HARD DRIVE Bill Gates and the Making of the Microsoft Empire Hindi Summary

HARD DRIVE Bill Gates and the Making of the Microsoft Empire James Wallace and Jim Erickson Hindi Summary


HARD DRIVE Bill Gates and the Making of the Microsoft Empire hindi

---------- About Book ----------

HARD DRIVE Bill Gates and the Making of the Microsoft Empire

SUMMARY

इंट्रोडक्शन (Introduction)

जब भी हम बिल गेट्स का नाम सुनते हैं तो हमारे मन में माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर, एक बिल्यनेर और एक परोपकारी इंसान का ख़यातल आता है. उन्होंने कैसे और कहाँ से  शुरुआत की? उनका बैकग्राउंड क्या है? वो कौन सी क्वालिटीज़ हैं जिनकी वजह से बिल गेट्स इतने सक्सेसफुल हुए?  उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की शुरुआत कैसे की? इस बुक में आप इन सभी बातों और इससे भी ज्यादा के बारे में जानेंगे. 

बिल गेट्स की जितनी भी तारीफ की जाए वो कम ही होगी, वो सच में इस प्रशंसा के हकदार हैं. पैसा, नाम और सक्सेस से ज्यादा बिल एक स्ट्रोंग विल पॉवर और पर्सनालिटी वाले इंसान हैं.उन्हें हमेशा से साफ़ साफ़ पता था कि उन्हें क्या चाहिए और अपनी मंजिल को पाने  के लिए उन्होंने अपना पूरा समय और एनर्जी उसमें लगा दिया था.

दुनिया की सबसे बड़ी पर्सनल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनी बनाने के बाद उन्होंने लोगों की मदद और सेवा के लिए दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट चैरिटी  इंस्टिट्यूशन भी बनाई. तब से लेकर आज तक बिल गेट्स एक रेवोलुशन लाने में और लोगों के जीवन में सुधार करने के मिशन में लगे हुए हैं.

द अर्ली इयर्स (The Early Years)

बिल गेट्स का जन्म एक बहुत अमीर घराने में हुआ था. उनके दोनों पेरेंट्स हाई सोशल बैकग्राउंड से थे. उनके पिता लॉयर थे और माँ समाज सेवा का काम किया करती थी. लेकिन बिल गेट्स को सफलता उनके पैसे या सोसाइटी में उनके स्टेटस की वजह से नहीं मिली है. जो लोग उन्हें करीब से जानते थे वो उनके टैलेंट और स्ट्रोंग पर्सनलिटी के गवाह हैं. 

बिल गेट्स का बचपन बहुत ख़ुशहाल था. उनका परिवार एक दूसरे के बेहद करीब था. उनकी दादी उन्हें बुक्स पढ़ने के लिए कहा करती थीं. वहीँ उनके पिता उन्हें स्पोर्ट्स खेलने के लिए मोटीवेट करते थे. उनकी माँ हमेशा कोई ना कोई फॅमिली एक्टिविटी प्लान करती रहती ताकि परिवार के लोग ज्यादा से ज्यादा समय साथ बिता सकें. डिनर का समय गेट्स परिवार के लिए ख़ास समय होता था. बिल और उनकी बहनें अपने पेरेंट्स से खुल कर बातचीत किया करते थे. पूरा परिवार डिनर टेबल पर साथ बैठ कर दिलचस्प चर्चा करता था.

बिल ने जितने भी गेम्स सीखे, फिर चाहे वो चुस्ती फुर्ती का कोई गेम हो या बुद्धि का, वो हमेशा हर गेम में बराबरी की टक्कर देते और हमेशा जीतने की कोशिश करते थे. बिल और उनकी बहनें आपस में मुकाबला करते कि कौन सबसे पहले 300 पीस की पज़ल को सोल्व कर पाता है. बिल पिकल बाल खेलने में माहिर थे.वो कंट्री क्लब के स्विमिंग पूल में अपने दोस्तों के साथ रेस लगाया करते थे. 

बिल जब 11 साल के हुए तो उनके पेरेंट्स ने लेक साइड हाई स्कूल में उनका एडमिशन कराया. वो सीएटल का सबसे महंगा स्कूल था. लेक साइड स्कूल अपने हाई एजुकेशनल स्टैण्डर्ड के लिये जाना जाता था. इसी स्कूल में बिल को काम करने का जोश और ज्यादा नॉलेज मिला. यहाँउनके बिज़नेस मैनेजमेंट की स्किल और भी ज्यादा डेवलप हुई. 

लेक साइड हाई स्कूल पूरी कंट्री में पहला  स्कूल था जिसने कंप्यूटर एजुकेशन स्टार्ट किया था. सारे स्टूडेंट्स टेलिटाइप मशीन के बारे में जानने और उसे इस्तेमाल करने के लिए बहुत excited थे. बिल गेट्स के मैथ्स टीचर उनकी क्लास को पहली बार कंप्यूटर क्लास में लेकर गए. बिल ने टेलिटाइप मशीन पर कुछ इंस्ट्रक्शन टाइप किया और जब मशीन ने उसका जवाब लिखा तो वो बहुत हैरान और खुश हुए. 

बस उस दिन से बिल अपना सारा खाली समय कंप्यूटर रूम में बिताने लगे. कुछ स्टूडेंट्स जिन्हें कंप्यूटर में दिलचस्पी थी वो बिल के साथ हमेशा वहाँ होते थे. उनमें से एक पॉल एलन थे. 

बिल और पॉल बहुत गहरे और जिगरी दोस्त बन गए. वो दोनों कंप्यूटर के अलग अलग प्रोग्राम बनाने के एक्सपर्ट बन गए थे. उन दोनों को कंप्यूटर बेहद पसंद था. उन दोनों की  टीम में जहां बिल जोशीले और दूर की सोचने वाले इंसान थे जबकि पॉल मिलनसार  और मीठा बोलने वाले इंजिनियर थे. 

13 साल के बिल ने कंप्यूटर के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने के लिए जो हो सकता था किया.वो खुद कंप्यूटर सीखने की कोशिश करते रहे क्योंकि वहाँ के टीचर्स को भी कंप्यूटर की पूरी जानकारी नहीं थी. 

कुछ ही महीनों में बिल ने कंप्यूटर में टिक टैक टो और मोनोपोली जैसे गेम्स का प्रोग्राम  बना दिया था. ये उन्होंने 1964 में बनाई गई “BASIC(बेसिक) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज” की मदद से किया था. “BASIC” बाइनरी कोड का इस्तेमाल करती है. बाइनरी कोड मतलब  सिर्फ “0” और “1” की भाषा ही समझती है. 

बिल मैथ्स में बहुत होशियार थे, पूरे लेक साइड स्कूल में कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता था. उन्होंने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से मैथ्स में आगे की पढ़ाई पूरी की. इसके अलावा, बिल को कंप्यूटर जीनियस भी कहा जाता है. यहाँ तक कि उनकी उम्र से बड़े स्टूडेंट्स भी उनके पास प्रोग्रामिंग के बारे में पूछने आया करते थे. 

लेक साइड स्कूल में हर कोई बिल को जानने लगा था. वो मैथ्स और कंप्यूटर में इतने कुशल थे कि लगता था जैसे वो कोई जादूगर हों. हालांकि, सारे स्टूडेंट्स जानते थे कि पॉल ज्यादा मिलनसार और फ्रेंडली हैं और उनसे बात करना ज्यादा आसान है. 

जब पॉल 10th क्लास और बिल 8 में थे तो उन्होंने कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रखने वाले कुछ स्टूडेंट्स के साथ मिलकर लेक साइड प्रोग्रामर्स ग्रुप बनाया. वो कंप्यूटर की दुनिया में कोई ना कोई बिज़नेस शुरू करने का मौका ढूंढ रहे थे. बिल ने पूरे ग्रुप को दुनिया का ध्यान अपनेबनाएहुए प्रोडक्ट और प्रोग्राम की ओर खींचने और उसे बेचने के लिए encourage किया.  

इट’स गोइंग टू हैपन  (It’s Going to Happen)

बिल के पेरेंट्स ने उन पर कभी लॉयर या कुछ और बनने के लिए दबाव नहीं डाला. वो बस चाहते थे कि बिल कॉलेज जाएं और दूसरे स्टूडेंट्स के साथ घुले मिले, उनसे बातचीत करें. इसलिए बिल ने 1973 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ज्वाइन किया. उस समय उन्हें पता ही नहीं था कि उन्हें अपनी ज़िन्दगी में क्या करना है. बिल हार्वर्ड के लोगों से और भी ज्यादा सीखना चाहते थे लेकिन उन्हें ये जानकार बहुत निराशा हुई कि वहाँ के लोग भी उनसे बहुत ज्यादा नहीं जानते थे. 

उन्होंने प्री लॉ कोर्स चुना था लेकिन वो अपना ज़्यादातर समय हार्वर्ड के एकेन कंप्यूटर सेंटर में बिताते थे. अपने पहले साल में, बिल ने “BASIC” का इस्तेमाल करके PDP 10 minicomputer में बेसबॉल गेम का प्रोग्राम बनाया. इसके लिए उन्हें कई हफ़्तों तक बेहद मुश्किल अल्गोरिथम को हल करना पडा. ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि स्क्रीन पर थ्रो, हिट और पकड़े गए बेसबॉल का फिगर दिखाया जा सके. 

ऐसा कहा जाता है कि बिल सुबह 3 बजे नींद में बातें किया करते थे. वो नींद में प्रोग्राम की भाषा बड़बड़ाया करते जैसे, “वन कौमा, वन कौमा, वन कौमा....”बिल को नए कंप्यूटर गेम्स जैसे स्पेस वार्स और पोंग की लत लग गई थी. स्पेस वॉर्स को MIT (मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ,कैंब्रिज में एकप्राइवेट रिसर्च यूनिवर्सिटी है) में बनाया गया था जबकि पोंग को नोलन बुशनेल  ने बनाया था जो अटारी इंक. के फाउंडर हैं. 

बिल लड़कियों से दोस्ती करने के मामले में अनाड़ी थे, आप उन्हें स्कोर 1/10 दे सकते हैं और पैसा कमाने के मामले में महारथी तो इसमें आप उन्हें 10/10 दे सकते हैं. माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत करने से पहले भी उनके 2-3 छोटे छोटे काम थे. बिल के जैसे कई और स्टूडेंट्स भी मैथ्स और फिजिक्स के जीनियस थे लेकिन बिल सबसे अलग थे. उन्हें असली दुनिया में काम करने का बहुत अनुभव हो चुका था. 

पर्सनल कंप्यूटर का ज़माना आ गया था. बिल और पॉल बहुत excited थे. वो जानते थे कि जैसे कार और एयरप्लेन के इन्वेंशन ने दुनिया को बदल कर रख दिया था उसी तरह पर्सनल कंप्यूटर भी हिस्ट्री को बदल कर रख देगा. पॉल हमेशा कहते कि“ये होगा, ये होने जा रहा है”. वो बिल से कहते रहते कि कंपनी शुरू करने का ये बिलकुल सही समय है क्योंकि टेक्नोलॉजी तो पहले से ही तैयार है.ऐसा भी एक समय था जब बिल बहुत कंफ्यूज थे कि उन्हें लाइफ में आखिर करना क्या है. उन्हें पोकर खेलने का नशा हो गया था. पहले तो उन्हें सीखने में काफी समय लगा लेकिन जब उन्होंने टेक्नीक को समझ लिया तब वो हर गेम ऐसे जीतने लगे जैसे दूसरे सारे गेम जीता करते थे. 

वो हॉस्टल में स्टूडेंट्स के साथ पोकर खेलने चले जाते थे. कभी कभी तो 2,000 $ तक बेट पहुँच जाती थी. जब वो पोकर नहीं खेलते तो एकेन कंप्यूटर सेंटर में समय बिताते थे. वो अक्सर टेबल पर कंप्यूटर के पास ही सो जाते थे. इस बीच, पॉल हनीवेल में काम कर रहे थे. ये वक़्त बिल के लिए काफी मुश्किल था. पॉल ही उन्हें मुश्किलों के निकलने में मदद करते थे. 

दिसम्बर 1974 का साल था. बाहर कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. पॉल अपने बेस्ट फ्रेंड बिल से मिलने हार्वर्ड पहुंचे. चलते चलते उनकी नज़र“पॉपुलर इलेक्ट्रॉनिक्स” मैगज़ीन पर पड़ी. कवर पर कुछ और नहीं बल्कि अल्टेयर 8800 की तस्वीर थी जो दुनिया का पहला माइक्रो कंप्यूटर किट था जिसे लोगों के सामने लाया गया था. 

पॉल उसे देख कर बहुत excited थे. वो अपने दोस्त को ये कवर दिखाने उनके रूम की तरफ दौड़े. अल्टेयर 8800 दिखने में लाइट और टॉगल स्विच के मेटल बॉक्स जैसा था. पॉल ने कहा कि अल्टेयर को “BASIC” लैंग्वेज से प्रोग्राम करने का ये कमाल का मौका था. 

अल्टेयर 8800 को एड रोबर्ट्स ने बनाया था. वो एक बड़े आदमी थे जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स से बहुत प्यार था. उन्होंने अपनी कंपनी MITS (Micro Instrumentation and Telemetry Systems) की शुरुआत की. उनका ऑफिस अल्बुकर्क, न्यू मेक्सिको में  एक मसाज पार्लर और लांड्री के बीच में बना हुआ था. 

अल्टेयर नाम स्टार ट्रेक सीरीज से लिया गया थाऔर इसकी मेमोरी 4,000 bytes थी. इसमें मॉनिटर और कीबोर्ड नहीं था. कंप्यूटर में कुछ लिखने के लिए और उसका रिजल्ट देखने के लिए स्विच और लाइट का इस्तेमाल होता था. अल्टेयर में हाई प्रोग्राम  लैंग्वेज की ज़रुरत थी. मगर ये पहला कंप्यूटर था जिसे लोगों को बेचा गया था जिसकी कीमत बहुत कम रखी गई थी, बस 397$. 

जब से एड ने पॉपुलर  इलेक्ट्रॉनिक्स मैगज़ीन में अल्टेयर का एडदेखा था तब से उनके पास टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर को पसंद करने वाले लोगों के फ़ोन आने लगे थे. उन सब का दावा था कि इस माइक्रो कंप्यूटर किट में वो “BASIC” लैंग्वेज डाल सकते थे. 

बिल और पॉल इतने excited थे कि उन्हें नींद ही नहीं आ रही थी. उन्होंने हार्वर्ड से अल्बकुर्क फ़ोन लगाया. एड ने बताया कि कई प्रोग्रामर्स ने दावा किया था कि अल्टेयर में वो “BASIC” लैंग्वेज डाल सकते थे. उन्होंने बिल और पॉल से कहा कि अगर वो MITS ऑफिस आकर अल्टेयर को स्टार्ट कर देंगे तो ये डील उन्हें मिल जाएगी. 

पर सच तो ये था कि बिल और पॉल ने अभी तक काम शुरू भी नहीं किया था. अभी तक तो उनके पास अल्टेयर मशीन भी नहीं था. उन्हें हार्वर्ड में मौजूद PDP-10 से ही काम चलाना पड़ा. सबसे पहले उन्होंने अल्टेयर के माइक्रो चिप इंटेल 8080 का मैन्युअल पढ़ा. 

बिल ने अपना पूरा ध्यान “BASIC” कोड लिखने में लगा दिया और पॉल PDP-10 पर काम करने में लग गए. वो इंटेल 8080 की तरह ही काम करने वाला एक मॉडल था. पॉल ने कहा कि वो एकदम सही समय पर सही जगह में थे. ऐसा इसलिए क्योंकि इस काम को करने के लिए उनके पास अब बहुत एक्सपीरियंस और टैलेंट था. 

बिल और पॉल एकेन कंप्यूटर सेंटर  में दिन रात काम करने में लग गए. बिल ने पोकर खेलना छोड़  दिया और क्लास पूरी तरह जाना भी बंद कर दिया था. अभी उनके लिए अल्टेयर में “BASIC” प्रोग्राम डालने का काम सबसे ज्यादा ज़रूरी था. 

बिल का काम अल्टेयर की 4 किलोबाइट मेमोरी में पूरा सॉफ्टवेर फिट करने का था. ये काम उतना ही मुश्किल था जितना 13नंबर के पैर की साइज़ को 8 नंबर साइज़ के जूते में फिट करना. और इतना ही नहीं, ये सब करने के बाद भी उन्हें इस बात का ध्यान रखना था कि इतनी मेमोरी खाली हो कि और दूसरे प्रोग्राम को इन्स्टाल किया जा सके. 

इसका कोड बनाने में बिल को 2 हफ्ते लग गए. ये कोड बहुत मुश्किल और जटिल था लेकिन 4 किलोबाइट से कम था. इसके साथ साथ इसके इस्तेमाल से अल्टेयर के जवाब देने की स्पीड बहुत बढ़ गई थी. सालों बाद, बिल गेट्स ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ये उनके द्वारा बनाया हुआ सबसे बेस्ट प्रोग्राम था. 

बिल और पॉल कामुकाबला पूरे देश के 50 बेहतरीनप्रोग्रामर्स  के साथ था. उन्हें जल्दी से जल्दी काम करना था नहीं तो ये सुनहरा मौका उनके हाथ से निकल सकता था. इस काम में वो बिना रुके दिन रात लगे रहे. जब बिल बहुत ज्यादा थक जाते  तो वहीँ PDP-10 के सामने कुछ देर झपकी ले लिया करते थे. जब उनका सिर कीबोर्ड से टकरा जाता  तो वो फिर से उठकर काम में लग जाते. 

एड को फ़ोन किये 2 महीने बीत चुके थे. बिल उस पर तब तक काम करते रहे जब तक वो फ़ास्ट और ऑपरेट करने में आसान नहीं हो गया जैसा की वो चाहते थे. और आखिर अल्बकुर्क जाने का समय आ ही गया. उनका प्रोग्राम PDP-10 में बिलकुल अच्छी तरह से काम कर रहा था लेकिन उन्हें 100% पक्का पता नहीं था  कि वो अल्टेयर में काम करेगा या नहीं. 

पॉल अकेले अल्बकुर्क गए. एड उन्हें लेने आए थे. पॉल को ये जान कर बहुत हैरानी हुई कि MITS इतनी बड़ी कंपनी नहीं थी जितना उन्होंने सोचा था. अब उन्हें चिंता होने लगी कि वो और बिल शायद कभी मिलियनेयर नहीं बन पाएंगे. लेकिन इसके बाद जो हुआ वो एक सपने के साकार होने से भी बढ़कर था. 

पॉल को पता चला कि एड ने जिस मॉडल का advertisement दिया था उससे भी अच्छा और बेहतर मॉडल उन्होंने बना लिया था  जिसमें 7 किलोबाइट की मेमोरी थी. इसमें टेलिटाइप और पेपर टेप रीडर भी जुड़ा हुआ था. पॉल को बस इसमें “BASIC” प्रोग्राम का टेप लगाना था. अब इसमें ज्यादा हाई लेवल का प्रोग्राम बनाने की या लाइट और टॉगल स्विच पर समय बर्बाद करने की ज़रुरत नहीं थी. 

पॉल पहली बार अल्टेयर 8800 को देखने और छूने वाले थे. PDP-10 मॉडल में अगर उनसे और बिल से कोई भी गलती हुई होगी तो वो उन्हें अपने मंजिल को हासिल करने से  नाकाम कर सकती थी. अब उनकी मेहनत और टैलेंट को साबित करने का वक़्त आ गया था. 

पॉल ने “BASIC” प्रोग्राम अल्टेयर में डाला. अचानक से मशीन में रौशनी हुई और वो चालु हो गया. अल्टेयर ने स्क्रीन पर “मेमोरी साइज़”? पूछा. पॉल ने “4 किलोबाइट” लिखा. अब मशीन अपना पहला इंस्ट्रक्शन लेने के लिए बिलकुल तैयार  था. पॉल ने टाइप किया “प्रिंट 2+2” . मशीन ने सही जवाब “4” दिखाया. 

एड बहुत इम्प्रेस हुए. ये देख कर पूरी MITS की टीम चकित रह गयी. अल्टेयर 8800 अब एक पूरी तरह से काम करने वाली पहली पर्सनल कंप्यूटर थी. पॉल को ऑफिस में कंप्यूटर गेम्स की एक बुक भी मिली. उन्होंने लूनर लैंडर गेम का प्रोग्राम बना कर उस मशीन में डाल दिया. जब पॉल घर पहुंचे तो वो और बिल इस जीत की ख़ुशी का जश्न मनाने बाहर सॉफ्ट ड्रिंक्स और आइस  क्रीम खाने चल दिए. 

माइक्रोकिड्स  (Microkids)

पॉल एलन MITS के सॉफ्टवेर डायरेक्टर बन गए थे. लेकिन देखा जाए तो तो वो खुद ही पूरा सॉफ्टवेर डिपार्टमेंट थे. दूसरे सारे एम्प्लोयीज़ अल्टेयर मशीन का काम देखते थे. पूरी टीम में अफरा तफरी मची हुई थी क्योंकि देश भर से उनके पास आर्डर आ रहे थे. कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी के शौक़ीन लोग इस नए माइक्रो कंप्यूटर किट को इस्तेमाल करने के लिए बेसब्र हो रहे थे. 

MITS के ऊपर 3,00,000 $ का क़र्ज़ था. मगर बस कुछ ही हफ़्तों में सिचुएशन इसके बिलकुल अलग हो गई. कंपनी ने बहुत जल्द ही  2,50,000 $ कमा लिए थे क्योंकि करीब 4,000 लोगों ने अल्टेयर को खरीदने के लिए 397 $ का चेक भेज दिया था. कुछ तो खुद अल्बकुर्क पहुँच गए इस उम्मीद में कि उन्हें तुरंत अपनी मशीन मिल जाएगी. 

लेकिन MITS के पास इतने आर्डर आ चुके थे कि उनके पास वक़्त कम पड़ रहा था.advertisement में कहा गया था कि 2 महीने में आर्डर तैयार हो जाएँगे लेकिन इतने ज्यादा आर्डर मिले जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी. पर सच्चाई ये थी कि अल्टेयर का पहला बैच अच्छी क्वालिटी का नहीं था. ना तो उसमें मैन्युअल दिया गया था और ना ही टेलिटाइप. कंप्यूटर के शौक़ीन लोगों को खुद इस कंप्यूटर को जोड़ना था. उन्हें खुद ही पता लगाना था कि कौन सी चीज़ किसके साथ आई है. 

और तो और अल्टेयर का पहला बैच इतना स्मार्ट नहीं था क्योंकि उसमें बिल और पॉल का BASIC प्रोग्राम डाला हुआ नहीं था. वो दोनों दोस्त BASIC प्रोग्राम को और बेहतर बनाने में और अल्टेयर में जो कमी थी उसे ठीक करने में जुट गए. 

1975 का साल था, बिल का मन अब पढाई से बिलकुल उब चुका था. उनके पेरेंट्स को उनके भविष्य की बहुत चिंता होने लगी थी. इस बीच, बिल और पॉल ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की शुरुआत की. ये नाम माइक्रो कंप्यूटर सॉफ्टवेयर  का शोर्ट फॉर्म है. 

अंत में बिल, पॉल के पास  अल्बकुर्क चले गए. वो खुद पर बहुत कम खर्च करते थे. पहले वो एक सस्ते मोटेल रूम में रह रहे थे और बाद में एक छोटे अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए. इस बीच, एड रोबर्ट्स को ट्रेलर ट्रक पर पूरे देश में घूम कर अल्टेयर 8800 का advertisement करने का आईडिया आया. ये“शो एंड टेल” मार्केटिंग कैंपेन था. शो एंड टेल का मतलब अपना प्रोडक्ट दिखाओ और उसके बारे में बताओ. 

MITS का ये ट्रेलर जहां भी जाता वहाँ लोगों का ध्यान अपनी और खींच लेता था और लोगों की भीड़ जमा हो जाती थी. कंप्यूटर में दिलचस्पी रखने वाले लोग वहाँ लेटेस्ट पर्सनल कंप्यूटर देखने के लिए इकठ्ठा हो जाते थे. जो अल्टेयर 8800 उन्हें दिखाया गया था वो पूरा मशीन था  जिसमें टेलिटाइप और पेपर रीडर भी जुड़ा हुआ था. इसमें पहले से ही बिल और पॉल द्वारा बनाया गया 4 किलोबाइट BASIC प्रोग्राम डाला हुआ था. 

1975 में ही बिल और पॉल ने MITS के साथ लीगल अग्रीमेंट भी साइन किया. बिल सिर्फ 19 साल के थे लेकिन कानून और लॉ के डिटेल्स जानने की उनमें बहुत इच्छा थी. उस अग्रीमेंट में सबसे ज़रूरी शर्त ये थी कि MITS के पास BASIC प्रोग्राम का लाइसेंस और उसे इस्तेमाल करने का विशेष राईट थे. ये शर्त10 साल के लिए लागू किया गया था. 

आप सोच रहे होंगे कि तब तक तो बिल और पॉल करोड़पति हो गए होंगे लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हुआ था. बिल और पॉल के बनाये हुए प्रोग्राम को MITS यूज़ कर रहा था जिसके लिए बिल और पॉल को कुछ पैसे दिए जाते थे, जिसे रॉयल्टी कहा जाता है. ज्यादा से ज्यादा माइक्रोसॉफ्ट 1,80,000 $ हर साल कमा सकता था. फिर भी बिल ने लेकसाइड और हार्वर्ड से अपने कंप्यूटर रूम के दोस्तों को कंपनी में काम करने के लिए इनवाईट किया. 

बिल और उनके दोस्त दिन रात लगातार MITS में काम करते रहे. वो लोग घर सिर्फ फ्रेश होने के लिए जाते थे. कभी कभी वो पास वाले कॉफ़ी शॉप और पिज़्ज़ा की दुकान, जो 24 घंटे खुले रहते थे, पर अड्डा मारने और साथ घूमने चले जाते थे. इस टीम पर BASIC का और अच्छा VERSION बनाने का धुन  सवार था. 

बिल फिर अपनी पुरानी आदत को दोहराने लगे थे, वो कंप्यूटर के पास ही सो जाते थे. एक सुबह एड रोबर्ट्स कुछ विज़िटर्स को  MITS का ऑफिस दिखा रहे थे. फ्लोर पर एक बॉडी से उन्हें ठोकर लगी. वो आदमी जो गहरी नींद में सिकुड़ कर सो रहा था वो कोई और नहीं बल्कि बिल थे. 

बिल और पॉल दोनों में अपने काम के प्रति बहुत जुनून था. उन्हें साफ़ साफ़ पता था कि उन्हें क्या हासिल करना है. उन्होंने जब से MITS ज्वाइन किया थातब से उनका सपना था कि हर एक पर्सनल कंप्यूटर में उनके द्वारा बनाया गया प्रोग्राम ही इस्तेमाल हो. 

इसी बीच, एड और बिल के बीच मनमुटाव रहने लगा. पूरी प्रोग्रामर्स की टीम, जिसमें बिल और उनके दोस्त शामिल थे, आपस में बहुत घुल मिल गए थे, सबकी एक दूसरे से बहुत बनती थी. उन सब ने बाल लम्बे कर रखे थे. वो सब सुबह होने तक ऑफिस में काम करते रहते थे.  एड के रूम से बाहर निकलते ही वो तेज़. वॉल्यूम में रॉक एंड रोल म्यूजिक बजाने लगते. कोई भी देखने वाला यही सोचेगा कि इतनी तेज़ आवाज़ में ये सब सोच कैसे पाते हैं. लेकिन वो सब रात दिन यूहीं गाते बजाते काम में मस्त रहते थे. 

पूरे MITS में बिल को छोड़ कर किसी मेंएड को चैलेंज करने की हिम्मत नहीं थी. एड उनसे 13 साल बड़े थे. वो 6 फुट के लम्बे चौड़े आदमी थे. जबकि बिल चश्मा पहनने वाले दुबले पतले आदमी लेकिन बिल बहुत बुद्धिमान और फुर्तीले थे. 

बिल में इतना दम था कि वो एड के मुँह पर बोल सकें कि MITS का मैनेजमेंट बहुत खराब है और उसे इससे कहीं ज्यादा बेहतर ढंग से मैनेज किया जा सकता है. 

वहीँ, एड के लिए बिल बस एक लाड प्यार में पलाहुआएकबिगड़ैल बच्चा था . उन्हें पॉल के साथ काम करना ज्यादा पसंद था. उनके हिसाब से पॉल ज्यादा क्रिएटिव और मिलनसार थे जिनसे बात करना बड़ा आसान था. वो किसी भी प्रॉब्लम का हमेशा सही उपाय बताते थे लेकिन बिल बस हमेशा बहस करने के लिए तैयार रहते थे. 

MITS के अल्टेयर मार्केटिंग कैंपेन से  प्रोफिट के अलावा एक बहुत ख़ास असर पडा. वो था, पूरे देश में जगह जगह कंप्यूटर क्लब बनने लगे. इंजिनियर, हैकर, गैजेट के दीवाने और technician सब एक साथ इकठ्ठा होने लगे. ये बहुत बड़ी बात थी क्योंकि मेंलो पार्क में होमब्रू कंप्यूटर क्लब Apple के स्टीव वोज़्नि एक और स्टीव जॉब्स के लिए ट्रेनिंग ग्राउंड बन गया था. 

एक और बहुत ख़ास बात हुई. MITS ने पालो आल्टो में होमब्रू कंप्यूटर क्लब के साथ कांफ्रेंस किया. कंप्यूटर प्रेमियों को पता चला कि जो अल्टेयर दिखाया जा रहा था वो उससे बिलकुल अलग था  जो उन्हें बेचा गया था. 

ऐसा कहा जाता है कि 4k BASIC प्रोग्राम की एक टेप ज़मीन पर गिर गई थी जिसे एक हैकर ने उठा लिया था. बिल गेट्स द्वारा लिखा हुआ पूरा कोड उसमें था. दूसरे हैकर ने उस टेप की बहुत सारी कॉपी बनाई. देखते ही देखते होमब्रू क्लब के हर आदमी के पास उस टेप की एक कॉपी थी. अंत में हर कंप्यूटर क्लब के पास इस चोरी किये हुए टेप की एक एक कॉपी थी. इसकी वजह से माइक्रोसॉफ्ट को कोई भी रॉयल्टी नहीं मिली. 

एक सुबह, आग बबूला बिल ने एड का दरवाज़ा जोर से धक्का मार कर खोला. एड को बिल के स्वभाव की आदत हो चुकी थी लेकिन इस बार मामला अलग था. बिल जोर जोर से चिल्ला रहे थे. वो बहुत गुस्से में थे कि लोग उनका बनाया हुआ   सॉफ्टवेयर  चुरा रहे थे. वो चिल्ला कर कह रहे थे कि इसकी वजह से उन्हें कुछ पैसा नहीं मिलेगा. उनकी घंटों की मेहनत और बुद्धिमानी को लोगों ने इतनी आसानी से चुरा लिया था. 

इससे मजबूर हो कर बिल ने जनता के नाम एक लैटर लिखा जिसे देश के हर कंप्यूटर मैगज़ीन में छपवाया गया जिसका टाइटल था “ऍन ओपन लैटर टू होब्ब्यिस्ट्स”(An open letter to hobbyists). उन्होंने लिखा कि उनके और पॉल के द्वारा अल्टेयर के लिए बनाया हुआ पहला 4k BASIC प्रोग्राम को पूरा एक साल बीत चुका है. पिछले 12 महीनों से वो उसका और भी बेहतर version बनाने में जुटे हुए हैं. अब उनके पास 8k, 16k और भी कई अच्छे version हैं. उन्होंने इसे बनाने में अपना कितना समय और मेहनत लगाया है. 

और इन सब के बाद भी बहुत से BASIC प्रोग्राम को यूज़ करने वाले लोगों ने इसके लिए कुछ पैसा नहीं दिया. बिल और उनके दोस्तों को हर यूनिट के लिए सिर्फ 2$ रॉयल्टी मिलती है. उन्होंने पूछा “क्या ये सही है”? बिना सही कीमत मिले कौन इतनी बढ़िया क्वालिटी का काम करके देगा”? बिल ने सभी कंप्यूटर होब्ब्य्सिट्स से उनके कमेंट्स और सुझाव भेजने के लिए कहा. उन्होंने ये भी कहा कि अगर उनमें से कोई इसका पेमेंट करना चाहता है तो वो उसके इस कदम की कदर करते हैं. 

फिर इस घटना के कारण एक अच्छी चीज़ हुई. माइक्रो कंप्यूटर के लिए BASIC अब एक स्टैण्डर्ड   सॉफ्टवेयर   बन गया था. अलग अलग कंपनी MITS से मुकाबला करने के लिए खड़े हो गए थे.चारों  तरफ बिल गेट्स के   सॉफ्टवेयर   की डिमांड बढ़ने लगी. 

फाइनली, बिल ने हार्वर्ड बीच में ही छोड़ने का फैसला किया.माइक्रोसॉफ्ट के लिए काम करने वाले एम्प्लोयीज़ दिन ब दिन बढ़ते जा रहे थे, उनके प्रॉफिट और सर्विस की वैल्यू तेज़ी से बढ़ रहे थे. 1978 में माइक्रोसॉफ्ट पहली बार मिलियन डॉलर कंपनी बना और इसी दौरान उन्होंने अपना ऑफिस सीएटल में शिफ्ट किया. वहाँबिल गेट्स नेअपनी पसंदीदा पॉर्श कार में घूमने का आनंद उठाया. 

किंग ऑफ़ द हिल (King of The Hill)

बिल और पॉल के 4kBASIC प्रोग्राम को बनाने के बाद बहुत सी चीज़ें हुई. MITS के द्वारा बनाया गया अल्टेयर 8800 सबसे पहला पर्सनल कंप्यूटर था. बाद में दूसरी अलग अलग कंपनी  MITS का मुकाबला करने के लिए खडी हो गई थी. यहाँ तक की बड़ी टेक कंपनी IBM ने भी अपने बनाए हुए पर्सनल कंप्यूटर की सीरीज को रिलीज़ करना  शुरू कर दिया था.

IBM ने अपने कंप्यूटर के लिए माइक्रोसॉफ्ट की   सॉफ्टवेयर  को चुना. अब भी बिल में हमेशा की तरह अपने काम के प्रति बहुत जुनून था. उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि माइक्रोसॉफ्ट को हर डील से सही हिस्सा मिले. उनकी उम्र अभी कम थी लेकिन IBM की टीम उनसे बहुत इम्प्रेस हुई. इस बात से ये तो साफ़ पता चलता है कि बिल सच में बिज़नेस डील करने में माहिर थे. 

1975 में बनने के बाद माइक्रोसॉफ्ट का इनकम हर साल दो गुना बढ़ता जा रहा था. बिल गेट्स ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के लिए उनके दो गोल्स थे. पहला, वो ऐसा   सॉफ्टवेयर बनाना चाहते थे जो इस्तेमाल करना इतना आसान हो कि उनकी माँ भी उसे चला सके. दूसरा, वो अपनी कंपनी को अपने पिता की लॉ फर्म से भी बड़ा बनाना चाहते थे. 1981 में माइक्रोसॉफ्ट ने 16 मिलियन डॉलर की कमाई की. और सच में इसने मैक ब्रूम, गेट्स एंड लुकस से बहुत ज्यादा प्रॉफिट कमाया और बहुत से लोगों को काम पर रखा. 

एक दिन बिल माइक्रोसॉफ्ट के प्रोजेक्ट ,COBOL, के मैनेजर के पास गए और कहा “हम लोटस और माइक्रोप्रो को बिज़नस से बाहर करने वाले हैं”. उन्होंने पूरे विश्वास से टेबल पर जोर से हाथ मारते हुए कहा. 

लोटस वो कंपनी है जिसने 1-2-3 स्प्रेडशीट प्रोग्राम बनाया था जबकि माइक्रोप्रो ने wordstar बनाया जो उस समय का सबसे पॉपुलरवर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर था. और इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने ms word और ms excel बनाया. बिल गेट्स हमेशा से जानते थे कि आगे रहने के लिए और कॉम्पीटीशन  को ख़त्म करने के लिए कुछ बेहतर और नया बनाना होगा. 

1985 में माइक्रोसॉफ्ट और Apple के बीच बिज़नेस और पार्टनरशिप की बातचीत हुई. बिल गेट्स का सामना Apple के CEO जॉनस्कली से हुआ. माइक्रोसॉफ्ट को मैकिनटोश के लिए word और excel एप्लीकेशन बनाना था. ये Mac की सेल बढाने की एक कोशिश थी. लेकिनApple को ये चिंता होने लगी कि माइक्रोसॉफ्ट Mac की टेक्नोलॉजी चुरा रहा है. माइक्रोसॉफ्ट भी चिंतित था क्योंकि Apple अपना खुद का Mac BASIC बनाने की कोशिश कर रहा था. इसका नतीजा ये हुआ कि दोनों कंपनी के बीच आगे कोई बातचीत या पार्टनरशिप नहीं हुई. 

“दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी का CEO होना कैसा लगता है?” ये सबसे पहला सवाल था जो इस बुक के दोनों ऑथर ने बिल गेट्स से पूछा. उन्होंने कहा “मेरे साथ जो काम करते हैं उनके आस पास रहना मुझे बहुत पसंद है लेकिन माइक्रोसॉफ्ट अभी टॉप पर नहीं है. हमारी कमाई और प्रोफिट दूसरों से ज्यादा है लेकिन अगर हम और भी तेज़ी से आगे नहीं बढ़े और इससे भी बेहतर सॉफ्टवेयर नहीं बनाया.....तब तक हम शान्ति और आराम से नहीं बैठ सकते. आपको हमेशा आगे बढ़ते रहने और कड़ी मेहनत करते रहने की ज़रुरत है”. 

कन्क्लूज़न (Conclusion)

तो आपने इस समरी में बिल गेट्स के बारे में बहुत कुछ जाना. माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत कैसे हुई इस बारे में जाना. आपने बिल गेट्स की उन क्वालिटीज़ के बारे में भी जाना जो उन्हें भीड़ में सबसे अलग बनाती है. 

वो इसलिए सफल नहीं हुए क्योंकि वो एक अमीर घराने से थे बल्कि अपनी बुद्धिमानी और बिना रुके की गई मेहनत की वजह से सक्सेसफुल हुए. बुद्धि के साथ साथ उन्होंने सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाने के लिए घंटों मेहनत की. इसलिए वो इसमें महारत हासिल कर पाए. 

अपनी मंजिल को पाने के लिए वो डट कर खड़े रहे, हर मुश्किल का सामना किया. बिना हार माने लगातार काम में मगन रहे. उनका सपना था कि हर पर्सनल कंप्यूटर में उनका बनाया हुआ सॉफ्टवेय रहो और उन्होंने इसे कर के दिखाया. 

बिल अब 64 साल के हैं. वो अब माइक्रोसॉफ्ट में टेक्नोलॉजी एडवाइजर के रूप में काम करते हैं.दान पुण्य और लोगों का भला करने में वो दुनिया में सबसे आगे हैं. इस काम को और आगे बढाने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की शुरुआत की. उनके 3 बच्चे हैं. गेट्स परिवार लेक वाशिंगटन में एक  खूबसूरत और आलिशान मैंशन में रहता है. 

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