The 4-Hour Workweek: Escape the 9-5 Hindi Summary

The 4-Hour Workweek : Escape the 9-5, Live Anywhere and Join the New Rich Hindi Summary and Ebook (pdf)

By : Tim Ferriss

The 4-Hour Workweek : Escape the 9-5, Live Anywhere and Join the New Rich

---------- About Book ----------

क्या आप भी किसी मिलेनियर की तरह रहना चाहते है? क्या आप चाहते है कि जब आपकी मर्ज़ी हो तब काम करे, जहाँ मर्जी हो वहां रहे और जो मन आये वो करे? और ये सब करने के लिए आपको सारी लाइफ काम करने की भी ज़रुरत नहीं है. और ये शर्त भी नहीं है कि आपके बैंक अकाउंट में मिलियंस पड़े हो. आपको तो बस न्यू रिच को ज्वाइन करना है.

1. इस बुक में हम क्या सीखेंगे ?

इस बुक में आप सीखेंगे कि ये न्यू रिच आखिर है कौन? आप इनकी लाइफस्टाइल डिजाईन के बारे में सीखेंगे, आपको 80/20 प्रिंसिपल और पार्किन्सन लॉ का बारे में भी सिखने को मिलेगा. और इस बुक से आप सीखेंगे कि टाइम, मनी और लोकेशन की फ्रीडम कैसे अचीव की जाए यानी अपनी शर्तो पर जीने वाला एक मिलेनियर कैसे बना जाये. 

2. ये बुक किस किसको पढनी चाहिए?

जो लोग 9 टू 5 वाली नार्मल जॉब के बजाये अपनी मर्जी से जब चाहे तब काम करने में बिलीव रखते है ये बुक खास उनके लिए है. पैसे कमाने का कोई घिसा पिटा फार्मूला नहीं होता. इस बुक के ऑथर ने ये प्रूव करके दिखाया है कि एक रिच एंड अफुलेंट लाइफ जीना हमारे हाथ में है. अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोचते है तो ये बुक आपको पढनी चाहिए. 

3. इस बुक के ऑथर कौन है?

इस बुक के राइटर अमेरिकन ऑथर टिम फेरिस 20, जुलाई, 1977 में पैदा हुए थे. वो एक फेमस ऑथर, एंटप्रेन्योर और प्रोडकास्टर है. 

---------- Summary ----------

The 4-Hour Workweek : Escape the 9-5, Live Anywhere and Join the New Rich

परिचय 

क्या आप भी किसी मिलेनियर की तरह रहना चाहते है? क्या आप चाहते है कि जब आपकी मर्ज़ी हो तब काम करे, जहाँ मर्जी हो वहां रहे और जो मन आये वो करे? और ये सब करने के लिए आपको सारी लाइफ काम करने की भी ज़रुरत नहीं है. और ये शर्त भी नहीं है कि आपके बैंक अकाउंट में मिलियंस पड़े हो. आपको तो बस न्यू रिच को ज्वाइन करना है. इस बुक में आप सीखेंगे कि ये न्यू रिच आखिर है कौन. इसमें आपको लाइफस्टाइल डिजाईन के बारे में भी पता चलेगा, द 80/20 प्रिंसिपल और पार्किन्सन लॉ का बारे में भी. किसी मिलेनियर की तरह रहने का मतलब है अपनी लाइफ अपनी शर्तो पर जीना और टाइम, मनी और लोकेशन की फ्रीडम. और इस बुक से आप सीखेंगे कि ये सब कैसे अचीव किया जाए.द फोर ऑवर वर्कवीक आपको ऐसी डील की अपोरच्यूनिटी देता है जो लाइफटाइम के लिए है. एक इफेक्टिव एंटेप्रेन्योर या एम्प्लोयी होने के साथ-साथ आप पूरा वर्ल्ड घूम सकते है, स्कीइंग पे जा सकते है या फिर सर्फिंग कर सकते है. और आप ये भी देखंगे कि कैसे मैक्सीमम अचीव करने के लिए आपको मिनिमम एफर्ट करना है. तो अब चलो, शुरू करते है. 

न्यू रिच एंड लाइफस्टाइल डिजाईन 

क्या अपने कभी सोचा है कि कैसा होता अगर आपकी एक ऐसी स्टेबल इनकम होती जिसके लिए आपको ऑफिस में 8 घंटे स्टे नहीं करना पड़ता? क्या होता अगर किसी क्यूबिकल में अपनी लाइफ के बेस्ट इयर्स गुज़ारने के बदले आपको कोई दूसरा आल्टरनेटिव मिलता? अगर आप कोई हार्ड वर्किंग एम्प्लोयी है या कोई एंटप्रेन्योर, तो ये बुक आपके लिए ही लिखी गयी है. आपको अपने हार्डवर्क का रिजल्ट एन्जॉय करने के लिए रिटायर्मेंट का वेट करने की कोई ज़रुरत नहीं पड़ेगी, आप पैसे कमाने और वर्किंग होने के साथ भी एक बेस्ट लाइफ एन्जॉय कर सकते है. अपनी लाइफ में एक चॉइस सेलेक्ट करने से पहले तक टिमोथी फेरिस भी एक 9-5 एम्प्लोयी थे. मगर वो अपनी लाइफ को यूं ही नहीं गुजारना चाहते थे.

वो नहीं चाहते थे कि वो सालो इंतज़ार के बाद एक ऐसे ओल्ड मेन बने जो अपनी रिटायरमेंट का पैसा भी एन्जॉय ना कर सके. और टिम फेरिस आपके लिए भी ऐसा बिलकुल नहीं चाहते. इसीलिए तो वो आपको न्यू रिच ज्वाइन करने का इन्वीटेशन दे रहे है. तो जैसा कि हमने पहले पुछा कि ये न्यू रिच कौन लोग है तो इसका आंसर है, वो जिन्होंने सक्सेसफुल बनने के लिए कन्वेंशल तरीका अप्लाई नहीं किया. सालो से ये माना जाता रहा है कि अगर सक्सेस पानी है तो ख़ूब मेहनत से स्टडी करो, कॉलेज से डिग्री लो और 8 घंटे ऑफिस की जॉब करो. और इसी को लोग “रियल वर्ल्ड” बोलते है जोकि ज़्यादातर लोगो के लिए”गुड फ्यूचर” है. लेकिन आप चाहे तो इस रियेलिटी को बेंड कर सकते है

. न्यू रिच वो है जो अपने रूल्स बनाकर अपने स्टैण्डर्ड के साथ जीते है. टिम फेरिस और बाकि कईयों ने प्रूव कर दिखाया है कि आप चाहे तो कोई प्रोडक्टिव बिजनेसमेन या एम्प्लोयी होते हुए भी एक लक्जेरियस लाइफ के मज़े ले सकते है. आप दुनिया जहान घुमते हुए, अपने शौक पूरे करते हुए अपनी फॅमिली को सपोर्ट कर सकते है. फिर चाहे आप के मिलेनियर हो या नहीं कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आपको सिर्फ अपनी मोबिलिटी और टाइम मैक्सीमाइज़ करना है. “ये बिलकुल ज़रूरी नहीं कि आपकी लाइफ हमेशा हार्ड ही हो” इन न्यू रिच लोगो ने एक नए लाइफस्टाइल डिजाईन को अपनाया है.

ज़रा सोचो जितने घंटे मेहनत आप अभी करते है, उससे आधे घंटे मेहनत करके भी आपको डबल मनी मिले तो ?” सोचो अगर आपको लाइफ एन्जॉय करने के लिए रिटायरमेंट का वेट ना करना पड़े तो ? आपके पास ऐसी चॉइस हो कि आप सिर्फ काम करने के लिए काम ना करे. आप काम के साथ फन भी कर सके. डेल बेग स्मिथ सिर्फ 21 साल का है और वो एक सक्सेसफुल एंटप्रेन्योर और प्रोफेशनल एथलीट भी है. उसने 2006 के विंटर ओलम्पिक्स फॉर स्की में गोल्ड मैडल भी जीता था. डेल ने स्की में एक परफेक्ट बैक फ्लिप लिया था और पिछले सारे रिकोर्ड्स तोड़ दिए. इतनी छोटी से एज में उसके पास एक ब्लैक लेमबोरगिनी है. डेल ओरिजिनेली केनेडा का है, जहाँ उसने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर एक ऑनलाइन आईटी कंपनी खोल रखी है. डेल जब 13 का और उसका भाई 15 साल का था तो उन्होंने अपने ओलम्पिक्स में जाने का ड्रीम पूरा करने के लिए एक आईटी फर्म क्रियेट की. और सिर्फ दो साल बाद ही दोनों भाइयों का बिजनेस वेंचर इंडस्ट्री का थर्ड मोस्ट सक्सेसफुल वेंचर बन गया था.

जब डेल के टीममेट्स जीजान से ट्रेनिंग में लगे होते है, वो उस टाइम अपने बिजनेस को देता है. एक बार डेल अपने जेपेनीज़ क्लाइंट्स के साथ साके पीने के लिए टोक्यो तक चला गया था. हालांकि उसके कोच को लगता है कि उसे ट्रेनिंग में और अटेंशन देनी चाहिए लेकिन डेल अपना बिजनेस और ट्रेनिंग दोनों को मैनेज करते हुए एक्सीलेंट स्की परफोर्मेंस देता रहा है. डेल अपने ओलम्पिक्स ड्रीम और बिजनेस के बीच फ्रीली मूव करता है. उसे दोनों में से किसी एक को छोड़ने की ज़रुरत नहीं पड़ती. ये 2002 की बात थी जब डेल और उसके बड़े भाई ने आस्ट्रेलिया माइग्रेट करने के बारे में सोचा जोकि स्की के लिए वर्ल्ड का सबसे बेस्ट प्लेस है.

आस्ट्रेलियन टीम छोटी और ज्यादा फ्लेक्सीबल भी है और इसके अलावा उन्हें एक लेजेंडरी कोच भी मिल रहा था. और तीन साल के अंदर ही डेल को आस्ट्रेलियन सिटीजनशिप मिल गयी. ये भी एक लक की बात थी कि उसे अपने फोर्मर टीममेट्स के साथ कोम्पटीट करने का चांस मिला. डेल बेग स्मिथ अपना हर गेम जीता और उसे आस्ट्रेलिया का थर्ड विंटर गोल्ड मैडल भी मिला. तो आप भी ये टालमटोल की आदत छोड़िये. काम की खातिर काम ना करे वर्ना बाद में पता चलेगा कि आपने अपनी लाइफ के 30 से 50 साल यूँ ही ऑफिस की डेस्क में बैठे बैठे गुज़ार दिए. लाइफस्टाइल डिजाईन आपको ऐसा ऑप्शन देता है जिससे आप लाइफ में क्या करना है, कहाँ करना है और कब करना है, और किसके साथ करना है, ये सारी बाते कंट्रोल कर सकते है.

रूल्स जो रूल्स चेंज कर दे  

ओस्कर वाइल्डी ने एक बार कहाँ था “हर वो चीज जो पोपुलर है, रोंग है”. न्यू रिच बाकि लोगो से बड़े डिफरेंट टर्म्स में रहते है. कहने का मतलब ये बिलकुल नहीं है कि वो अपने हाथो पे चलते है या पेंट के बाहर अंडर वेयर पहनते है. न्यू रिच अपने रूल्स खुद डिफाइन करते है. यहाँ 5 बेसिक रूल्स है जो आप भी फोलो कर सकते है.

1. “रिटायरमेंट एज ए गोल इज फ्लाड” 

मतलब ये कि रिटायर्मेंट का गोल रखना ही गलत है, सब लोग रिटायरमेंट पर इतना डिपेंड क्यों रहते है? अगर कोई ऐसा करता है तो इसका सीधा मतलब ये है की उसने जिस तरीके से अपनी लाइफ के मोस्ट फिजिकली फिट इयर्स गुज़ारे, उससे वो खुश नहीं है. इसके अलावा जब तक आप रिटायर होंगे, जैसे मान लो आज से 30 साल बाद, तब महंगाई इतनी बढ़ चुकी होगी कि आपकी लाइफ सेविंग की कोई ज्यादा वैल्यू नहीं होगी. और क्योंकि आप सारी लाइफ हार्ड वर्क करते रहे तो आपको काम की इतनी आदत हो चुकी होगी कि रिटायर होने के एक हफ्ते बाद ही आप बोर होने लगेंगे. 

2. “सरवाईव करने के लिए एक्टिविटी के साथ रेस्ट भी ज़रूरी है”

.क्या आप 30 की एज में डोनाल्ड ट्रम्प के जैसे ओल्ड दिखना चाहते है? हर रोज़ आप 8 घंटे काम करते है तो ज़ाहिर है आप बड़ी जल्दी बूढ़े दिखेंगे. एक न्यू रिच पर्सन बनकर आप “मिनी रिटायरमेंट” चूज़ कर सकते है. आप जब ज़रुरत पड़े तक काम करे वर्ना आराम. 50 साल बाद रिटायर होने के बजाये आप अपने प्रेजेंट टाइम में घूम फिर सकते है या फिर कोई होबी या शौक पूरा कर सकते है. आप अपनी लाइफ प्रोडक्टिव बनाने के साथ एन्जॉय भी कर सकते है. जैसे एक्जाम्पल के लिए, टिम फेरिस अपना एम् रखते है कि वोवन मन्थ एक अलग कंट्री में गुजारंगे. अगर ये नही तो टैंगो या किक बोक्सिंग करेंगे. टिम हर 2 मंथ्स काम करने के बाद एक मिनी रिटायर्मेंट लेते है. 

3. क्या ये लेज़िनेस है?

बिलकुल नहीं. द थर्ड न्यू रिच रूल्स है” लेस इस नोट लेज़िनेस”. जब आप लाइफ स्टाइल डिजाईन अप्लाई करते है तो मीनिंग लेस वर्क से आपको छुटकारा मिल जाएगा ताकि आप अपनी मोस्ट इम्पोर्टेन्ट चीजों पर फोकस कर पाए. न्यू रिच ऑफिस में कम टाइम स्पेंड करने के बावजूद सबसे ज्यादा इफेक्टिव होते है. क्योंकि बिजी होने का मतलब ज़रूरी नहीं कि काम भी प्रोडक्टिव ही हो. 

4. “आस्क फॉर फोरगिवनेस, नोट परमिशन”

लोग हमेशा ही आपको पीछे धकलने की फ़िराक में लगे रहेंगे चाहे आपका पार्टनर हो, आपके पेरेंट्स या आपका बॉस. बेशक उन्हें बुरा लगे तो लगे लेकिन अपनी सक्सेस के रास्ते में किसी को भी ना आने दे. आपकी बातो से उनका कोई बड़ा नुकसान नही होने वाला है. आगे बढ़ने के लिए आपको किसी की भी परमिशन लेने की ज़रुरत नहीं है. 

5. “एब्सोल्यूट इनकम से ज्यादा रिलेटिव इनकम इम्पोर्टेन्ट है”

दो टाइप की इनकम होती है, एब्सोल्यूट और रिलेटिव. अब एब्सोल्यूट इनकम बस आपकी सैलेरी होती है, जबकि रिलेटिव इनकम में आपकी सैलेरी और आपका वर्किंग अमाउंट ऑफ़ टाइम दोनों कंसीडर होते है. अब जैसे जेन और जॉन को ही ले लो. जेन की एनुअल इनकम $100,000 है जबकि जोन की बस $50,000. है और अगर हम सिर्फ मनी कंसीडर करे तो जेन टू टाइम रिच है. लेकिन हम यहाँ एक बिगर पिक्चर मिस कर रहे है. जेन एक्चुअल में वीकली 80 घंटे काम करती है जोकि इक्वल है $25 के जबकि जोन वीकली सिर्फ 10 घंटे ही काम करता है और उसका वन आवर $100 के बराबर है. तो एक्चुअल में कौन ज्यादा रिच है, जेन या जोन? “डोंट फोलो अ मॉडल डेट डज़ नोट वर्क” हम कई सालो से “रियल वर्ल्ड” और श्योर वे टू सक्सेस के तरीको के बारे में सुनते आ रहे है. लेकिन आप ही सोचो अगर कोई रेसिपी अच्छे रिजल्ट नहीं ला रही तो क्या आप फिर भी फोलो करेंगे?

 कोनक्वीरिंग फियर 

अपने डर पे काबू पाना 

अब आपको पता है कि न्यू रिच के बेनेफिट्स क्या है तो आप भी क्यों नही उनमे से एक बन जाते ? या आप डरते है ? या फिर इतने सालो से जो लाइफस्टाइल जी रहे है, उसकी आदत पड़ गयी है आपको. हैंस कीलिंग सेंचुरी सिटी, लोस एंजेलेस में एक कोर्पोरेट लॉयर थे जो 5 सालो से प्रेक्टिस कर रहे थे. इन पांच सालो उन्हें हर रोज़ मोर्निंग में सेम टाइम पे उठने की हैबिट थी. और हैंस को यही लाइफस्टाइल आगे 40 या 50 सालो तक और जीनी थी.एक बार ऐसा हुआ कि एक प्रोजेक्ट फिनिश करने के चक्कर में हैंस अपनी ऑफिस डेस्क के नीचे ही सो गए. और नेक्स्ट डे मोर्निंग में भी उसी पर काम करते रहे. ये प्रोजेक्ट काफी मुश्किल था और हैंस कीलिंग ने कसम खाई कि अगर उन्हें ऐसे दो और प्रोजेक्ट करने पड़े तो वो जॉब छोड़ देंगे. उसके बाद हैंस ने कोपाकाबना में एक लाइफ चेंजिंग वीकेंड स्पेंड किया.

उन्होंने ग्राउंड से 30,000 फीट की उंचाई पर पैरागलाईडिंग की. और जब वो नीचे उतर रहे थे तो उन्हें रियेलाईज़ हुआ कि हम लाइफ में जो भी रिस्क्स लेते वो बस वो शुरू शुरू में ही डराते है. और यही वो टाइम थे जब उन्होंने डिसाइड किया कि बस! अब काफी हो गया. अगली सुबह हैंस जब अपने लॉ ऑफिस पहुंचे और आते ही अपना रिजाइन लैटर दे दिया. हैंस ने वो सब बाते सुनी जो उनके कलीग्स ने उनसे कही, जैसे कि वो एक रोंग डिसीज़न ले रहे है, अपनी लाइफ बर्बाद कर लेंगे वगैरह वगैरह. लोग कहने लगे कि जब तुम्हारे पास इतना सब कुछ है तो तुम लाइफ में और क्या ढूंढ रहे हो? और क्या चाहिए तुम्हे? लेकिन इसका जवाब तो हैंस के पास भी नहीं था कि उन्हें क्या चाहिए? उन्हें तो बस इतना पता था कि कोर्पोरेट लॉयर की उनकी ये जॉब अब उनसे सही नहीं जाती.

उन्हें अब कलीग्स के साथ एक और डिनर अटेंड नहीं करना था जो अपनी लेटेस्ट गाड़ियों की बाते करे. क्योंकि हैंस को अब बस पीस ऑफ़ माइंड चाहिए था जिसके लिए वो एक अरसे से तरस रहे थे. एक साल बाद भी हैंस को कई सारी लॉ फर्म से जॉब ऑफर मिलते रहे. लेकिन अब वो अपनी लाइफ का एक नया चैप्टर खोल चुके थे. हैंस ने एक लीडिंग सर्फ-एडवेंचर का बिजनेस शुरू कर दिया था जिसका नाम था नेक्सस सर्फ. और वो ब्राजील की एक खूबसूरत जगह फ्लोरियानापोलिस शोर्स में रिलोकेट हो गए थे. वहां हैंस को एक वंडरफुल लड़की टीयाना मिली जो उनकी गर्लफ्रेंड बनी. अब वो क्लाइंटस को अटेंड नहीं करते थे बल्कि पाम ट्रीज़ के नीचे एन्जॉय करते थे.

अब वो अपनी पुरानी ओवर वर्कड और अंडरजोय्ड लाइफ से दूर जा चुके थे. जो रिस्क उन्होंने लिया वो उनकी लाइफ का मोस्ट अमेजिंग डिसीज़न था. हालांकि जब उन्होंने अपनी लॉयर की जॉब छोड़ी तो उन्हें फ्यूचर का कुछ पता नहीं था. लेकिन हाँ उन्हें ये ज़रूर पता था कि ये डर उन्हें पैराडाईज़ तक ले जाएगा. हर रोज़ हैंस उन क्लाइंट्स के साथ होते है जो उन्हें अपने ओल्ड शेल्फ की याद दिलाते है. ज़्यादातर इनमे से ऐसे प्रोफेशनल्स होते है जो अपनी स्ट्रेसफुल लाइफ से कुछ टाइम का ब्रेक लेकर यहाँ आते है. ये लोग अक्सर हैंस से कहते है” आई विश आई कुड डू व्हट यू डू” और हैंस हमेशा उन्हें बोलते है” “यू केन”. ,मगर थ्रिलिंग सर्फ सेशन के बाद ये कस्टमर कहते है” आई वुड बट आई कांट रियेली थ्रो इट आल अवे” और ये बात हैंस किलिंग से बैटर ये कौन जान सकता है.

अगर आप उसकी पोजीशन में होते तो क्या आप भी यही करते जो हैंस ने किया? क्या आप अपनी लाइफ का इतना बड़ा स्टेप उठा पाते? क्या आप अनसर्टेनिटी और फेलर ऑफ़ फियर फेस कर पाते? हम में से कई ऐसे होंगे जो अभी भी अपनी अनहैप्पी जॉब्स करते रहेगे क्योंकि हम हर हाल में अनसर्टेनिटी अवॉयड करना चाहते है. लेकिन अगर आप जॉब क्विट करके अपना पैसन फोलो करते है तो सोचो ज्यादा से ज्यादा बुरा क्या होगा? पॉसिबल है कि आप बहुत फ़िक्र करते हो. और जो भी आपके एक्शन के कोनसिक्वेंस होंगे वो परमानेंट को नहीं होंगे. आप उन्हें चेंज कर सकते है. और वर्स्ट केस सिनेरियो में आप रिकवरी के लिए पहले से ही अपने स्टेप्स प्लान कर सकते है फिर आप देखना कि ये रिस्क लेना उतना भी बैड आईडिया नहीं था. 

टेकिंग द डील 

अब आपको पता है न्यू रिच क्या होते है. और आपको लाइफ स्टाइल डिजाईन का टेस्ट भी मिल गया है. कोई भी बड़ा स्टेप लेना रिस्की ज़रूर होता है मगर ये वर्थ करता है. न्यू रिच डिफाइन करने के बाद हम इसके थ्री एस्सेस्ट्स की तरफ मूव करेंगे जोकि है फ्रीडम ऑफ़ टाइम, इनकम, और लोकेशन. तो आप फ्रीडम ऑफ़ टाइम कैसे पा सकते है? आपको सिम्पली ऐसे अनइम्पोर्टेन्ट चीजों को एलिमिनेट करना है जो आपका टाइम वेस्ट करे. आपकी इनकम पर आपका कितना फ्रीडम है? आपको इफेक्टिव सिस्टम ऑटोमेट करना है जो आपको रेवेन्यू देंगे और आपको इसे हमेशा चेक करने की भी ज़रूरत नहीं है. 

आप टास्क आउटसोर्स करते है जो बाकी लोग हैंडल कर लेंगे. आप लोगो को और प्रोसेस को माइक्रो- मेनेजिंग करना स्टॉप कर देते है. आप लोकेशन की फ्रीडम कैसे पा सकते है? खुद को लिब्रेट करके आप ऐसा कर सकते है. और ऐसा आप अपना यूजवल 9-5 एस्केप करके और मिनी रिटायर्मेंट लेके कर सकते है. एशेंशियली आप टेक द डील की मदद से न्यू रिच बनेंगे. इसमें डी का मीन्स हैडेफिनेशन, ई मीन्स एलिमिनेशन, ए मीन्स ऑटोमेशन और एल फॉर लिबरेशन. नेक्स्ट चैप्टर में हम एलिमिनेशन और अपने प्रीशियस टाइम पर फ्रीडम पाने के बारे में डिस्कस करेंगे. क्या आप टाइम मैनेजमेंट के एक्सपर्ट है? क्या आप डेली मल्टी टास्किंग करते है? यहाँ एक चीज़ हम बताते है कि टीम फेरिस कहते है कि इसके बारे में सब भूल जाओ. आपको रिडीक्यूलस लग रहा है? चलो 80/20 प्रिंसिपल और पार्किंसन के बारे में जानते है.  

80/20 प्रिंसिपल 

ये 80/20 प्रिसिपल क्या है ? इसे इकोनोमिस्ट विल्फ्रेडो परेटो ने प्रोपोज्ड किया था. इसलिए इसे परेटो का लॉ भी कहा जाता है. सिम्पली बोले तो इसका मीनिंग है कि आपके टोटल आउटपुट का 80% आपके 20% टोटल इनपुट से आता है. अगर आपका कोई बिजनेस है तो आपको रियेलाइज होगा कि आपके प्रॉफिट का 80% आपके 20% कस्टमर्स से आता है. ये वो लोग है जो हमेशा आपके ज्यादा प्रोडक्ट खरीदते है. अगर आप कोई एम्प्लोयी है तो आप नोटिस करेंगे कि आप अपना 80% रिजल्ट अपने 20% ऑफिस आवर्स में से प्रोड्यूस करते है. क्या आपने कभी नोटिस किया है कि रेगुलर 8 आवर्स के बजाये 2 आवर्स के ओवरटाइम से आपने ज्यादा रिजल्ट अकम्प्लिश किया हो. टीम फेरिस ने अपना बिजनेस चलाने के लिए डेली 15 आवर्स तक काम किया है.

वो हमेशा खुद को हेल्पलेस और ओवरव्हेल्म्ड फील करते थे. वो डेली सनराइज़ से पहले उठकर यू.के. में अपने कस्टमर्स को कॉल करते और रेगुलर 9-5 घंटे अपने यू.एस. वाले कस्टमर्स को फोलो किया करते थे. उसके बाद न्यूज़ीलैंड और जापान मार्किट के लिए फोन कॉल्स में लग जाते थे जो मिडनाईट तक चलती रहती थी. उस वक्त तक टिम को 80/20 के प्रिंसिपल के बारे में पता चल चूका था. तब उनके 120 व्होलसेल कस्टमर्स थे जिनमे से बस 5 ही रेगुलर आर्डर देते रहते थे फिर चाहे टिम उन्हें फोलो करे या नहीं. और वो कस्टमर्स आर्डर भी हमेशा बल्क में देते थे तो टिम ने डिसाइड किया कि वो बस इन्ही कस्टमर्स के उपर फोकस करेंगे नाकि उन सबको जो उन्हें हेडेक के अलावा और कुछ नहीं देते. टिम के दो ऐसे भी कस्टमर्स थे जो हमेशा ही उन्हें साथ आर्ग्यूमेंट किया करते थे जिसकी वजह से पूरा दिन टिम का मूड खराब रहता था. और अल्टीमेटली उन्होंने उन दोनों कस्टमर्स को इग्नोर करना शुरू कर दिया. तो क्या उन्हें कोई लोस हुआ?

एक्चुली टिम को उल्टा फायदा हुआ. उनके ज्यादातर कस्टमर्स हाईमेन्टेनेस वाले थे. उन के साथ काफी टाइम और एनर्जी खर्च होती थी मगर उनसे उतना बड़ा आर्डर नहीं मिलता था. परेटो के लॉ के अकोर्डिंग टिम अपने सिर्फ 5% कस्टमर से ही 95% प्रॉफिट कमाते थे. ज्यादा कस्टमर्स का मतलब ज्यादा प्रॉफिट हो, ये ज़रूरी नहीं. इसलिए टिम ने बाकी के अनयूज़फुल कस्टमर्स के बजाए सिर्फ उन्ही टॉप 5 पर फोकस किया जो उन्हें लार्ज आर्डर देते थे. हाई मेंटेनेस और लो यील्ड कस्टमर्स को अपनी लाइफ से एलिमिनेट करके वो काफी रिलेक्स फील कर रहे थे. और फिर सिर्फ एक महीने में ही उनका प्रॉफिट $30K से बढ़कर $60K हो गया.और उन्हें ज्यादा स्पेंड करने की भी ज़रूरत नहीं पड़ी क्योंकि उनके पास अब 5 डिपेंडेबल कस्टमर्स थे जो रेगुलरली बल्क आर्डर देते थे. अब उनके वीकली काम करने के घंटे 80 से सिर्फ 15 रह गए थे. सबसे इम्पोर्टेन्ट बात ये थी कि वो अब बेहद खुश और लिबरेटेड फील किया करते थे. और अब उनका बिजनेस भी पहले से ज्यादा बढ़िया चल रहा था. 

पार्किन्सन लॉ, मिनी रिटायरमेंट एंड द मोबाइल लाइफस्टाइल 

पार्किन्सन के लॉ के हिसाब से लेस टाइम यील्ड्स मोर रिजल्ट्स. मतलब कम टाइम में ज्यादा रिजल्ट मिलता है. अगर आप एक एम्प्लोयी है तो आपको अक्सर अपने टास्क फिनिश करने में 8 घंटे लगते है. लेकिन आप देख सकते है कि इसमें से ज़्यादातर टाइम आपका बेकार की इररेलेवेंट चीज़े करने में गुज़रता है. दरअसल आपको टास्क पूरे करने के लिए 8 आवर्स चाहिए ही नहीं. आप ऑफिस में फाइल अर्रंज करते घुमते रहते है, कलीग्स से बाते करते रहते है या फिर अपनी इमेल्स मैनेज करने में लगे रहते है. लेकिन आप इस सबसे कोई प्रोग्रेस नहीं कर रहे होते है.

“टाइम इसलिए वेस्ट होता है क्योंकि हमारे पास इतना सारा टाइम अवलेबल होता है” लेकिन ये सिर्फ आपका फाल्ट नहीं है. ये तो 9-5 ऑफिस कल्चर की गलती है. लेकिन अगर आप एक एम्प्लोयी तो भी आप रिमोट वर्क अरेंज करके एक्सीलेंट रिजल्ट डिलीवर कर सकते है. इसके लिए आपको ऑफिस में 8 घंटे बैठने की भी ज़रूरत नहीं है. आप घर से या किसी दूसरी कंट्री में बैठे बैठे भी अपने टास्क पूरे कर सकते है. डेव कैमारिल्लो 7 सालो से भी ज्यादा टाइम से एचपी में टेक सपोर्ट थे. वो 22 कंट्रीज़ और 45 स्टेट्स के कस्टमर्स की टेक प्रोब्लेम्स हैंडल करते थे. डेव 45 इयर्स के है. उनका जॉब छोड़कर खुद का बिजनेस खोलने का कोई प्लान नहीं है. उन्हें अपना काम पसंद है. लेकिन कोई था जिसने उनकी लाइफ चेंज कर दी. वो और कोई नहीं शुमे वू है. डेव उससे अपने शेनझेन के ट्रिप के दौरान मिले थे और फिर दोनों में प्यार हो गया.

अब वो दोनों 6 महीने से इस रिलेशनशिप को निभा रहे है. तो डेव आखिर शुमे के साथ कैसे रिलेशनशिप मेंटेन रखते है जबकि वो उनसे 5,913 माइल्स दूर है ? डेव अब पुराने वाले डेव नहीं थे जो अपने घर में स्पाइडरमेन वाली चड्डी पहन के प्ले स्टेशन पे गेम खेलते रहते थे. उन्हें तो अब एक परफेक्ट पार्टनर मिल गयी थी जिसके साथ वो ख़ुशी-ख़ुशी पूरी लाइफ बिताना चाहते थे. डेव अपनी टेक काल्स घर से ही रिसीव करते थे. बाद में उन्होंने अपना वन वीक का एक्सपेरिमेंट किया. उन्होंने चाइना का वन वे टिकट लिया और साथ में अपना रिलाएबल टी मोबाइल जीएसएम् ट्राई बैंड फ़ोन लेके गए. और फिर 12 टाइम जोन क्रॉस करने के बाद डेव ने जब शुमी को प्रोपोज़ किया तो उसने भी एक्सेप्ट कर लिया.

पूरी लाइफ टाइम के अपने सेकंड ट्रिप में डेव ने शुमी की फेमिली के साथ पूरे 30 दिन स्पेंड किये. वहां पालो आल्टो, एच. पी में किसी को भी उनकी एब्सेंस का पता नहीं चला क्योंकि डेव यूज्वल तरीके से बिजनेस कर रहे थे. जाने से पहले डेव ने सारी काल्स अपने मोबाइल फोन पर फॉरवर्ड का ऑप्शन डाल दिया था. जब फाइनली डेव ने अपने सीनियर्स को बताया तो उन्होंने सिर्फ इतना बोला” हम फोन का एक्सपेंस नहीं पे करेंगे” ना तो डेव जॉब से निकाले गए ना ही कोई उन पर चिल्लाया. उन्होंने हर समर सीजन में टू मंथ्स चाइना में रहने की फ्रीडम जो अर्न कर ली थी. वो इसे योरोप और ऑस्ट्रेलिया में रेगुलर बिजनेस ट्रिप के बदले कम्पन्सेट कर सकते है. “ मैंने अपनी लाइफ के 30 इयर्स में कभी ट्रेवल नहीं किया तो अब मै ऐसा क्यों ना करू? डेव कहते है. 

अगर आप एंटप्रेन्योर है तो आपको भी शायद 9-5 घंटे ऑफिस की आदत होगी. लेकिन क्या आपको वाकई लगता है कि मिलेनियर होने के लिए लॉन्ग आवर्स काम करना इतना ज़रूरी है? एक बार एक अमेरिकन टाईकून था जो एक बार मेक्सिको के एक छोटे से विलेज में वेकेशन पे गया. क्योंकि ऐसा उसके डॉक्टर ने उसकी हेल्थ ठीक करने के लिए बोला था. लेकिन अपने वेकेशन के फर्स्ट डे में ही उस बिजनेस टाईकून को अपने बिजनेस से रिलेटेड बैड न्यूज़ मिली. तो वो कुछ फ्रेश एयर लेने के लिए डॉक पे चला गया. वहां उसने एक फिशरमेन को देखा जिसके पास एक छोटी सी बोट थी. और उसने अभी अभी बड़ी-बड़ी येलो फिन ट्युना फिश पकड़ी थी. उस बिजनेस टाईकून ने उस फिशरमेन को इतने बढ़िया कैच के लिए कॉम्प्लीमेंट दिया. 

“कितना टाइम लगा तुम्हे इन्हें पकड़ने में? बिजनेसमेन ने पुछा. “बस थोड़ी देर” फिशरमेन ने कहा. तो इस पर बिजनेस ने फिर पुछा” तो तुमने ज्यादा फिश पकड़ने के लिए कुछ देर और वेट क्यों नही किया” “मेरी फेमिली और कुछ फ्रेंड्स के खाने लायक इतना काफी है” फिशरमेन ने कहा.“ तो फिर बाकी टाइम तुम क्या करते हो? फिशरमेन ने बताया कि वो अपने बच्चो का ख्याल रखता है, दोपहर में वो अपनी वाइफ के साथ नींद लेता है, रात में वो विलेज में अपने फ्रेंड्स से मिलने जाता है और वो सब मिलकर गिटार बजाते हुए वाइन पीते है. फिशरमेन की बात सुनकर बिजनेसमेन जोर से हंसा और उसने कहा” सर, मैंने हार्वर्ड से एम्. बी. ए. किया है और मै आपकी हेल्प कर सकता हूँ”

उसने फिशरमेन को सजेशन दिया कि उसे फिश पकड़ने में और ज्यादा टाइम लगाना चाहिए ताकि वो एक बड़ी सी बोट ले सके. और फिर ऐसे वो और बड़ी बोट ले सकता है. और फिर एक दिन उसके पास खुद की एक फिशिंग लाइन होगी. जब वो ज्यादा फिश पकड़ने लगेगा तो उसे मिडल मेन के साथ डील करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि कस्टमर्स को डाईरेक्टली सेल करने से उसे ज्यादा प्रॉफिट मिलेगा जिससे वो खुद की कंपनी स्टार्ट कर सकेगा. क्योंकि फिशरमेन के पास सारा कंट्रोल होगा, अपने प्रोडक्ट को प्रोसेस करने से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक. फिर बाद में वो चाहे तो अपना ये छोटा सा गाँव छोड़कर मेक्सिको सिटी या लोस एंजेलेस या फिर न्यू यॉर्क में भी रह सकता है. 

“मगर सर, इतना कुछ हासिल करने में कितना टाइम लग जाएगा? फिशरमेन ने पुछा. “15 या 20 साल, ज्यादा से ज्यादा 25 साल,” बिजनेसमेन ने ज़वाब दिया.“लेकिन तब क्या होगा सर? इस पर बिजनेसमेन फिर हंसा और बोला” यही तो बेस्ट पार्ट होगा. राईट टाइम आने पर तुम एक आईपीओ एनाउंस करोगे और अपनी कंपनी बेच दोगे. तुम्हे मिलियंस मिलेंगे. “मिलियंस, सर? लेकिन फिर क्या होगा,फिशरमेन ने कहा .तो बिजनेसमेन ने उसे बताया कि जब फिशरमेन के पास मिलेनियर होंगे तो उसे काम करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी. तब वो काम से रिटायर होके किसी छोटे से गाँव रह सकता है जहाँ वो देर तक सोया रहेगा और सुबह थोड़ी फिशिंग करेगा. अपने बच्चो का ख्याल रखेगा और दोपहर में वाइफ के साथ नींद लेगा और फिर शाम को अपने फ्रेंड्स के साथ गिटार बजाते हुए वाइन पिएगा. 

एलिमिनेट, ऑटोमेट एंड देन लिबरेट 

एक फिशरमेन भी न्यू रिच बन सकता है. इस स्टोरी का फिशरमेन उतनी ही येलो फिन ट्युना पकड़ता है जिसमे उसकी फेमिली का गुज़ारा हो जाए और ये काम भी वो बस कुछ घंटो के लिए ही करता है. तो बाकी टाइम वो क्या करता है? ये टाइम वो अपनी फेमिली और फ्रेंड्स के साथ स्पेंड करता है. वो अपने होमटाउन की ब्यूटी एन्जॉय करता है. अपने फ्रीडम ऑफ़ टाइम, इनकम और लोकेशन के साथ क्या आपको नहीं लगता कि वो फिशरमेन किसी मिलेनियर की लाइफ जी रहा है? 

अगर आप भी कोई एम्प्लोयी है तो आप भी डेव कैमाँरिलो के जैसे ऑफिस एस्केप कर सकते है. और अगर आप कोई एंटप्रेन्योर है तो आप कभी भी टिम फेरिस की तरह मिनी रिटायर्मेंट ले सकते है. टास्क एलिमिनेट करने के लिए और अपनी इनकम ऑटोमेट करने के लिए हम यहाँ कुछ और टिप्स शेयर कर रहे है. टेक द लो इन्फोर्मेशन डाईट. ऐसी किसी भी इन्फोर्मेंशन पर जो आपके काम या बिजनेस से रिलेटेड ना हो, ज्यादा फोकस ना करे जैसे कि आपके फ्रेंड्स की कोई लेटेस्ट गॉसिप या सोशल मिडिया. आपको न्यूज़ देखने या पढने से भी बचना चाहिए. आप पूछेंगे कि ऐसा क्यों? इनमे से ज़्यादातर नेगेटिव होती है और आपके कंट्रोल के बाहर. तो फायदा क्या? आप बिना न्यूज़ देखे भी एक अच्छे सिटीजन है.

• इमेल्स की वजह से आपका बहुत टाइम वेस्ट होता है.

ऐसा ना होने दे. हर बार इमेल रिसीव होने पर अपना इन्बोक्स खोलने की ज़रुरत नहीं है. दिन में एक बार ही अपनी इमेल्स चेक करने की आदत डाले. ऑटो रिप्लाई का ऑप्शन सेट करे. फॉरवारडेड मैसेजेस को अनस्बसक्राइब कर दे. 

• रिफ्यूजिंग एक आर्ट है, यानी मना करना सीखे 

स्माल टॉक्स या फालतू की चिट-चैट से खुद को दूर रखे फिर चाहे आप फ़ोन पर बाते कर रहे हो या इमेल भेज रहे हो या फिर किसी के साथ वन ओं वन कोंवेसेशन. खुद के साथ-साथ लोगो को भी पॉइंट टू पॉइंट बात करने के लिए एंकरेज करे. ताकि मुद्दे की बात की जा सके. 

• मीटिंग्स अवॉयड करे

मीटिंग्स टाइम कन्ज्यूमिंग होती है. और ज्यादातर लास्ट में प्रोब्लेम्स अनसोल्व्ड ही रह जाती है. ज्यादातर मामले वीडियो कॉल्स या इमेल्स से भी निपटाए जा सकते है. अगर आपको रिपोर्ट करना है तो खुद पहल करे और जब काम हो जाये तो बाहर आ जाए. हर मीटिंग या कोंफ्रेंस का एक टाइम लिमिट डिफाइन करे 

• टास्क आउटसोर्स करे जो आप वर्चुअल असिस्टेंट को असाइन कर सके. 

आप पर्सनल और बिजनेस रिलेटेड टास्क आउट सोर्स कर सकते है जो वेब साईट मेंटेनेन्स से लेकर अपने लव वंस के लिए गिफ्ट खरीदने तक कुछ भी हो सकता है. टास्क की लिस्ट एंडलेस होती है. बस ख्याल रहे कि इंस्ट्रक्शन क्लियर और प्रीसाइज हो. और अगर आप एम्प्लोयी है तो कंपनी की कोई इन्फोरमेशन डिसक्लोज ना करे. 

• डू नोट माइक्रो मैनेज 

अगर आप एंट्प्रेन्योर है तो अपने लोगो को इंडीपेंडेट होकर काम करना सिखाइए. उनके जजमेंट्स पर ट्रस्ट करे ताकि जब भी कोई प्रॉब्लम हो, उन्हें आपको बार-बार कॉल करने की ज़रूरत ना पड़े.. 

• कण्ट्रोल कस्टमर ऑप्शन 

अपने प्रोडक्ट की ढेर सारी वैराईटीज मत रखिये. पेमेंट और शिपिंग ऑप्शन लिमिट रखे ताकि आपको कम कम्प्लेंट्स मिले जिससे आपका स्ट्रेस भी कम होगा. अपने आइडियल कस्टमर ढूढने की कोशिश करे. क्या आप फोर्ड मोटर्स के मॉडल टी के बारे में पता है ? इसे “आल टाइम बेस्ट सेलिंग कार” माना जाता है. हेनरी फोर्ड ने कहा था” कस्टमर केन हेव एनी कलर ही वांट्स, सो लॉन्ग एज़ इट इज़ ब्लैक” कस्टमर सर्विस का मतलब पर्सनल बटलर होना नहीं होता है. इसका मतलब है अपने कस्टमर को अफोर्डेबल प्राइस में कम से कम टाइम में बेस्ट प्रोडक्ट देना.

कनक्ल्यूजन 

आपको हमने न्यू रिच और लाइफ स्टाइल डिजाईन के बारे में बताया. आपने 80/20 प्रिंसिपल और पार्किन्संस के लॉ के बारे में भी जाना. आपको हमने मिनी रिटायरमेंट और मोबाइल लाइफस्टाइल के बारे में भी बताया. आपने कुछ टिप्स भी सीखे जिससे टास्क एलिमिनेट किये जाए और इनकम ऑटोमेट हो सके. और अगर आप ये टिप्स अप्लाई करते है तो आपका ऑफिस में पूरा दिन बैठने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी. आप 9-5 कल्चर से खुद को लिबरेट रख सकते है. फिर आप देख्नेगे कि काम के अलावा भी लाइफ में काफी कुछ है करने को. ज़रा याद करो कि लास्ट टाइम कब आपने अपनी फेमिली और फ्रेंड्स के साथ बढ़िया सा टाइम स्पेंड किया था ? लास्ट टाइम कब आप आउट डोर गए थे? लास्ट टाइम आपने कब ऐसा कुछ किया था जो आपके वर्क से रिलेटेड नहीं था. तो इसलिए टेक द डील. ज्वाइन न्यू रिच और मिलेनियर की तरह जीने की आदत डाले.

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