिर से चीजें कब ठीक होंगी?

मेरा मतलब है, कि आपको वह जॉब कब मिलेगी जो आप हमेशा से चाहते थे। 

या आप उस इंसान  से शादी कब करेंगे जिससे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हैं?

हम सभी सोचते हैं कि टाइमिंग ही सब कुछ होता है। यही वजह है कि हम अपने ज्यादातर फैसले guess और intuition के हिसाब से करते हैं। लेकिन यह आईडिया गलत है।

यह किताब आपको आपके 'कब' और सही समय के साइंस के बारे में सभी जवाब देगी | यह किताब आपको दिखाएगी कि कैसे समय सिर्फ लक पर डिपेंडेंट नहीं है, बल्कि साइंस है। डैनियल पिंक आपको बताएँगे कि आपके फ़ायदे के लिए काम करने का समय कैसे निकाला जाए।

इस समरी से कौन सीखेगा?

● कॉलेज स्टूडेंट 

● employees 

● साइकोलॉजी में रुचि रखने वाले लोग

ऑथर  के बारे में

डैनियल एच पिंक छह किताबों के ऑथर हैं - जिसमें उनकी नई किताब, “व्हेन: द साइंटिफिक सीक्रेट्स ऑफ़ परफेक्ट टाइमिंग” शामिल है। व्हेन ने न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलर लिस्ट में जगह बनाई और इसे Amazon और आईबुक द्वारा 2018 की बेस्ट बुक का नाम दिया गया है. डैनियल की और किताबों में न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलर “ए होल न्यू माइंड”,” ड्राइव एंड टू सेल ह्यूमन” शामिल हैं। उनकी किताबों ने कई award जीते हैं और उन्हें 39 भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया है| 

---------- Summary ----------

When: The Scientific Secrets of Perfect Timing

इंट्रोडक्शन 

फ़ैसला लेने का सबसे अच्छा समय कब है?

मुझे टेस्ट में सबसे ज्यादा नंबर लाने के लिए कब पढ़ना चाहिए ?

मैथ्स के टेस्ट में सबसे ज्यादा नंबर लाने के लिए जवाब  कब देना चाहिए?

मुझे बहुत सारी इंस्पिरेशन  हासिल करने के लिए अपनी कहानी कब लिखनी चाहिए?

मैं सबसे ज्यादा productive  कब हूं?

मैं सबसे ज्यादा काम के और challenging काम करने के काबिल कब हूं?

हम जानते हैं कि समय कितना मायने रखता है, लेकिन हमें ख़ुद टाइम के बारे में कुछ पता नहीं होता है। 

 

हम सभी बस अपने रोज के "कब " में फंस जाते हैं, लेकिन असल में कभी भी जवाब ढूंढ़ने की कोशिश नहीं करते |

इस बुक  में हम देखेंगे कि कैसे डैनियल पिंक यह साबित करते हैं कि टाइमिंग कोई आर्ट नहीं बल्कि साइंस है।

और ऐसा करने के लिए, हमें समय के साथ शुरुआत करने की जरूरत है। जैसे ही हम अपने हिस्ट्री  में वापस जाकर देखते हैं तो हमें पता चलता हैं  कि सेकंड, मिनट और घंटे नेचुरल नहीं हैं।

इंसान ने इन सभी चीजों को बनाया, जिसमें हफ़्ते, महीने और साल भी शामिल हैं , सिर्फ़ एक ही बात सही रह गई हैं और वह दिन और रात का कॉन्सेप्ट 

इस बुक  का पहला पार्ट हमारे रोज के जीवन यानी डेली लाइफ में छुपे हुए पैटर्न को दिखाएगा।   

        

आप अपने हर दिन के एनर्जी लेवल के बारे में जानेंगे और आपको किस वक़्त कौन सा काम या एक्टिविटी करनी  चाहिए, यह सब सीखेंगे |

अंत में, आप एक सुंदर शुरुआत, बीच का समय और अंत के बारे में भी जानेंगे यानी beginning, midpoint और ending.

बहुत से लोग ' कब ' से जुड़े सवालों को 'क्या' से जुड़े सवालों जितना important नहीं मानते हैं। 

यही कारण है कि हम अपने रोज के जीवन में छिपे हुए पैटर्न का कभी एहसास नहीं पाते हैं।

तो “क्या” से भरी इस दुनिया में आप अपने ‘कब’ का जवाब देने के लिए तैयार हैं?   

THE HIDDEN PART OF EVERYDAY LIFE                                       

हर इंसान के अंदर उसकी अपनी इंटरनल बायोलॉजिकल क्लॉक( internal biological clock) होती है, जो हर किसी के जीवन में बैलेंस बनाए रखने में important role निभाती है। 

यह क्लॉक एक छिपे हुए पैटर्न को बनाती है जो कि हमें बताता है कि हम अपने रोज़ की जिंदगी में कैसा महसूस करते हैं और कैसे काम करते हैं।

इंसान पूरे दिन में कभी भी सेम एनर्जी लेवल पर काम नहीं करता, हम सभी ऐसे पैटर्न को बनाते हैं जिसे हम देख नहीं सकते, और हमें इसका एहसास भी नहीं है। 

बहुत से लोग यकीन करते हैं कि हमारा दिन सुबह, दोपहर और शाम के हिसाब से चलता है। 

पर, डैनियल पिंक ने सभी के लिए दिन के हिसाब से एक नई साइकिल  बनायीं जो की हमारे एनर्जी के लेवल से मैच करता  है। 

इसे morning peaks, दोपहर यानी afternoon troughs और शाम यानी evening rebounds कहते हैं|

Morning Peak में आप में सबसे ज़्यादा एनर्जी होती है। यह वह टाइम होता है जब हम सबसे ज्यादा इंटेलीजेंट, एक्टिव और हर चीज़ को अच्छे से एनालाइज कर सकते हैं। हमारी एनर्जी highest level पर होती हैं,जिसके कारण हम अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे पाते है।

दोपहर का समय, morning peaks से बिल्कुल उल्टा होता है। इस टाइम  में हमारी एनर्जी सबसे कम होती है इस समय हम important कामों पर ध्यान नहीं दे पाते । यह आमतौर पर जागने के सात घंटे बाद का समय होता है और यह दिन का वह पार्ट  है जहां हम अपने काम पर सही तरह से फोकस नहीं कर पाते। 

शाम का टाइम  एनर्जी लेवल के वापस लौटने का टाइम  होता है। पर , हम इस टाइम पर भी सही और ज्यादा ढंग से काम करने लायक नहीं हो पाते । यह हमारे दिन का वह पार्ट  है जहाँ हमारा दिमाग हमें भटकने से नहीं बचा पाता ।

पर, यह पैटर्न हर एक इंसान  के लिए एक सा नहीं है। 

क्योंकि हम सभी का अपना अलग-अलग इंटरनल बायोलॉजिकल क्लॉक हैं, इसलिए हमारे अलग-अलग energy cycle भी होते हैं। इन cycles को तीन हिस्सों में बांटा गया है।

इन हिस्सों को लार्क, owl और थर्ड बर्ड कहा जाता है।

लार्क, उन लोगों को कहा गया है, जो सुबह के टाइम  बहुत ही एक्टिव होते हैं।  उनके हर दिन का एनर्जी साइकिल इस तरह  होता है; morning peaks,दोपहर का midpoint यानी afternoon troughs और शाम के समय energy का वापस आना यानी evening rebounds|

 Owl , वे लोग होते हैं जिनकी शुरुआत देर से होती है। ये रात के टाइम  सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं और ये लोग लार्क के बिल्कुल opposite  होते हैं। इनके पूरे दिन का एनर्जी साइकिल इस तरह होता है:- सुबह इनका एनर्जी लेवल दोबारा बनता हैं, दोपहर में सबसे कम होता हैं और शाम को सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं|

60-80 परसेंट लोग आखरी एनर्जी साइकिल से related है, थर्ड बर्ड, जो midpoint में होता है। ये ना ही लार्क की तरह सुबह जल्दी उठ सकते हैं और ना ही  Owl  की तरह रातभर जाग सकते है| 

यह जानना important है कि आप किस एनर्जी साइकिल से related हैं क्योंकि यह हमें हर दिन हमारे परफॉरमेंस को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

यहाँ एक example है।

लिंडा को रीजनिंग प्रॉब्लम थी जिसे कंजंक्शन फैलेसी (Conjunction Fallacy) कहते हैं|

कंजंक्शन फैलेसी रीजनिंगका एक type  होता है जहां एक इंसान  सिंपल से जवाब की जगह ज्यादा इनफार्मेशन  से भरे जवाब को चुनता है । ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग सोचते हैं कि ज्यादा जानकारी से भरे जवाब किसी भी Question का सबसे अच्छा जवाब होता है।

जवाब  देने आए लोगों को लिंडा की  प्रॉब्लम  दिन के अलग-अलग समय में दी गई, ज्यादातर सुबह के 9 बजे से लेकर रात के बजे 8 तक |

यह रहा Question, आप भी जवाब देने की कोशिश करें |

31 साल की लिंडा एक कॉलेज स्टूडेंट हैं, जो की फिलॉसफी की पढ़ाई कर रही हैं । वह भेदभाव और सोशल जस्टिस पर चर्चा करना पसंद करती है, और वह उन ग्रुप्स में एक्टिव participant है जो इसे बढ़ावा देते हैं। 

आपको लिंडा के बारे में क्या लगता हैं?

A. वह एक बैंक टेलर (बैंक में काम करने वाले) है 

B. वह एक बैंक टेलर  है और फेमिनिस्ट मूवमेंट में एक्टिव participant हैं।

ज्यादातर लोगो ने ऑप्शन B को चुना,क्योंकि हमारा दिमाग शोर्ट कट को बनाने और स्पेसिफिक इनफार्मेशन  को जमा करना पसंद करता हैं, ठीक उसी तरह जैसे कंजंक्शन फैलेसी में बताया गया है।

पर असल में,  क्योंकि  ऑप्शन B ज्यादा इनफार्मेशन  से भरा हैं  और लिंडा के बारे में जो जानकारी दी गयी हैं  उससे related भी है, इसीलिए ज्यादातर लोगों को जवाब B सही लगा|

पर  सही जवाब A था  क्योंकि  लिंडा की प्रॉब्लम ओपिनियन, फैक्ट्स या सच्चाई पर based नहीं थे लिंडा की प्रॉब्लम सिर्फ एक लॉजिकल टेस्ट था. यह कहना कि बैंक टेलर फेमिनिस्ट मूवमेंट का एक एक्टिव participant है, यह कहना बिल्कुल यह कहने जैसा होगा कि एक बैंक टेलर सब्जियों से नफरत करता है।

ये सभी बाते बैंक टेलर का एक छोटा सा हिस्सा हैं यानी subjet ,और ये हिस्से पूरे set से ज़्यादा important  नहीं हो सकते.

इस रिसर्च से पता चला कि A जवाब देने वाले ज्यादातर लोग वे हैं, जिनका सुबह सर्वे किया गया था

इस रिजल्ट का क्या मतलब हैं?

यही कि लिंडा की प्रॉब्लम  लॉजिकल हैं, इसे पूरे ध्यान यानी एनालिसिस और बारीकी यानी concentration के साथ करने की जरुरत हैं.

उन लोगो के लिए यह एक आसान सवाल है जो अपने पीक स्टेज पर हैं, क्योंकि यहाँ वह सबसे ज्यादा इंटेलीजेंट और ध्यान देने के काबिल होते हैं।

जिन लोगों ने इसका सही जवाब दिया है, उन्होंने इस Question पर ज़्यादा ध्यान दिया न की फालतू की इनफार्मेशन  पर, जैसे की "फेमिनिस्ट मूवमेंट में एक्टिव  तौर पर भाग लेने वाले लोग".

अगर हम सभी का एक जैसा फैसला लेने का मेथड  और एक जैसा एनर्जी साइकिल होता तो,लिंडा की प्रॉब्लम  का सब ने एक ही समय पर सही जवाब दिया होता|

ज्यादातर लोगो ने सुबह के वक़्त सही जवाब दिया, और बाकि कुछ लोगो ने शाम के वक़्त.

यह साबित करते हैं कि दिन के अलग-अलग समय पर हमारी एनर्जी लेवल भी अलग-अलग होती हैं.

सुबह के समय पर लार्क के सही जवाब देने के सबसे ज्यादा चान्सेस होते हैं.

 Owl  इसका सही जवाब शाम के वक़्त देते हैं.

और थर्ड बर्ड सही जवाब दोपहर के समय में दे पाते हैं

लिंडा कि प्रॉब्लम  से पता चलता है कि आपकी इंटरनल क्लॉक और क्रोनोटाइप को जानना कितना importanat है। इसके कारण, हम अपने कुछ मामूली ‘कब’ यानी “when” के सवालों का जवाब दे सकते हैं'|

हम जानेंगे की मैथ्स के सवालों को हल करने का, कहानी लिखने या किसी भी मुश्किल काम को करने का सही समय कब होता हैं.

THE POWER OF BREAKS, THE PROMISE OF LUNCH, AND THE CASE FOR A MODERN SIESTA

trough एक ऐसी स्टेज होती हैं जहाँ आपको किसी भी मुश्किल फैसले का हल निकालने के लिए खुद पर यकीन नहीं करना चाहिए.

trough एक खतरनाक स्टेज भी है जहां किसी को शामिल नहीं होना चाहिए.एक सर्वे ने यह भी साबित किया कि एक इंसान  का सबसे ख़राब समय दोपहर 2:55 बजे होता है।

दोपहर के वक़्त, जहां trough मौजूद होता हैं, इसे अक्सर बरमूडा triangle  के रूप में माना जाता है, खासकर अस्पतालों में। ड्यूक मेडिकल सेंटर में की गई 90,000 सर्जरी पर किए गए रिसर्च  से पता चला है कि ज्यादातर एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (जो सर्जरी से पहले बेहोशी का इंजेक्शन लगाते हैं) से की गयी गलतियां, जो उनके मरीजों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, 3- 4 बजे के बीच हुई थीं.

ज्यादातर अस्पताल के employee  दिन के बाद के हिस्से में सही तरीके से सफाई करने में भी नाकामयाब रहते हैं,आंकड़ों के अनुसार, दिन के इस specific समय में अस्पतालों में हर  साल  600,000 बेवजह  इन्फेक्शन फैलता है और 35,000 बेवजह की मौतें होती हैं।

गलत तरीके से की गयी सफाई बताती हैं कि अस्पताल में दोपहर के समय में रिजल्ट कितने डेंजरस हो सकते हैं। इस किताब  से आपको जो बढ़िया रास्ता मिल सकता है, वह यह है कि दोपहर के समय में कभी भी अस्पताल में पैर नहीं रखना चाहिए और ना ही अपॉइंटमेंट लेनी चाहिए.

दोपहर के trough के इफ़ेक्ट की स्पीड को जानने के बाद, डैनियल पिंक ने हमें कुछ स्टेप्स बतायें जिनमें दिए गए activity का इस्तेमाल  हमें trough के जाल से बचने के लिए करना चाहिए।

दोपहर के trough से बचने का पहला मेथड है  सिर्फ एक ब्रेक लेना. आपको ऐसा लगता है जैसे ब्रेक लेना आपको कम काम करने लायक बनाता है  पर होता  इसका बिलकुल उल्टा है।

यह रहे कुछ example  

10-20 मिनट के लिए ब्रेक लेने वाले बच्चें अपने पेपर में सबसे ज्यादा नंबर पाने वाले बच्चे हैं जैसे की उन्होंने 3 हफ्तों की क्लास स्कूल में और ली हों|

दूसरी ओर, जिन बच्चों ने ब्रेक नहीं लिया, उनके  पेपर में fail  होने के ज्यादा चान्स हैं , जैसे  की उन्होंने स्कूल में बहुत ही कम समय बिताया हो और अच्छी तरह से पढ़ाई न की हों|

पर , ताजी हवा में टहलने जाना फायदेमंद है, इससे आपकी नॉलेज अलर्टनेस बढ़ती हैं, जो की आपके स्कोर को बढ़ाने में मदद करती हैं

नाश्ता दिन का सबसे importanat खाना  नहीं होता बल्कि दोपहर का खाना सबसे importanat होता है| किसी भी मुश्किल काम को करने से पहले या करते समय दोपहर का लंच ब्रेक लेना काम की क्वालिटी को अच्छा कर देता है|

दोपहर के खाना पावरफुल होता है क्योंकि यह दो पावरफुल चीज़ें देता है , पहला ऑटोनोमी और दूसरा  डिटैचमेंट|

 ऑटोनोमी  खुद पर काबू रखना सिखाती हैं, जब रूल्स  आपको रोक  नहीं  पाते। ये रूल्स  आपको बताते हैं कि क्या, कब, किससे और कैसे करना है। तब आप सभी चीज़ो को ध्यान में रखकर अपना ध्यान उस पर फोकस  कर पाते हैं|

टेम्पररी डिटैचमेंट का मतलब है जहाँ आप अपने काम करने वाली जगह से,डेस्क से, या स्टेशन से कुछ समय के लिए अलग होते हैं। अपने डेस्क से हट जाना employees  को अच्छे रूप से इफेक्ट करने वाली साबित हुई क्योंकि वे अपना ध्यान काम से हटाकर बाकी कामों , जैसे की आराम करने पर लगा पाते हैं|

झपकी लेना भी पूरे हेल्थ  में सुधार लाने का काम करते हैं। जो लोग झपकी लेते हैं, वे दिल की बीमारियों का अनुभव 37% कम करते हैं। झपकी लेना हमारे इम्यून सिस्टम में सुधार करते हैं और ब्लड प्रेशर को भी कम कर सकते हैं।

पर , कुछ लोग सही तरीके से झपकी नहीं लेते। 20 मिनट के लिए झपकी लेना कई तरह से फायदेमंद होता हैं| पर, आप स्लीप inertia  का भी महसूस कर सकते हैं यानी जागने के बाद नींद के लटके आना, कुछ ठीक से समझ नहीं आना जैसा अनुभव होता हैं|

ठीक तरह से ली जाने वाली झपकी 10 मिनट से 20 मिनट के बीच होता है, जो अगले तीन घंटों के लिए आप पर बहुत ही अच्छा इफ़ेक्ट डालती है|

trough उन लोगों के लिए एक खतरनाक जाल है, जिन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन जो कोई भी इसके बारे में जानता है वह इसे अपने फ़ायदे  के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

 

Starting Right, Starting Again, and Starting Together

कुछ लोग गलत शुरुआत करने से बहुत परेशान होते हैं| इसलिए, यह जानना जरूरी है कि सही से शुरुआत कब करें, दोबारा शुरुआत कब करें और साथ में शुरुआत कब करें।

यह चैप्टर शुरुआत के बारे में बताएगा की “कब” हमें अपने जिंदगी में जरुरी बदलाव और किसी जरुरी काम को शुरू करना चाहिए|

इन मेथड्स को अप्लाई करने का एक example  ---

सुबह 8:30 बजे से पहले स्कूल जाने वाले बच्चों के  ग्रेड में कमी और उनकी हेल्थ पर बुरा असर होता हुआ देखा गया है। इस तरह, यह भविष्य में उनकी सक्सेस के चान्स को बुरी तरह  से एफेक्ट करता है।

इस गिरावट का प्रूफ स्ट्रांग है, यही वजह है कि अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने एक policy  जारी की , जिसमें कहा गया है कि मिडिल और हाई स्कूल को सिर्फ़ 8:35 बजे या उसके बाद से क्लास शुरू करनी होगी ।

जिन स्कूलों ने पॉलिसी को फॉलो किया, उन्होंने अपने स्टूडेंट्स में बहुत इम्प्रूवमेंट देखी।

उन स्टूडेंट्स के आलस और स्लो स्पीड में कमी आई,  बच्चो के नंबर आच्छे आए, ज्यादातर मैथ्स साइंस इंग्लिश और सोशल साइंस जैसे सब्जेक्ट में.

अप्लाई करने के दो साल बाद, 8:30 बजे के बाद स्कूल खुलने वाले रूल्स  को मानने वाले लोगो में 11 परसेंट का इजाफा  हुआ|

ये statistics दिखाते हैं कि ‘सही शुरुआत’ कितना पावरफुल है। बस शुरुआती समय को बदलने पर, रिजल्ट्स लंबे समय तक चलेंगे।

सही शुरू करने के अलावा, हमें शुरू करने के मेथड को भी जानना चाहिए|

कई बार जब हम ठोकर खाते हैं तो वह हमें बेहतर और सही बनाने के लिए इंस्पायर करता है।

साइंटिस्ट कहते हैं  कि साल  का पहला दिन लोगों के सबसे पॉपुलर टेम्पोरल लैंडमार्क्स में से एक होता है| 

टेम्पोरल लैंडमार्क का मतलब हैं अपनी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए कुछ दिनों के लिए खुद से किया गया वादा.

सोशल और पर्सनल  दो तरह  के टेम्पोरल लैंडमार्क्स होते हैं। 

 सोशल  लैंडमार्क्स वे हैं जो हर कोई शेयर करता है, जैसे कि हफ़्ते या महीने की शुरुआत, और इसमें छुट्टियां भी शामिल हो सकती हैं। 

दूसरी ओर, पर्सनल लैंडमार्क्स ज्यादातर किसी के लिए, जैसे बर्थडे और एनिवर्सरी से जुड़ें होते हैं। 

ये टेम्पोरल लैंडमार्क्स बुरी शुरुआत से उबरने में हमारी मदद करने के लिए importanat हैं और हमें फिर से शुरू करने के लिए इंस्पायर  करते हैं। Example के लिए, हम साल  की शुरुआत में एक लंबी लिस्ट बनाते हैं। यहाँ वो dates भी होते  हैं जिनमे हम अपनी किताबों को लिखने की प्लानिंग भी करते  हैं जिसका हमेशा से हमने सपना देखा था | 

ये सभी changes एक नयी शुरुआत करने की इच्छा का रिजल्ट हैं। इस तरह , फिर से शुरुआत यानी start again भी शरुआत करने की ख़ासियत का पता लगाने का एक स्ट्रांग मेथड  है। 

तीसरा तरीका है एक साथ शुरुआत करना यानी starting together । 

कुछ बुरी शुरुआतों से बच पाना मुश्किल होता हैं। जैसे की उस साल कॉलेज के पास होना जब इकॉनमी की बुरी हालत हो या जुलाई के महीने में  हॉस्पिटल में होना जब बहुत सी मौतें हो रही हों|

 इस तरह की शुरुआत के साथ, पहले दो मेथड्स को अप्लाई करना मुश्किल  है यानी सही शुरू करना और फिर से शुरू करना। इसीलिए हमे सभी के साथ शुरुआत करने का मेथड अपनाना चाहिए| 

नर्स-फैमिली पार्टनरशिप नाम का  एक नेशनल प्रोग्राम नर्सों को उनके आस पास के कम कमाने वाले घर में जहाँ  यंग मदर्स के साथ उनके नए जन्मे बच्चो हो, उनके घरो में जाने की परमिशन  देती हैं

ये यंग मदर्स ऐसे लोग हैं जो इस जीवन को अकेले नहीं जी सकते | उन्हें ऐसे लोगों की ज़रूरत है जो उन्हें फिर से शुरूआत करने और सही शुरुआत करने में उनकी मदद कर सकें। 

हम जानते हैं कि शुरुआत करना जरूरी है। पर , यह हमेशा आसान या अच्छा  नहीं होता है कम उम्र में माँ बन जाना अच्छा नही होता। 

इसलिए कुछ लोगों का उनके पास होना, जिन पर वह डिपेंड कर सकते हैं और मदद मांग सकते हैं, जिससे उन्हें अच्छा महसूस होता है कि वे इस दुनिया में अकेले नहीं हैं और उन्हें उनके फ्यूचर की कुछ उम्मीद मिलती हैं। 

अंत में, हम सभी जानते हैं कि पहला कदम उठाना हमेशा हमारी जर्नी में सबसे मुश्किल कदम होता है।

 पर, कुछ तरीकों को जानना जैसे कि सही शुरूआत  करना, फिर से शुरूआत  करना, और एक साथ शुरूआत  करना हमारे सबसे मुश्किल  सवालों में से एक 'कब यानी when ’ का जवाब दे देता है | 

Midpoint(बीच का समय)

दो चीजें हैं जो midpoint हमें दे सकते हैं। एक slump हो सकती है जो हमें नीचे लाती है या एक spark जो हमें उठाती है।

हनुक्का jews द्वारा मनाया जाने वाला एक त्यौहार है।  इस सीज़न के दौरान, उनके पास हनुक्का का एक पारंपरिक बॉक्स होता हैं जिसमें 44 मोमबत्तियाँ होती हैं।  लगातार आठ दिनों तक, लोगों को हर दिन अपनी मोमबत्तियों को जलाना होता हैं

जैसा कि रिसर्च करने वालों ने देखा है, 76 परसेंट लोग पहली रात को मोमबत्ती जलाते हैं। पर , दूसरी रात यह 55 परसेंट कम हो जाते हैं।

और आगे के दिनों में,आधे से भी कम लोग मोमबत्ती जलाते हैं।

लेकिन आखिरी दिन, यह फिर से 50 परसेंट तक पहुंच जाता हैं|

रिसर्च करने वालों  ने पाया कि लोगों का मानना था कि पहले और आखिरी दिनों में मोमबत्तियां जलाना ही ऐसी मायने रखती है।

लोगों का मानना था कि जब आप इन दिनों में मोमबत्ती जलाते हैं, तो आपको religious माना जाएगा।

इसलिए, क्योंकि इंसान नैचुरली लोगों को दिखाना चाहता है , इसीलिए वह religious दिखना चाहता है । उनके लिए मायने रखता है पहले या आखिरी दिन को रोशन करना। बीच से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।

बीच का समय या midpoint का समय हमेशा एक slump दिखाते हैं।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम क्या काम करते हैं, हम अपनी मोटिवेशन और एनर्जी को बीच में कम कर देते हैं।

अब, बीच का समय हमें spark कैसे देते हैं?

कोनी गर्सिक नाम के एक स्कॉलर ने बिज़नेस पढ़ने वाले बच्चों के एक ग्रुप  पर रिसर्च  किया।  इन बच्चों को एक टॉपिक पर खोज करने और एक पेपर तैयार करने के लिए ग्यारह दिन दिए गए थे, यह कहानी हमें spark मिलने के बारे में बताती  है

पहले पांच दिनों में, टीम के साथी काम पर ज्यादा ध्यान नहीं देतेl  पर , छठे दिन, वे सोचने लगे कि उनके पास समय कम है।

छठे दिन से, बच्चों ने urgency महसूस की और इसलिए बच्चों ने अपनी बकवास बातचीत को रोक दिया और अपने काम पर ध्यान लगाया।

अब ये जल्दबाज़ी उनके काम में टांग अड़ाती है क्योंकि अब समय खत्म होने की कगार पर हैं  इसे uh-oh  इफ़ेक्ट कहा जाता है यानी करो या मरो वाली सिचुएशन. 

इस बार, midpoint ने उनकी मोटिवेशन  को कम नहीं किया।  इसके बजाय, उनकी मोटिवेशन  और बढ़ गयीl

हर बार जब हम बीच में पहुंचते हैं, तो हम सिर्फ़ नीचे जा सकते हैं या ऊपर जा सकते हैं।  कभी-कभी midpoint हमें नीचे ले आती है, लेकिन कभी-कभी यह हमें चीजों को करने के लिए इंस्पायर  भी करती है।

ज्यादातर लोग बीच के समय को जरुरी नहीं मानते हैं  लेकिन यह शुरुआत और अंत के जितना ही जरुरी हैl

Marathons, Chocolates, and the Power of Poignancy

शुरुआत और midpoint की तरह, अंत समय भी हमारे जीवन में एक जरुरी जगह रखते हैं।

अंत समय हमें सीख देता है।  यह हमारे पास जो हैं हमे उसकी कीमत समझाता हैंl  यह हमें लोगों में फर्क करना सिखाता हैं और हमें यह समझाता है कि हमारे जीवन में क्या मायने रखता हैंl

यहां कुछ example दिए गए हैं जो हमे बताते हैं कि अंत समय कैसे हमारी मदद करते हैं।

मिशिगन यूनिवर्सिटी में सोशल साइकोलोजिस्ट , एड ओब्रायन और फ़ीबी  एल्सवर्थ ने एक study की । उन्होंने  बच्चों को नयी तरह की Hershey Kisses  चॉकलेट जो लोकल मार्केट से ली गई ingredient से बनी थी, को चखने के लिए दिया. 

पर , उनका मेन मकसद यह जानना था कि ending बच्चों के फैसले को कैसे बदलता है।

उन्होंने एक टेबल लगाया और बच्चों से Hershey Kisses चॉकलेट को 1-10 के बीच में रेट देने के लिए कहाl रिसर्च करने वालों  के पास आखिरी चॉकलेट देने के लिए 2 अलग-अलग ग्रुप  थे

एक ग्रुप  के लिए, उन्होंने कहा, "यह आपकी अगली चॉकलेट है। दूसरे ग्रुप से उन्होंने कहा," यह आपकी आखिरी चॉकलेट है। "

वे लोग जो मानते थे कि यह उनकी आखिरी चॉकलेट हैं. उनका मानना था की यह चॉकलेट बाकि चॉकलेट के मुकाबले 64 परसेंट ज्यादा अच्छी हैं

वही दूसरे ग्रुप  का मानना था की उन्हें आखिरी चॉकलेट 22 परसेंट ज़्यादा  पसंद आईl

इससे पता चलता है कि ending हमारे फैसले को कैसे इन्फ्लुएंस करते हैं।  जिन बच्चों  को पता था कि यह लास्ट चॉकलेट है, उन्होंने इसे ज़्यादा पसंद किया क्योंकि उनके दिमाग को चॉकलेट के ख़त्म होने का एहसास हो गया थाl

काम करने के तरीके को छोड़कर, कभी-कभी हमारा दिमाग ending पर ज्यादा ध्यान देता है |

यह एक बुरा पर स्ट्रांग सच है, और Pixar  के राइटर ending के मतलब को अच्छे से समझते हैं।

वे जानते हैं कि अच्छा एंडिंग हमेशा ख़ुशीयों  से भरा एंडिंग नहीं होताl उन्होंने बताया कि कोई भी एक ख़ुशी से भरा एंडिंग बना सकता है, लेकिन हर कोई एक मीनिंगफूल एंडिंग  नहीं बना सकता है।

Pixar की फिल्में जैसे Up and Inside Out हमेशा दिखाती हैं कि फ़िल्म का main लीड अपने गोल्स तक पहुँचने के लिए कैसे लड़ता है और उसे हासिल करता है।  पर , अंत में, वे उन चीजों को छोड़ देते हैं जो वे शुरू में करना चाहते हैं|

वह अंत कभी सुन्दर नहीं होता जो ख़ुशी से खत्म हों, वह ख़ूबसूरत तब होता हैं जब वह मतलब भरा होl देखें कि कैसे मिस्टर फ्रेडरिकसन  ने अपना घर छोड़ दिया, ताकि वह रसल को बचा सके?  या बिंगबोंग कैसे रॉकेट को जाने देता है ताकि जॉय सबसे ऊपर अपनी जगह बना सकें?

एंडिंग  अच्छा या बुरा हो सकता है।  कभी-कभी, हम उन आखिरी सिरों(ending) पर बहुत ज़्यादा ध्यान दे देते हैं जिसकी वजह से हम पूरी तस्वीर को देखने में फेल हो जाते हैं।

ज़िंदगी सिर्फ़ एंडिंग के बारे में नहीं है।  यह कैसे खत्म होती हैं ये उसके बारे में है।

जीवन सिर्फ़ मौत के बारे में नहीं है, बल्कि हम जिन्दा रहते हुए इसका कैसे इस्तेमाल करते हैं और इसे कितना meaningful बनाते हैं ये इसके बारे में हैं l

शुरुआत और midpoint की तरह, अंत हमेशा अच्छा नहीं होता है।  पर, अंत हरेक इंसान  की जर्नी  में कुछ जरुरी बातें या चीजें सामने लाता हैं  और वही किसी इंसान के जीवन की कहानी का सही मतलब और पर्पस बताता है।

कन्क्लूज़न

इस किताब  में, आपने समय के questions और ' कब ' के इम्पोर्टेंस  को सीखा।

अब आप रोज के जीवन के छिपे हुए पैटर्न और हम जिन चीज़ों से रोज गुजरते हैं उन्हें समझ सकते  हैं, जैसे कि peak, trough और एनर्जी लेवल के पलटने के बारे में ।

अब आप इंसानो के अलग अलग क्रोनोटाएप के बारे में भी जानते हैं, जैसे कि लार्क या सुबह के लोग,  Owl यानी रात में एक्टिव रहने वाले लोग  और थर्ड बर्ड, जो midpoint में होते हैं।

आपने लोगों पर trough के इफ़ेक्ट और जाल में गिरने से बचने के तरीके को भी जाना ।

आपने  शुरुआत करने की, सही शुरुआत करने की, फिर से शुरुआत करने और एक साथ शुरुआत करने के पावर को भी समझा।

आपने midpoint के इम्पोर्टेंस  को जाना और यह भी समझा कि midpoint एक slump या spark में कैसे बदल सकते हैं।

आपने अलग अलग सिचुएशन  में एंडिंग का क्या मतलब होता है वो भी सीखा ।  आपने सीखा कि हमारे जीवन में एंडिंग  कैसे important होता है।

इस किताब  को पढ़ने से पहले, आप शायद अपने बारे मे insecure रहे होंगे।  जिन चीजों को आप नहीं कर सकते, उन पर आप खुद को और मेहनत करने के लिए मजबूर करते होंगे, और उस समय आप जानना चाहते होंगे कि कब शुरू करना और कब बंद करना है।

अब आप जान चुके  हैं कि ये आपके बारे में नहीं है बल्कि उन चीजों के बारे में है जिनके बारे में आप नहीं जानते हैं।

किसी की भी ज़िंदगी आसान नहीं होती, इसे ख़ुद को थकाने या हारने ना दें, जैसे ये अब तक करता आया है|

अपने आप को जानें, खुद को सुधारें और अपना साथ दें।

अब जब आपने अपने "कब " का जवाब दे दिया हैं, तो क्या आप इस गेम को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं?

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