Goals!: How to Get Everything You Want -- Faster Than You Ever Thought Possible By Hindi Summary
---------- About Book ----------
गोल सेटिंग सिर्फ एक वेग आईडिया नहीं है, आप इसे बिजनेस बुक में भी देखेंगे। ये कांसेप्ट सिर्फ हाई लेवल मैनेजर या एग्जीक्यूटिव के लिए नहीं है। गोल सेट करना सक्सेस का मेन इनग्रेडिएंट होताहै। यह बुक आपको सिखाएगी कि क्लियर गोल कैसे सेट करते हैं, और कैसे अचीव करते हैं। आप सक्सेसफुल, वेल्थी, खुश इंसान बन सकते हैं, सिर्फ अगर आपके पास गोल है।
इस समरी से कौन सीख पाएगा?
• वे लोग जो ज़िन्दगी मे ज्यादा प्रोडक्टिव, इफेक्टिव और पॉज़िटिव बनना चाहते हैं।
• जो भी गोल ओरिएंटेड हैं और हाई अचीवर बनना सीखना चाहते हैं।
ऑथर के बारे में
ब्रायन ट्रेसी एक फेमस मोटिवेशनल स्पीकर और ऑथर हैं। उन्होंने सेल्फ हेल्प के ऊपर 70 से ज्यादा किताबें लिखी हैं। वे ब्रायन ट्रेसी इंटरनेशनल के फाउंडर और सीईओ हैं, ये कंपनी लीडरशिप, सेल्स, पर्सनल डेवलपमेंट और अन्य चीजों की ट्रेनिंग देती है। ब्रायन के पास पब्लिक स्पीकिंग और लोगों को मोटिवेट करने का, 40 साल का एक्सपीरियंस है।
---------- SUMMARY ----------
Goals!: How to Get Everything You Want -- Faster Than You Ever Thought Possible
इंट्रोडक्शन
ब्रायन ट्रेसी ने १८ साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी थी, यहाँ तक की उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं की। उन्होंने बर्तन धोने, चौकीदारी और मजदूरी जैसे काम से शुरू कर, खेतों में, फैक्ट्री और लकड़ी काटने जैसे काम भी किए। उन्हें जो भी काम मिला उन्होंने वो सब कुछ किया।
आगे चलकर उन्होंने सेल्समैन का काम शुरू किया, जिसके लिए उन्हें घर घर जाकर सामान बेचना पड़ा। उन्हें यह मेहनत करनी पड़ी, क्योंकि अगर वो यह सब काम नहीं करते तो ना उन्हें खाने को खाना मिलता, ना रहने को घर।
एक दिन, ब्रायन ने पेपर पर एक गोल लिखा, कि उन्हें सेल्समैन के तौर पर महिने में 1,000 $ कमाना है। फिर उन्होंने उस पेपर को मोड़ कर अपनी जेब में रख लिया।
एक महीने बाद ब्रायन को एक बड़ा मौका मिला, उन्हें अपनी कमाई को तीन गुना करने का तरीका मिल गया था। जल्द ही वो एक ईफेक्टिव सेल्समैन बन गए।
उसी समय एक अमीर व्यवसायी ने कंपनी खरीद कर उसे संभालना शुरू किया । उसने जब ब्रायन का काम देखा, तो उसने ब्रायन को $1,000 का ऑफर दिया। अब ब्रायन का काम बेचना नहीं, बल्कि बेचना सीखना था। उसे अब लीडर बनकर, अपनी तीन गुना कमाई वाला तरीका दूसरों को सीखाना था।
ब्रायन ने यह जिम्मेदारी ले ली, और तब से उनकी ज़िन्दगी बदल गई।
ब्रायन अब सेल्स मैनेजर बन गए थे, उन्होंने दूसरे सेल्समेन को भी अपना गोल पेपर में लिखना सीखाया। ब्रायन का मानना था, कि तुम कौन हो या कहाँ से हो, यह मायने नहीं रखता। अगर तुम्हारे पास एक क्लियर और पक्का लिखा हुआ गोल है, तो तुम उसे जरूर पा लोगे।
ब्रायन को पता है कि यह सच है, क्योंकि वो यह तरीका लोगों को सालों से सीखा रहे हैं। 1980 से ब्रायन ने वर्कशॉप, सेमिनार और प्रैक्टिस मटेरियल दे कर, अपनी तरह दुनिया भर के लाखों लोगों को उनके गोल तक पहुँचने में मदद की है।
यह बुक आपको अपनी असल पोटेंशियल पहचानने में मदद करती है। इस बुक की मदद से आप अपने अंदर से नेगेटिव सोच को बाहर निकालना सीख सकते हैं, जो आपको आगे बढ़ने से रोकती है। इस बुक की मदद से आप अपना फ्यूचर खुद बनाना सीख सकते हैं, और खुद को सही दिशा की ओर ले जा सकते हैं। सबसे जरूरी बात, इससे आपको एक क्लियर फ़ोकस्ड गोल की शक्ति का आभास होगा।
इन सब की शुरुआत आप से ही होगी। अभी इस समय, आपके पास वो सब कुछ है, जिसकी आपको जरूरत है। ब्रायन ट्रेसी की यह बुक आपको अपने गोल को पूरा कर, एक ईफेक्टिव इंसान बनने में मदद करेगी।
अपनी पोटेंशियल को अनलॉक करें
सक्सेसफुल इंसान अपने गोल को जानता है, और हर दिन उस गोल को पाने के लिए मेहनत करता है। एक जरूरी बात जो आपको जाननी चाहिए वो ये है कि, आपने अब तक जो भी अचिव किया है, वो आपके असल पोटेंशियल का बस एक छोटा सा हिस्सा है। सबसे सक्सेसफुल इंसान जिसे आप जानते हैं, उसकी तरह आप भी एक्स्ट्राआर्डिनरी सक्सेस हासिल कर सकते हैं
हमेशा याद रखें, आप कहाँ से आए हैं , यह बड़ी बात नहीं, जरूरी ये है कि, आप कहाँ जा रहे हैं, या कहाँ पर जाना चाहते हैं। जो बीत गया उसे भुल जाएँ, जरूरी है वो जो अभी है, और जो आप आगे करने वाले हैं। एक क्लियर specific लिखा हुआ गोल ही आपकी सक्सेस की टिकट है।
ये सब आपके मन से शुरू होता है। आप अपने आसपास जो भी देख रहे हैं कम्प्युटर, मोबाइल फोन, कार और बाकी सब की शुरुआत एक सोच से हुई थी। एक समय इंटरनेट भी सिर्फ एक सोच ही था, सोच में इतनी ताकत होती है। आप अपनी सोच की ताकत से अपने ज़िंदगी को कंट्रोल कर सकते हैं, अपने फ्यूचर को खुद बना सकते हैं।
जैसी सोच आपके दिमाग में होती है, वैसे ही आप बनते हैं। आपकी सोच आपकी सच्चाई बन जाती है। और आप जिस बारे में हमेशा सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। अगर आप सफल लोगों से पूछें कि वे हमेशा किस बारे में सोचते हैं, तो आप जानेंगे कि वे सबसे ज्यादा उनके गोल और उसे पूरा करने के बारे में सोचते हैं।
वहीं अगर आप अनसक्सेसफुल लोगों से पूछें कि उनके मन में क्या है, तो वो आपको अपने दुख, परेशानी और रिजेक्शन के बारे में बताएँगे। वे हमेशा दूसरों को इस सब का दोषी ठहराएँगे।
क्या आप अंतर देख पा रहे हैं? सक्सेसफुल इंसान उन चीज़ों को अपनी ओर अट्रैक्ट करते हैं, जो वो हमेशा सोचते हैं। इसलिए वे सुखी और प्रॉस्पर ज़िन्दगी जीतें हैं। वो सक्सेसफुल हैं क्योंकि वो हमेशा सक्सेस के बारे में सोचते हैं।
जब तक आपके पास एक क्लियर गोल है और आप हर दिन पूरी मेहनत करते हैं, तो आप सक्सेस को अट्रैक्ट कर पाएँगे। आप सक्सेस पाने के लिए सही समय पर और सही जगह पर होंगे।
अगर आपका गोल, रोज काम करके, घर जाना और नेटफ्लीक्स देखना है, तो आप ये जरूर कर सकते हैं। लेकिन अगर आपका गोल अच्छा कैरियर, खुशी और एक्स्ट्राऑर्डिनरी सक्सेस है तो आप उसे भी जरूर पाएँगे।
यूनिवर्स को आपके गोल के लेवल या साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर आपके गोल सिंपल है, तो वह आपके हैं। लेकिन अगर आपके गोल बड़े और लाईफ चेंजिंग है, तो फिर वह आपके पास आएँगे।
अपना गोल पेपर पर लिखिये, वो क्लियर और सटीक होना चाहिए। उसे मेज़रेबल होना चाहिए। उसमें एक तय समय भी डालिए, जब तक आप अपना गोल अचिव करना चाहते हैं। जैसे आप लिख सकते हैं, दो साल में सीनियर मैनेजर बनना है, या साल के आखिर तक खुद का बिज़नेस करना है, या अगले छः महीने में अपनी इनकम तीन गुना करनी है।
यहाँ क्लियर लिखे हुए स्पेशिफिक गोल के इफेक्टिव होने का सबूत है। सन 1980 में हॉवर्ड मे गोल सेटिंग की इंपॉर्टेंस के ऊपर एक स्टडी की गई। स्टूडेंट से पूछा गया, "क्या तुम्हारे पास क्लियर लिखा हुआ गोल है? और क्या उसे पाने के लिए तुम्हारे पास स्पेशिफिक प्लान है?"
सिर्फ 3% पार्टिसिपेंट्स ने जवाब दिया हां। 13% के पास गोल तो है, लेकिन उन्होंने उसे लिखा नही है। 84% के पास कोई क्लियर गोल नहीं है। वे सिर्फ स्कूल टर्म के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वो गर्मी की छुट्टियों इंजॉय कर पाएं।
10 साल बाद, रीसर्चर्स ने उन्हीं सब पार्टिसिपेंट्स का इंटरव्यू लिया, जिससे उन्हें पता चला कि, वो स्टूडेंट्स जिनके पास गोल था, मगर उन्होंने उसे लिखा नहीं था, वो बिना गोल वाले स्टूडेंट्स से दुगना अर्न कर रहे हैं। आश्चर्य की बात तो ये है कि वो 3% स्टूडेंट जिनके पास लिखा हुआ गोल था, वे बाकी सब पार्टिसिपेंट्स की अर्निंग मिलाकर उससे दस गुना ज्यादा अर्न कर रहे हैं।
अगर आपका गोल अमीर बनना, खुश रहना या एक लविंग फैमिली होना है, तो यह काफी नहीं है। असल में ये गोल है ही नहीं, ये इच्छाएं हैं। अगर आपका गोल क्लियर, स्पेशिफिक और लिखा हुआ है, तो आप उसे अचीव करते ही समझ जाएँगे कि आप ने उन्हें अचीव कर लिया।
क्लियर गोल के साथ आप कभी भी राह नहीं भटकेंगे, आपकी हर मूव का एक परपस होगा। आपका हर कदम सही दिशा में होगा, हर दिन आप अपने गोल के पास आते जाएँगे। आप बेकार की चीज़ों में समय और ऐफर्ट बर्बाद नहीं करेंगे। हमेशा याद रखें, ज़िन्दगी छोटी है, आपको इसका भरपूर फायदा उठाना है।
टेक चार्ज ऑफ योर लाइफ
21 साल के ब्रायन गरीब थे, एक छोटे से घर में रहते थे, और एक फैक्ट्री में मजदूर का काम करते थे। ब्रायन के पास घूमने फिरने के लिए पैसे नहीं थे, तो वे घर में रहकर सोचा करते थे। एक ठंड की रात मे, ब्रायन कंपकंपाते हुए खिड़की के पास बैठे थे, तभी अचानक एक बड़ा ही अच्छा ख्याल उनके मन में आया, जिसने उनकी ज़िन्दगी बदल दी।
ब्रायन अपने घर से मिलो दूर थे, उनकी मदद के लिए उनके पास परिवार या दोस्त कोई नहीं था। तब उन्हें यह एहसास हुआ कि उनके पास उनके अलावा और कोई नहीं, जिन पर वह डिपेंड कर सकें। अगर उन्हें अपनी ज़िन्दगी बदलनी है, तो उन्हें यह खुद करना होगा। अब सब उन पर है।ब्रायन को यह एहसास हुआ कि, अपने हालात के लिए वे खुद ही रिस्पॉन्सिबल हैं।
बहुत से लोग अपने 40s या 50s की उम्र में अपने पेरेंट्स को गरीब होने या फिर अच्छी एज्युकेशन ना दे पाने के लिए ब्लेम करते हैं। वे अपनी परवरिश के बारे मे कमप्लेन करते हैं या अपनी फेलियर के लिए दूसरों को दोष देते रहते हैं। वे खुद को विक्टिम बना लेते हैं, और कभी ज़िन्दगी में आगे नहीं बढ़ पाते।
क्या आप इन लोगों की तरह बनना चाहते हैं? क्या आप खुद को इतना दुखी देखना चाहते हैं? अगर आप सच में सक्सेसफुल होना चाहते हैं, तो आपको सभी नेगेटिव इमोशन्स को छोड़ना होगा। गुस्सा, डर, जलन, असुरक्षा, ये सब सिर्फ आपको नीचे की ओर ले जाएँगे। यह सब आपकी एनर्जी और ज़िन्दगी की सभी अच्छी चीज़ों को, आपसे दूर ले जाएँगे।
एक बार जब आप इन सभी नेगेटिव इमोशन्स को निकाल देंगे, तब आप शांति, प्यार, खुशी और excitement एक्सपीरियंस कर पाएँगे। यह कुछ तरीके हैं जिनसे आप अपने अच्छे के लिए उन नेगेटिव इमोशंस को बाहर निकाल पाएँगे।
पहला तरीका यह है, जस्टिफाई करना बंद करना। ऐसा तब होता है जब आपको लगता है कि किसी कारण से आपको गुस्सा या नाराज होने का हक है।
जैसे कि, एक फैक्ट्री मजदूर को, कंपनी सेल्स कम होने और फाइनेंशियल क्राइसिस के कारण, काम से निकाल दिया गया। तब वह मजदूर अपने मालिक से गुस्सा होकर सोचने लगा कि यह अनफेयर है। उसे लगने लगा उसके मालिक को उससे कोई दुश्मनी है। और इसलिए, मजदूर ने कंपनी पर केस कर , मालिक के साथ इवन होने का सोचा।
जब तक वह मजदूर अपने गुस्से को जस्टिफाई करता रहेगा, जब तक वो सोचेगा कि उसका ये फील करना सही है, वो नेगेटिव इमोशंस उसे कन्जयूम कर लेंगे और उसकी ज़िन्दगी मिज़रेबल बना देंगे।
लेकिन अगर वह फैक्ट्री मजदूर यह रियलाइज करले कि, इसमें कुछ भी परसनल नहीं है, और वह पहला इंसान नही है जिसे जॉब से निकाला गया है, तब वो बैटर फील करेगा। उसे खुद से कहना चाहिए, "कोई बात नहीं, ऐसा होता रहता है, मुझे मूव ऑन करके, एक नया जॉब खोजना चाहिए।"
नेगेटिव इमोशंस को बाहर निकालने का एक दूसरा ईफेक्टिव तरीका है, रिस्पॉन्सिबिलिटी लेना। एक्सेप्ट करना कि आपकी सिचुएशन का, आपके अलावा और कोई रिस्पॉन्सिबल नहीं है। अगर कभी कुछ गलत होता है, तो खुद से कहिए कि "इसके लिए मैं रिस्पॉन्सिबल हुँ"। क्योंकि इस तरह आप दूसरों को ब्लेम करना बंद करके और खुद सल्यूशन खोजना शुरू कर सकते हैं।
जैसेकि, अगर आप ट्रैफिक में फस गए हैं, और बहुत इम्पोर्टेन्ट मीटिंग के लिए लेट हो रहे हैं, तो बहाने ना बनाए, या अपने गुस्सा को जस्टिफाई ना करें। एक्सेप्ट करें कि आपको उस दिन जल्दी जागना चाहिए था। आपको बैटर प्रिपरेशन करना चाहिए था। और अभी की सिचुएशन मे आप क्या कर सकते हैं उसपे फोकस करना चाहिए।
ये एक फैक्ट है कि, जिस इंसान को आप ब्लेम कर रहे हैं, और गुस्सा हो रहे हैं, वह इंसान आपके इमोशन कि केयर नहीं करता। वे लोग काम पर जाते हैं, खाते हैं, गाते हैं, मजे करते हैं, जबकि आप वहाँ बैठकर मिज़रेबल होते रहते हैं। आप गुस्सा हो कर, सिर्फ अपनी ही ज़िन्दगी और हार्ड बना रहे हैं।
एक टेक्निक है जिसे आप अप्लाई कर सकते हैं। सोचिए कि आप खुद अपने ज़िन्दगी के सीईओ हैं। आपके कैरियर, आपके रिलेशनशिप और आपके फाइनेंस में जो भी होता है, इनचार्ज बन कर, उसकी रिस्पॉन्सिबिलिटी खुद लिजिए। आप बॉस हैं। ऐसे डिसीजन लीजिए जिससे आप ज्यादा इनकम अर्न करें, आप ग्रो और एक्सपेंड करके, अपनी फुल पोटेंशियल पा सकें।
अपना फ्यूचर खुद बनाएँ
वो कौन सी क्वालिटी है जो इतिहास के सभी महान लिडर्स में है? वो है, उन सब के पास एक क्लियर विज़न होना। उन्हें पता है, उन्हें क्या चाहिए और उसे कैसे पाना है।लिडर्स फ्यूचर ऑरियेंटेड होते हैं, जबकि नॉनलिडर पास्ट ऑरियेंटेड होते हैं।
लीडर आज सही डिसीजन लेते हुए, अपने कई साल आगे के फ्यूचर को देख सकते हैं। हमेशा अपने गोल के बारे में सोचते हुए, वह रोज अपने गोल की ओर बढ़ते हैं।
वहीं नॉनलीडर्स अपने बीते हुए कल से बर्डन्ड रहते हैं। वह हमेशा अपने बीते हुए रिगरेट्स और मिस्टेक्स के बारे में सोचते रहते हैं, जिन्हें अब वह बदल नहीं सकते। नॉनलीडर्स उनके सामने जो है, उससे आगे और कुछ नहीं देख सकते। वह हमेशा प्रोब्लम और शोर्ट टर्म pleasure देखते हैं।
जिस समय आप लीडर्स की तरह सोचना शुरू करेंगे, आप उनकी तरह एक्ट और सक्सीड करने लगेंगे।
एकमात्र बाधा जो आपको आपके गोल को पाने की रोकती है, वह है आपकी सेल्फ लिमिटेड बिलीफ्स। आप सोच सकते हैं कि आपके पास पैसे, टैलेंट, इन्टेलिजेन्स, क्रिएटिविटी, स्किल्स, गट्स या गुड लुक्स की कमी है।
लेकिन इमैजिन कीजिए कि, आपके पास वह सभी है जो आप ज़िन्दगी से चाहते हैं। इमैजिन किजिए कि, आपके पास दुनिया भर का सारा पैसा है। सोचिए कि आज से 5 साल बाद आप कहाँ पर होंगे?
अपने वर्क लाईफ के बारे में सोचिए, अगर कुछ भी इम्पोसिबल नहीं होगा, तो आप क्या कर रहे होंगे? आपके पास किस तरह की स्किल्स होंगी? आप अपने कैरियर के किस लेवल पर होंगे?
अपने फाइनेंस के बारे में सोचिए, अगर स्काई लिमिट होती तो आपकी अर्निंग कितनी होगी? आपकी लाईफस्टाइल कैसी होगी? आपके पास बैंक में कितना पैसा होगा?
अपने रिलेशनशिप के बारे में सोचिए, आज से 5 साल बाद आप किसके साथ होंगे? अगर आपका फ्यूचर परफेक्ट है, तो आपकी फैमिली लाईफ कैसी होगी?
सक्सेसफुल लोग इसी तरह की सोचते हैं। उन्हें कोई ऑब्स्टीकल्स नहीं दिखती है। उन्हें अपने अचीव करने में कोई लिमिट दिखाई नहीं देती है। उनके पास कुछ अचीव ना कर पाने का कोई बहाना, कोई डर या कोई वजह नहीं होते। उनके लिए सिर्फ एक सवाल होता है "कैसे?"
हाई अचीवर्स ये नहीं सोचते "अगर मेरे पास यह होता" या "अगर मेरे पास वह होता"। वह हमेशा अपने गोल तक पहुँचने का रास्ता खोज लेते हैं। जब उन्हें कुछ चाहिए होता है, तब वह सोचते हैं कि, "मैं इसे कैसे पा सकता हूँ", फिर वे एक्शन लेते हैं। यह बस इतना ही सरल है। उनकी ज़िन्दगी में कोई बैगेज या कोई ड्रामा नहीं होता, इसलिए हाई अचीवर्स हमेशा आगे बढ़ते हैं।
अपने वैल्यूस को क्लियर रखें
लीडर्स और सक्सेसफुल लोगों को ये क्लियर पता होता है कि, वे कौन है और किसके पक्ष मे हैं। उनके वैल्यूज़ सोलिड होते हैं। वहीं साधारण लोग, अपने वैल्यूज़ और गोल्स को लेकर कनफ्यूज रहते हैं, इसीलिए वे कुछ भी हासिल नहीं कर पाते।
आपके वैल्यूज़ आपकी पर्सनैलिटी के कोर होते हैं। वो आपको डिफाइन करते हैं। आप ऑनेस्ट हैं या काइन्ड हैं या पेसेंट हैं, यह आपकी बाहरी ज़िन्दगी मे आपके वैल्यूज़ को रिफ्लेक्ट करता है। अगर आपके पास क्लियर वैल्यूज़ हैं तो आप इंसानी तौर पर और इफेक्टीव बनेंगे।
पर्सनैलिटी के 5 लेवल होते हैं। आप खुद को मल्टीपल लेयर्स वाला प्याज भी समझ सकते हैं। उन लेयर्स के कोर मे, सबसे बीच में, आपके वैल्यूज़ होते हैं। उसके बाद की लेयर है आपके बिलीफ्स यानि कि आपका खुद का विश्वास।
खुद के लिए और दुनिया के लिए आपके बिलीफ्स के पीछे का कारण है, आपके वैल्यूज़। अगर आपके वैल्यूज़ जेनरॉसिटि और कमपैसन जैसी पॉसिटिव है तो आप बिलीव करेंगे कि लोग भी उसी वैल्यूज़ द्वारा ट्रीट किया जाना डिसर्व करते हैं।
आपके पर्सनैलिटी का तीसरा लेयर है आपकी एक्सपेक्टेशन्स। पॉज़िटिव वैल्यूज़ बिलीफ बनाती है कि आप एक अच्छे इंसान हैं। जिसके कारण, आप भी कुछ अच्छा होना एक्सपेक्ट करते हैं। और इसीलिए, आप हमेशा सब लोगों में और सब हालातों में सिर्फ अच्छा ही देखते हैं।.
चौथा लेयर है, आपका ऐटिट्यूड। यह आपकी वैल्यूज़, बिलीफ्स और एक्सपेक्टेशन्स को लेकर बनता है। जैसेकि, अगर आप यह मानते हैं कि, दुनिया रहने के लिए एक अच्छी जगह है, तो आप बिलीव करेंगे की सक्सेस आपके पहुँच में है, और आप एक्सपेक्टे करेंगे कि, आपका हर दिन का एक्सपेरिएँस आपको आपके गोल के पास ले जा रहा है।
उसका रिजल्ट यह है, कि आपका ऐटिट्यूड लोगों की ओर पॉज़िटिव है और लोगों का response भी आपकी ओर पॉज़िटिव हैं। अगर आप हमेशा खुश और ऑप्टिमिस्टीक रहते हैं, तो लोग नेचुरली आपसे अट्रैक्ट होंगे।
वे आपके साथ रहना चाहेंगे। लोग आपके साथ काम करना चाहेंगे और हर तरफ से आपकी मदद करना चाहेंगे। इसलिए जब आप पॉज़िटिव ऐटिट्यूड रखेंगे तो ज़्यादा सक्सीड कर पाएँगे।
आपकी पर्सनैलिटी का पाँचवां लेयर या आउटर मोस्ट लेयर है आपके एक्शन्स। यह आपकी बाकी सभी लेयर्स का अल्टीमेट रिफ्लेक्शन है। अगर आप सक्सीड करते हैं, तो इसकी वजह आपके वैल्यूज़, बिलीफ्स, एक्सपेक्टेशन्स और ऐटिट्यूड है। इसका कारण लक या डेस्टिनी नहीं है।
अगर आप फेल होते हैं, तो आपको आपकी वैल्यूज़ की ओर वापस जाना होगा। खुद से पूछना होगा, "क्या मैं अपने वैल्यूज़ को ओर सच्चा हूँ? क्या मैं सच में अपने वैल्यूज़ के बेस मे ज़िन्दगी जी रहा हूँ?"
आपके फेल होने का, दुखी, स्ट्रेस्ड, नेगेटिव और फ्रस्ट्रेटेड होने का कारण है, आपके वैल्यूज़ और आपकी लाईफस्टाइल अलाइन्ड नही है। जैसेकि स्टीफेन कॉवी कहते हैं, "इससे पहले कि आप सक्सेस की सीढ़ी चढे़ं, यह पक्का कर ले, कि वह सही बिल्डिंग पर टिकी है।"
अपने असल गोल को डेटरमाइन करें
हमने इस बुक से जो भी सिखा, उसे हम एक शब्द में समराइज़ कर सकते हैं, वह शब्द है, क्लेरिटी।
सक्सेसफुल लोग इस बात को लेकर क्लियर होते हैं, कि वह कौन है और क्या चाहते हैं। जैसे उनके पास अपना गोल अचीव करने का ब्लूप्रिंट हो। उनके पास अपनी ज़िन्दगी आगे बढ़ाने का एक क्लियर आइडिया होता है।
वहीं एवरेज लोग, उस गली के कुत्ते की तरह होते हैं, जो रास्तों पर कारों का पीछा करते हैं। वे बिना कुछ हासिल किए, यहाँ से वहाँ भागते रहते हैं।
फ़र्क समझ में आया? जब आपके पास क्लेरिटी होगी, तो आपके पास डाइरेक्शन होगा। आप भटकेंगे नहीं। जो चीज़ें आपके गोल्स के साथ मैच नहीं करतीं, उनपर आप अपना टाइम और एफर्ट वेस्ट नहीं करेंगे। हर दिन और हर काम, आपको आपकी सक्सेस के पास ले जाएँगे।
आपको अपना गोल अचीव करने की इन्टेन्स डिज़ायर होनी चाहिए, इसलिए उन्हें पर्सनल होना जरुरी है। दूसरों ने जो गोल आपके लिए चुज़ किया है, उसे परस्यू ना करें। जिन लोगों से आप प्यार करते है, सिर्फ उन्हें खुश करने के लिए, किसी चीज़ पर aim ना करें।
आपके लिए बड़ा सवाल है, आप अपनी ज़िन्दगी के साथ सच में क्या करना चाहते हैं? क्या आपने फिगर आउट कर लिया है?
आपकी गाईड करने के लिए यहाँ कुछ आइडियास हैं। ये आपके गोल मे और क्लेरिटी लाने में मदद करेंगे।
अभी शायद आपको एक हल्का सा अंदाजा है, कि आपको क्या चाहिए। आप साधारण गोल से शुरू कर सकतें हैं, फिर और सटीक गोल की ओर आगे बढ़ सकते हैं। खुद से पूछिए।
पहला, अभी आपके करियर में तीन मोस्ट इम्पोर्टेन्ट गोल्स क्या हैं?
दूसरा, अभी आपके फाइनेंस में तीन मोस्ट इम्पोर्टेन्ट गोल्स क्या हैं?
तीसरा, अभी आपके रिलेशनशिप्स में तीन मोस्ट इम्पोर्टेन्ट गोल्स क्या है?
उन्हें एक पेपर में लिख लेना सबसे सही है। अब देख पाएँगे कि गोल सेटिंग करना कितना क्लियर और सिम्पल है।
जब आप अपने गोल के बारे में सोचते हैं, तो आप अपनी चिंताओं के बारे में भी सोचते होंगे। हो सकता है आप कागज पर लिखना शुरू करें, फिर किसी कन्शर्न के कारण स्क्रेच कर दे।
आप अपनी प्रोब्लम्स और डेली चिंताओं भी लिख सकते हैं। आपको क्या परेशान करता है? वह क्या है जो आपको, जो आप चाहते हैं वह पाने से रोकता है?
यह एक technique है, जो आसानी से और जल्दी से आपकी चिंताओं को दूर करने मे आपकी मदद करेगी। क्या आप “Ockham’s Razor” कॉन्सेप्ट के बारे मे जानते हैं? ब्रिटिश फिलोसोफर विलियम ऑफ ऑक्हम ने यह प्रॉब्लम सॉल्विंग मेथड सदियों पहले बनाया था।
Ockham’s Razor के अनुसार, "सिम्पलेस्ट और मोस्ट स्ट्रेटफॉरवर्ड सल्यूशन, जिसमें सबसे कम स्टेप्स हो, आमतौर पर किसी भी प्रोब्लम का वही बेस्ट सल्यूशन है।
लोग अक्सर चीज़ें जितनी होती हैं उससे ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड बना देते हैं। वे प्रोबलम्स सोल्व करने में और बड़ी और कठिन बना देते हैं। लेकिन इसमें टाइम ज़्यादा लगता है और ये इनइफैक्टीव है। अपनी ज़िन्दगी की किसी भी प्रोबलम को सोल्व करने के लिए Ockham’s Razor को यूज़ करें।
जैसेकि, कई सेल्समैन ने ब्रायन से पूछा, कि वे अपनी इनकम को दोगुनी कैसे कर सकते हैं? तो ब्रायन ने सिर्फ उन्हें बताया "आपकी कमाई बढ़ाने का तेज़ और आसान रास्ता क्या है?" सेल्समैन्स ने कई कॉम्प्लिकेटेड जवाब दिए। लेकिन ब्रायन सिर्फ एक क्लियर और स्ट्रेटफॉरवर्ड सल्यूशन देखते हैं।
वह है, आप अपने बेस्ट क्लाइंट से पर्सनली इन्टरेक्ट करने मे जो समय देते हैं, उसे डबल कर दें। ये वो लोग है जो आपसे चीजें खरीद सकते हैं। अगर आप अपना ज्यादा समय, अपने मोस्ट वैल्यूएबल क्लाइंट्स पर फोकस करने मे लगाएँगे, तो आपकी सेल्स बढ़ती जाएगी।
ये एक फैक्ट है, कि एवरेज सेल्समैन हर दिन 90 मीनट प्रोस्पेट से बात करते हुए बिताता है। लेकिन नम्बर 1 सेल्समैन उससे दोगुना या तीन गुना समय लगाता है। हाईएस्ट पेड सेल्समैन अपना स्केड्युल प्लान करता है, जिससे वो अपना मेज्योरिटी समय वीआइपी क्लाइंट्स पर लगा पाता है, और इसलिए वह ज्यादा अर्न कर पाता है।
अब आप पूछ सकते है कि, "मै अपनी प्रोडक्टिविटी दोगुना कैसे कर सकता हूँ?" क्या आपने कभी 80/20 प्रिंसिपल के बारे मे सुना है?
इकॉनोमिस्ट वीलफ्रेडो परिटो के अनुसार, आपके बेस्ट आउटपुट का 80%, आपके बेस्ट इनपुट के सिर्फ 20% से आता है। काम करते हुए, ज्यादातर लोग मल्टीटास्किंग करते है। उन्हे लगता है, ये उन्हें ज्यादा प्रोडक्टिव बना रहा है, क्योंकि वो बहुत से काम मे एक साथ बीज़ी है। लेकिन क्या यह सच मे ईफेक्टिव है?
जैसेकि, जब आप ऑफिस जाते हैं, आप ईमैल चेक करतें हैं, कुछ फोन कॉल करतें हैं, कुछ पेपरवर्क करते हैं, यहाँ वहाँ जाते हैं और कलीग्स के साथ बात करते हैं। तब तक लंचटाईम हो जाता है, और आप तब तक आपने कुछ भी इम्पोर्टेन्ट काम नहीं किया होता।
80/20 प्रिंसिपल कहता है, मोस्ट इम्पोर्टेन्ट टास्क पर फोकस किजिए। आपके सभी काम का सिर्फ 20%,आप के लिए आपके रिज़ल्ट का मेज्योरिटी या 80% लाता है। तो अगर आप उस 20% को प्रायोरिटाइज़ करतें हैं, अगर आप अपना टाइम और एफर्ट अपने मोस्ट इम्पोर्टेन्ट टास्क मे ज्यादा इनवेस्ट करते हैं, तब आप कई गुना अधिक प्रोडक्टिव बन सकते हैं।
देखा, Ockham’s Razor और 80/20 प्रिंसिपल के साथ, आप अपनी प्रोबलम्स सोल्व कर सकते हैं, अपनी इनकम और प्रोडक्टिविटी को बहुत ही कम समय में कई गुना बढ़ा सकते हैं।
और एक चीज़ जिसे आपको याद रखना चाहिए, वह यह है कि, हाई अचीवर्स इंतजार नहीं करते। वह कुछ ना करते हुए बैठे नहीं रहते। टेक एक्शन। मेक योर मूव। गैट गोइंग। आपको सेन्स ऑफ अर्जेन्सि होनी चाहिए। हर एक पल कीमती है। आपको उसे सही चीज़ों पर ख़र्च करना चाहिए।
ये टेक्निक आपके लिए बहुत हेल्पफुल होगी। इमैजिन कि आपके पास ज़िन्दा रहने के लिए सिर्फ 6 महीने हैं। इमैजिन कि डॉक्टर ने कहा है कि, आपको टर्मिनल इल्नेस है, और अभी से 6 महीने में आप मर जाएँगे।
तो आप क्या करेंगे? आप कहाँ जाएँगे? मोस्ट लाईकली तब आप क्लेरिटी देखें पाएंगे। जब आपके पास सिर्फ 6 महीने जीने के लिए हैं, तब आप मोस्ट इम्पोर्टेन्ट लोगों और चीज़ों फोकस पर करेंगे। कोई भी ऐसा इंसान, जिसके पास सिर्फ 6 महीने जीने के लिए हो, वो ये नहीं कहेगा कि, "वैल, मुझे डेस्क में बैठकर अपने ईमेल ऑर्गनाइज़ करना चाहिए।"
कन्क्लूज़न
इस बुक में आपने गोल सेटिंग के बारे में सीखा। आपको सक्सीड करने के लिए क्लियर, स्पेसिफिक, रिटेन गोल चाहिए।
आपने अपने पोटेंशियल को अनलॉक करना सीखा। सोच पावरफुल है। अगर मोस्ट ऑफ द टाइम आप उस चीज के बारे में सोचें जो आपको चाहिए, तो आप उसे अपनी ओर अट्रैक्ट करके पा लेते हैं।
आपने सीखा कि अपनी जिंदगी का चार्ज खुद कैसे लेते हैं। जस्टिफाइंग करना बंद करना और जिम्मेदारी लेना। आप अपनी जिंदगी के सीईओ हैं। जो कुछ भी हो वो इंटायरली आप पर है।
आपने अपनी पर्सनैलिटी के 5 लेयर्स के बारे में सीखा। आप की वैल्यूज़ आपके वेरी कोर में है वे आपके बिलीफ्स, एक्सपेक्टेशन्स, एटीट्यूड और एक्शन्स डिटरमाइन करते हैं। अपने वैल्यूज़ के प्रति हमेशा सच्चे रहें और ईमानदार रहें।
आपने Ockham’s Razor और 80/20 प्रिंसिपल के बारे में सीखा। आसान सलूशन ही सही आंसर है। मोस्ट इंपोर्टेन्ट टास्क सबसे बड़ा रिजल्ट देते हैं।
क्या अब आपने समझा की गोल्स कितने इंपॉर्टेंट हैं? जिंदगी में सक्सीड करने के लिए वो ज़रूरी हैं। आप कौन हैं और आपका बैकग्राउंड क्या है, ये मैटर नहीं करता, अगर आपके पास क्लियर गोल है, तो आप जैसी भी ज़िन्दगी जीना चाहते हैं जी सकते हैं। आप जैसे इंसान बनना चाहते हैं बन सकते हैं। कुछ भी आपको अपने गोल्स को अचीव करने से नहीं रोक सकता है।
------------------------------
Goals!: How to Get Everything You Want -- Faster Than You Ever Thought Possible
JOIN TELEGRAM FOR AUDIOBOOKS
Recommended : High Performance Habits By Brendon Burchard Hindi Summary