The Millionaire Next Door Hindi Summary

The Millionaire Next Door: The Surprising Secrets of America's Wealthy Hindi Summary

By : Thomas J. Stanley Ph.D. & William D. Danko 

The Millionaire Next Door Hindi Summary

---------- About Book ----------

ये बुक हमें उम्मीद देती है कि आम लोगों के पास बड़े रिस्क उठाए बिना अमीर बनने का एक सही मौका है. रेगुलर जॉब करने वाले लोग अगर सेविंग करें और जरूरत से ज्यादा खर्च न करें तो वे आराम से अपनी ज़िंदगी ज़ी सकते हैं. अगर आप अपनी आदतों को बदलने के लिए तैयार हैं तो आप ऐसा ज़रूर कर पाएंगे. ये बुक आपको पैसों के बारे में सोचने के तरीके और अपने फैमिली के लाइफस्टाइल को बदलना सीखाती है.

ये समरी किसे पढ़नी चाहिए?

• जो लोग अपनी ज़िंदगी की शुरुआत कर रहे हैं 

• बिज़नस चलाने वाले 

• पेरेंट्स

• घर का खर्चा चलाने वाले लोग

• हर कोई जो पैसे बचाना शुरू करना चाहता है

ऑथर के बारे में

डॉ. थॉमस जे.  स्टैनली  अमेरिका के अमीरों में सबसे मैन अथॉरिटी थे. वे एक जाने माने रिसर्चर और एडवाइजर थे. वो कई अवार्ड जीत चुके किताबों के ऑथर और को-ऑथर भी थे.

डॉ. विलियन डी. डैंको, स्कूल ऑफ बिजनेस, University of Albany के  एमेरिटस (सम्मानित रिटायरमेंट ले चुके प्रोफेसर) प्रोफेसर थे. वो कंस्यूमर बिहेवियर और ख़ासतौर से दौलत बढ़ाने के तरीकों के जानकार थे. वो दौलत और दौलतमंद होने के बारे में दो किताबों के को-ऑथर भी हैं.

 ---------- SUMMARY ----------

The Millionaire Next Door: The Surprising Secrets of America's Wealthy

इंट्रोडक्शन 

क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर करोड़पति अमीर पैदा नहीं हुए थे, बल्कि उन्होंने खुद इतनी दौलत कमाई है. 

क्या आपने कभी सोचा कि आप भी दौलतमंद बन सकते हैं?

मुझे यकीन है कि आपने एक बार तो ज़रूर ये सोचा होगा, तो अच्छी खबर ये है कि अगर आप अमेरिका के कई करोड़पतियों के एग्जाम्पल को फॉलो करते हैं तो आप भी दौलत कमा सकते हैं.

इस बुक में, आप सीखेंगे कि ज़्यादातर करोड़पति अपनी ज़रूरत से ज़्यादा की लाइफस्टाइल जी कर अमीर नहीं बने.

आप जानेंगे कि किस तरह करोड़पति लोग अपने टाइम, पैसे और एनर्जी को असरदार तरीके से मैनेज करते हैं.

आप जानेंगे कि सिर्फ देखने से ही आप किसी शख्स के दौलत के लेवल का अंदाजा नहीं लगा सकते. कई करोड़पति सेकेंड हैंड कार चलाते हैं.

आप सीखेंगे कि जो माँ-बाप अपने जवान बच्चों की ज़िंदगी में अनजाने में ही पैसों की मदद करते रहते हैं, वे अक्सर इन बच्चों को कमज़ोर और खर्चीले बना देते हैं, जिससे वे खुद कभी अपने दम पर अमीर नहीं बन पाते हैं.

इस बुक में आप जानेंगे कि ज़्यादातर करोड़पति बिना हिम्मत के और रिस्क लिए बिना अमीर नहीं बने.

क्या आप दौलत के अपने सफर के लिए तैयार हैं?

अपने पड़ोस के करोड़पति से मिलिए  

ये एक गलत सोच हैं कि सभी अमेरिकी करोड़पतियों को अपनी दौलत विरासत में मिली है, और ये भी कि सभी करोड़पति की तरह दिखते हैं, और करोड़पति की ज़िंदगी जीते हैं. लेकिन अमेरिका में दस में से आठ करोड़पति पहली जेनरशन के अमीर हैं. वे सेल्फ-मेड हैं यानि अपनी ज़िंदगी खुद बनाई हैं और बिना किसी विरासत के खुद ऊंचाई तक पहुंचे हैं. इनमें से ज़्यादातर अपनी हैसियत के अंदर ही रहते हैं, सस्ते कपड़े पहनते हैं और अमेरिका में ही बने कारों को चलाते हैं, जो ज़्यादातर सेकंड-हैंड होते हैं. और, उनमें से काफी अमीर सालों से एक ही घरों में रहते हैं. ज़्यादातर अमेरिकी करोड़पति बस एक आम पडोसी की तरह ही होते हैं. 

हम सब करोड़पति नहीं बन सकते, लेकिन हम सब दौलत इकट्ठा बेशक कर सकते हैं. आपका नेट वर्थ (net worth) आपके इनकम के साथ कैसे मैच करता हैं? क्या आप PAW (Prodigious Accumulator of Wealth) हैं, AAW हैं (Average Accumulator of Wealth) या फ़िर UAW (Under Accumulator of Wealth) हैं?

PAW दौलत को बढ़ाते हैं और उनके पास UAW से कम से कम चार गुना नेट वर्थ होता हैं. इन दो ग्रुप की कैरेक्टरिस्टिक को देखकर, हम जान सकते हैं कि कुछ लोगों के पास अमीर बनने की काबिलियत क्यों है और कुछ के पास नहीं.

आइए, दो लोगों के मामलों की कम्पेरिज़न करते हैं जिनकी उम्र और इनकम लगभग एक समान हैं. इससे हमें PAW और UAW के बीच के फरक का कुछ अंदाजा हो जाएगा.

ज़रा wealth equation को समझिए, जो है - (expected wealth = one-tenth age x total annual income). 

मिस्टर रिचर्ड्स मोबाइल-होम यानि चलता फिरता घर बेचते हैं. वेल्थ इक्वेशन के हिसाब से उनकी टोटल प्रॉपर्टी अंदाज़ से 451,000 डॉलर की है. वो एक PAW है. उनकी असली प्रॉपर्टी की कीमत 1.1 मिलियन डॉलर है.

दूसरी तरफ, मिस्टर फोर्ड एक वकील हैं. अंदाज़ से, उनकी टोटल प्रॉपर्टी 470,883 डॉलर की है, लेकिन उनकी असल टोटल प्रॉपर्टी सिर्फ 226,511 डॉलर है. ये मिस्टर फोर्ड को UAW बनाता है.

मिस्टर फोर्ड ने सात साल तक कानून की पढ़ाई की. उनके पास मोबाइल-होम डीलर मिस्टर रिचर्ड्स से कम दौलत कैसे हो सकती है? आइए कुछ बातों पर गौर करते हैं. मिस्टर फोर्ड जैसे वकील को अपनी ऊँची लाइफस्टाइल को बनाए रखने के लिए कितने पैसे की ज़रूरत होती है? और एक मीडियम क्लास लाइफस्टाइल बनाए रखने के लिए मिस्टर रिचर्ड्स जैसे मोबाइल-होम डीलर को कितना खर्च करना पड़ता हैं?

ये साफ़ बात हैं कि मिस्टर फोर्ड अपनी इनकम का एक बड़ा हिस्सा अपने फैमिली की लाइफस्टाइल को बनाए रखने पर काफी खर्च कर रहे हैं. अटॉर्नी के तौर पर उन्हें एक ख़ास स्टैण्डर्ड बनाए रखना पड़ता हैं इसलिए वो एक महंगे विदेशी गाड़ी चलाते हैं, हर दिन काम पर जाने के लिए एक अलग हाई क्वालिटी वाला सूट पहनते है, और वे एक से ज़्यादा कंट्री क्लब के मेंबर है. मिस्टर फोर्ड, जो एक UAW हैं , उन्हें मिस्टर रिचर्ड्स और दूसरे PAW के कम्पेरिज़न में ज़्यादा खर्च करना पड़ता हैं.

UAW अक्सर अपने इनकम का बड़ा हिस्सा खर्च कर देते हैं और कंसम्पशन पर अपना फोकस रखते हैं. वे दौलत बढ़ाने से जुड़ी कई ज़रूरी बातों की अनदेखी करते हैं. अगर हम अमीर बनना चाहते हैं, तो हमें एवरेज PAW की तरह होना चाहिए. हम अपनी लाइफस्टाइल को सिंपल बनाकर और ज़्यादा पैसे बचाकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं.

टाइम, एनर्जी और पैसा 

ज़्यादातर PAW की पहली प्रायोरिटी उनके इन्वेस्टमेंट और एसेट मैनेजमेंट होते है. वे UAV की कम्पेरिज़न में इस काम के लिए हर महीने ज़्यादा से ज़्यादा टाइम लगाते हैं.

PAWs बजट बनाते हैं और प्लान बनाकर ही खर्च करते हैं. उनके लिए पैसा एक ऐसा जरिया है जिसे बर्बाद नहीं करना चाहिए. वे समझते हैं कि दौलत बढ़ाने के लिए, बजट से चलना और थोड़ी कंजूसी करना बेहतर होता हैं, फिर चाहे वो हाई इनकम वाले ही क्यों न हो. अगर आप फाइनेंशियल तौर पर इंडिपेंडेंट बनना चाहते हैं, फिर चाहे आप कितना भी कमा लें, आपको अपने कमाई के अंदर ही रहना सीखना होगा.

UAW और PAW के गोल एक जैसे ही होते हैं. सब अपनी दौलत बढ़ाना चाहते हैं और इतना अमीर बनना चाहते हैं कि एक दिन आराम से रिटायर हो सकें. लेकिन इन इरादों के बावजूद, UAWs उन तक पहुंचने की पूरी तरह से कोशिश नहीं करते हैं. वे इन्वेस्टमेंट के लिए काफी वक्त निकालने की ज़रूरत को नहीं समझते हैं. हम सभी अमीर बनना चाहते हैं, लेकिन हम में से सिर्फ कुछ ही लोग अपनी कामयाबी के लिए ज़रूरी टाइम, एनर्जी या पैसा खर्च करते हैं.

डॉ. नार्थ और डॉ. साउथ एक ही उम्र के दो मेडिकल स्पेशलिस्ट हैं, जो हर साल लगभग एक ही बराबर एवरेज से ज़्यादा इनकम कमाते हैं.

लेकिन ऐसे इनकम के बावजूद, डॉ. साउथ एक UAW हैं. उन्होंने बहुत कम दौलत जमा किया हैं. वो इस चिंता में बहुत टाइम और एनर्जी खर्च करते है कि उनकी इनकम उनके फैमिली के खर्च उठाने के लिए काफी नहीं हो सकती है, या उन्हें अपने लाइफस्टाइल को कम करना पड़ सकता है.

वही दूसरे तरफ, डॉ. नॉर्थ एक PAW हैं. उनकी इनकम डॉ. साउथ से अठारह गुना ज़्यादा है. उन्हें कोई भी डर नहीं है.

ये पूछे जाने पर कि क्या उनकी फैमिली बजट से चलते हैं, डॉ नॉर्थ ने हां में जवाब दिया, जबकि डॉ साउथ ने कहा नहीं.

नार्थ फैमिली अपनी प्रीटैक्स इनकम का कम से कम एक तिहाई हिस्सा इन्वेस्ट करते हैं. उनका फैमिली हर खर्च के लिए प्लान बनाता है, अपने बजट पर टिका रहता है, और उतना ही खर्च करता है जितना उनसे एक तिहाई कमाने वाला करता है.

हालांकि, डॉ. साउथ और उनके फैमिली का खर्च उतना ही है जितना कि कोई एवरेज फैमिली की होती हैं, जिनकी कमाई तीन गुना ज्यादा हैं. वे हर साल अपनी सारी इनकम खर्च कर देते हैं.

डॉ. नॉर्थ अपने फाइनांस और इन्वेस्टमेंट की प्लान बनाने के लिए हर महीने लगभग दस घंटे बिताते हैं, जबकि डॉ. साउथ इस ज़रूरी काम के लिए महीने में सिर्फ तीन घंटे ही बिताते हैं.

ये साफ़ है कि साउथ फैमिली की फालतू लाइफस्टाइल, बजट पर टिके रहने में काबिलियत न होना और फाइनेंशियल प्लानिंग की कमी, ये सब डॉ. साउथ की चिंताओं का कारण है. आप कितना कमाते हैं , ये बात आपके दौलतमंद होने के लिए और मन की शांति तय नहीं करते. आप इस पैसे से क्या करते हैं, बात इस पर डिपेंड करता हैं

आप वो नहीं हैं जो आप चलाते हैं

आपका पड़ोसी जो फोर्ड, मर्सिडीज या कैडिलैक चलाता है, उसे देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वो करोड़पति है या नहीं? शायद नहीं. किसी के कार को देखकर आप ये नहीं बता सकते कि वो कितना अमीर है.

अमेरिका में ज्यादातर करोड़पति अमेरिका में बने कारें ही चलाते हैं. सबसे उम्दा लग्जरी गाड़ियां चलाने वाले कम ही हैं.

गाड़ियाँ खरीदने वाले अलग-अलग तरह के लोग हैं. कुछ को सिर्फ नई गाड़ी खरीदना हैं, जबकि कुछ पुरानी कारों को पसंद करते हैं. कुछ खरीदार डीलर के वफादार होते हैं, और जब वे पुरानी कारों को खरीद रहे होते हैं, वे हमेशा उसी डीलर के पास वापस जाते हैं. कुछ खरीदार सिर्फ खुद के लिए वफादार होते हैं, और वे जहां भी अच्छा डील देखते हैं, उसे खरीद लेते हैं.

जैसा कि अमेरिका में ज़्यादातर कार खरीदार अमीर नहीं होते हैं, तो आप सोच सकते हैं कि वे खरीदारी से पहले अच्छी डील्स ढूंढेंगे. लेकिन रीसर्च से ठीक इसका उल्टा पता चलता हैं. करोड़पति लोग ही सबसे ज़्यादा शॉपिंग करते हैं और कार की कीमतों पर मोलभाव करते हैं. ये हकीकत शायद हमें कुछ बताता है कि वे आखिर करोड़पति क्यों हैं?

कार खरीदने की आदतों को देखकर, कोई भी आसानी से समझ सकता है कि कौन से खरीदार सबसे ज़्यादा सोच समझकर शॉपिंग करते हैं. वे वही हैं जो पहले से ही इस्तेमाल किए हुए गाड़ियों को पसंद करते हैं और जो सबसे अच्छा डील मिलने तक शॉपिंग करते हैं, भले ही वो एक सेल से हो. ऐसे लोग ध्यान देने के काबिल हैं, क्योंकि अलग-अलग ग्रुप के लोगों के बीच यही लोग हैं जिनके पास अपने इनकम के हर जमा किए हुए डॉलर का सबसे ज़्यादा का नेट वर्थ हैं. एवरेज देखें तो अगर वे एक डॉलर कमाते हैं तो वे 17 डॉलर की सम्पत्ति बनाते हैं.

उन्होंने ऐसा आखिर कैसे किया? एक ख़ास तरीके से जीने से. ये करोड़पति फाइनेंशियल आज़ादी के फायदे पर भरोसा करते हैं. साथ ही, उनका मानना है कि कम खर्च करना ही इस आज़ादी को पाने का तरीका है. वे खुद को ये याद दिलाकर बहुत ज़्यादा खर्च करने से रोकते हैं कि जो लोग महंगी कारों जैसे स्टेटस सिंबल का दिखावा करते हैं, उनके पास अक्सर बहुत कम पैसे होते हैं. 

डॉ. बिल एक इंजीनियरिंग प्रोफेसर हैं, जो बहुत ही एवरेज प्रोफेसर की सैलरी कमाते हैं. उन्हें कभी कुछ विरासत में नहीं मिला है, न ही उन्होंने कभी लॉटरी जीती है, फिर भी वो करोड़पति है. उन्होंने अपने इनकम के अंदर ख़र्च करके ही इसे अच्छी तरह से मैनेज किया. डॉ बिल उस ग्रुप में आते हैं जो इस्तेमाल किए गए गाड़ियाँ खरीदता है जहां उन्हें सबसे अच्छा डील मिल सकता है. भले ही उन्होंने कितनी भी कंजूसी क्यों न की हो, उन्होंने कभी भी अपने फैमिली को नज़रअंदाज़ नहीं किया. उन्होंने अपने बच्चों के कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी कराई और उनकी फैमिली एक अच्छे मिडिल क्लास एरिया में रहता है.

जब तक आप काफी अच्छी इनकम कमा रहे हैं तब तक आप भी अमीर बन सकते हैं. बस उन पुरानी कार खरीदार जैसे ही बनिए जो सोच समझकर ही खरीदारी करते हैं. उनका मानना है कि हाई सोशल स्टेटस होने से अच्छा हैं फाइनेंशियल आज़ादी. आखिर, आप वो नहीं हैं जो आप चलाते हैं!

इकनोमिक आउट पेशेंट केयर 

इकनोमिक आउट पेशेंट केयर एक ऐसा शब्द है जो ऑथर्स ने अमीर माँ-बाप का अपने बड़े हो चुके बच्चों को पैसे देने वाली बात के लिए कही हैं. इकनोमिक आउट पेशेंट केयर का मतलब अपने बच्चों को सब्सिडी देना भी हो सकता है, जैसे कि बड़े हो चुके बच्चों को किराए पर घर पर रहने की परमिशन देना, मेडिकल खर्चा देना, या अपने पोते की स्कूल फीस भरना. इसका मतलब ये भी हो सकता है कि फैमिली बिज़नेस में ख़ास तौर पर अपने बच्चों या उनके रिश्तेदारों के लिए नौकरी के मौके पैदा करना.

एवरेज अमेरिकी करोड़पति आम तौर पर अपनी जरूरतों और लाइफस्टाइल के मामले में बहुत सोच समझ कर ही खर्च करते हैं. लेकिन वे हमेशा अपने बच्चों और पोते-पोतियों के लिए खर्च करते हुए ज़्यादा नहीं सोचते. वे अक्सर अपने बच्चों के बड़े हो जाने के बावजूद उन्हें पैसों से हेल्प करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. 

कभी कभी इसके भी नतीजे होते हैं. जो माँ बाप अपने बच्चों को EOC देते हैं, अपने ही बराबर के उम्र और इनकम वाले उन माँ- बाप के कम्पेरिज़न में काफी कम दौलत होती है, जिनके बच्चे फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हैं. और, जितना पैसा वो अपने बच्चों में लगाते है, उतना ही कम वे खुद के लिए जमा कर पाते हैं. असल में, ये  बार-बार साबित होता हैं कि वो पैसा खर्च करना बहुत आसान होता है जिसे आपने खुद नहीं कमाया हो. 

लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि अमीर घरों के सभी बच्चों का UAW बनना तय है. जो लोग ऐसे बन जाते हैं, उनके माँ-बाप आमतौर पर एक ऐसी लाइफस्टाइल का खर्च उठाने में उनकी हेल्प करते हैं जो वे अपने दम पर नहीं कर पाते. अमीर फैमिली के कई बच्चे भी PAW बन जाते हैं. ये तब हो सकता है जब पेरेंट्स डिसिप्लिंड होते है और सोच समझ कर खर्च करते हैं, और अपने बच्चों में वैल्यूज और आज़ादी को बढ़ावा देते हैं.

आखिर में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि PAW के पेरेंट्स के पास बहुत पैसा था या नहीं. ज़्यादातर PAW अपने आप अमीर बन गए.

कुछ बातें हैं जो आप अपने बच्चों के फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बनने के चान्सेस को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं. इन बातों में से एक हैं बच्चों के एजुकेशन का खर्च उठाना. अमेरिका के करोड़पति के बच्चे आम अमेरिकी के कम्पेरिज़न में लॉ स्कूल या मेडिकल स्कूल से ज़्यादा ग्रेजुएट होते हैं. अपने बच्चे की एजुकेशन का ज़िम्मा उठाना उन्हें मछली पकड़ना सिखाने जैसा है. साथ ही, अपने बच्चों को खुद के बारे में सोचने और जिम्मेदारी से काम करने पर उन्हें रिवॉर्ड देना और हौंसला बढ़ाना ज़रूरी हैं. उनके लीडरशिप क्वालिटी दिखाने पर उन्हें रिवॉर्ड दीजिए. उन्हें इंडिपेंडेंट होने और अपने दम पर जीने के लिए एनकरेज कीजिए.

आइए पॉल ओरफलिया के केस को देखें. वो किंको के फाउंडर थे, जिसे अब फेडेक्स ऑफिस के नाम से जाना जाता है. जब वो अपना बिज़नेस शुरू करने की कोशिश कर रहे थे, तो पॉल को अपने पिताजी से सिर्फ एक ही मदद मिली, वो था उनके पिताजी के सिग्नेचर. पॉल को 5,000 डॉलर के लोन की ज़रूरत थी, और वो इसे तभी हासिल कर सकते थे जब कोई को- सिग्नेचर करने को तैयार हो.

पॉल और कुछ दोस्तों ने किराए के गैरेज से अपना बिज़नेस चलाया. वे जल्द ही लगभग 2,000 डॉलर हर रोज़ कमाने लगे थे. एक टाइम तो किंको की एक साल का सेल्स लगभग 600 मिलियन डॉलर से ज़्यादा होने का अनुमान लगाया गया था.

अगर पॉल के पेरेंट्स ज़्यादा चिंता करते और पैसों के मामले में ज़रूरत से ज़्यादा हेल्प करने की कोशिश करते, तो क्या पॉल उतना कामयाब होते जितना कामयाब वो हुए? शायद नहीं.

पॉल ओरफलिया के पास सभी कामयाब बिज़नेस मालिकों की तरह एक काबिलियत है - हिम्मत. क्योंकि फाइनेंशियल रिस्क उठाने के लिए काफी हिम्मत की ज़रूरत पड़ती हैं. 

अफ्फर्मटिव एक्शन, फ़ैमिली स्टाइल 

अमेरिका में एक मिलियन डॉलर या उससे ज़्यादा की प्रॉपर्टी के लिए प्रॉपर्टी टैक्स 40% तक हो सकता है. यही कारण है कि ज़्यादातर अमीर पेरेंट्स ज़िंदा रहते हुए ही अपने बच्चों अपने प्रॉपर्टी को बांटने का डिसिशन लेते हैं. इससे उनके गुज़र जाने के बाद विरासत में बांटने के लिए कम पैसा बचता है जिससे टैक्स में कम पैसे लगते हैं. 

रिसर्च से पता चला है कि ये अमीर लोग हमेशा अपनी दौलत को अपने बच्चों के बीच बराबर नहीं बांटते हैं. वे एक तरह का अफ्फर्मटिव एक्शन लेते हैं जिससे उनके जरूरतमंद बच्चों को ज़्यादा फायदा होता है. बेरोजगार जवान बच्चों को आमतौर पर अपने पेरेंट्स से ज़्यादा पैसे मिलते हैं, और वे अक्सर अपने दूसरे भाई-बहनों के मुकाबले में ज़्यादा विरासत हासिल करते हैं.

जो बच्चे फाइनेंशियल तौर पर ज़्यादा कामयाब होते हैं उन्हें अपने माँ-बाप से कम दौलत मिलती है, और साथ ही विरासत भी ज़्यादा नहीं मिलता है. अक्सर सबसे ज़्यादा कामयाब बच्चों को कोई कैश पैसे भी नहीं मिलते. 

जो बेटियाँ हाउस-वाइफ हैं, उन्हें अपने भाई-बहनों के कम्पेरिज़न में बड़ी विरासत मिलने के चान्सेस तीन गुना ज़्यादा होता हैं. और, जो बेटियाँ नौकरी करती हैं उन्हें अपने हाउस-वाइफ बहन से कम विरासत मिल सकता है, लेकिन उनके पास अपने भाइयों के कम्पेरिज़न में कैश गिफ्ट और ज़्यादा विरासत मिलने का ज़्यादा मौका होता है.

क्या ऐसा करना अजीब या गलत लगता है?

अमीर माँ-बाप जानते हैं कि कामकाजी औरतों के लिए अच्छे मौके कम ही होते हैं. देश में आधे से भी कम औरतें नौकरी करते हैं, और आमतौर पर औरतें अपने कलीग्स जो कि मर्द हैं, उनके कम्पेरिज़न में काफी कम कमाती हैं. इसलिए, जब पैसे देने की बात आती है तो माँ-बाप अपनी बेटियों का पक्ष लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता हैं ऐसा करके वे असमानता को कम कर रहे हैं.

लेकिन क्या ये माँ-बाप शायद खुद ही अपने हैंडआउट्स के साथ असमानता को ज़ारी नहीं रख रहे? अमीर फैमिली से आने वाली औरतों का अक्सर करियर नहीं होता है. वे आखिर में अपनी माओं के नक्शेकदम पर चलते हैं जिन्होंने नौकरी नहीं की, और उनके माँ-बाप का कमाया हुआ पैसा उन्हें आराम से रहने में मदद करता है, इसलिए उन्हें कभी काम नहीं करना पड़ता है. क्या इससे ये शायद साफ़ नहीं हो जाता है कि मर्दों के मुकाबले फाइनेंशियली एक्टिव कम औरतें क्यों हैं?

दो बहनों, सारा और ऐलिस का केस ये साबित करता है कि जो माँ-बाप अपने बच्चों के बड़े हो जाने के बाद भी फाइनेंशियली हेल्प करते हैं, वे हमेशा उन पर एहसान नहीं करते हैं.

सारा एक PAW हैं, जो पचास की उम्र में खुद की मेहनत से करोड़पति बनी, जिनकी टोटल प्रॉपर्टी उनके सालाना सैलरी से बहुत ज़्यादा है. उनके माँ-बाप अमीर थे, लेकिन जब वो एक यंग औरत थी, तो उनके पिताजी ने उन्हें फाइनेंशियल तरीके से अलग कर दिया था. उनका मानना था कि औरतों को एडुकेटेड होना चाहिए, शादी करनी चाहिए, बच्चे पैदा करना और घर संभालना चाहिए. ये वो नहीं था जैसा सारा चाहती थी.

वहीं दूसरे तरफ, सारा की बहन, ऐलिस, अपने पिता की इच्छा से जीने में खुश थी, और एक हाउस- वाइफ बन गई. उनके पिता ने ऐलिस और उनके फैमिली को फाइनेंशियली हेल्प की जिससे वे उनके पैसे पर डिपेंड रहने लग गए. उनके गुज़रने के बाद, ऐलिस को विरासत में मिले सारी दौलत को खत्म करने में देर नहीं लगी.

सारा को अपने पिता के पैसे की परवाह नहीं थी, लेकिन वो चाहती थी कि वो उनकी अचीवमेंट, उनकी उपलब्धियों को पहचाने, जो उन्होंने कभी नहीं किया. सारा ने महसूस किया कि उन्हें एक्सेप्ट नहीं किया गया है, लेकिन इससे उनकी इच्छा और कामयाब होने की धुन और भी बढ़ गई थी.  

जॉब्स: करोड़पति Vs  वारिस

फर्स्ट जेनेरशन के अमीर लोग ज्यादातर एंट्रेप्रेन्योर होते हैं जो मुश्किलों को हराते हैं और कामयाब बिज़नस खड़ी करते हैं. उनकी कामयाबी का एक बड़ा कारण हैं उनका पैसे को समझदारी से खर्च करना. लेकिन उनमें से कुछ अपने बच्चों को रिटायर होने पर अपना बिज़नस सौंप देते हैं. वे अपने बच्चों के लिए बेहतर चाहते हैं. वे उन्हें बिज़नस चलाने के स्ट्रेस में नहीं डालना चाहते, और वे अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई करने, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर जैसे प्रोफेशनल बनने के लिए एनकॉरेज़ करते हैं. इन करोड़पति बिज़नसमेन का मानना हैं कि आप अपना बिज़नस तो खो सकते हैं, लेकिन समझदारी नहीं.

उनके बच्चे सिर्फ बीस या तीस की उम्र में ही कमाना शुरू करते हैं. और जब वे कमाई करना शुरू करेंगे, तो फिर वे खर्च करना भी शुरू कर देंगे. हाई-स्टेटस वाली नौकरियां अक्सर खर्चीला लाइफस्टाइल लाता हैं जिससे इन्वेस्टमेंट के लिए कम पैसे बचती हैं. इससे बाद में इन बच्चों को फाइनेंशियल हेल्प के लिए अपने माँ-बाप पर डिपेंड करने की ज़रूरत पड़ सकती हैं. ये फिर से साबित करता है कि PAW के बच्चे अक्सर UAW बन जाते हैं.

जब आप खुद से शुरुआत करते हैं, चाहे वो एक बिज़नसमैन के तौर पर हो या एक हाइली क्वालिफाइड प्रोफेशनल के तौर पर, ये याद रखना ज़रूरी है कि खुद का बॉस होना करोड़पति बनने का एक भरोसेमंद तरीका नहीं है. ज़्यादातर बिज़नस के मालिक करोड़पति नहीं हैं, और न ही वे कभी अमीर होंगे.

फिर लोग अपना खुद का बिज़नस शुरू करने का रिस्क क्यों उठाते हैं? खैर, कई लोगों के लिए अपना बिज़नस आज़ादी के बारे में है. उन्हें अपना खुद का बॉस बनना पसंद है. वे ये भी मानते हैं कि एक सेल्फ- एम्प्लॉयमेंट किसी एम्प्लायर के नीचे नौकरी करने से कम रिस्की हैं. एंट्रेप्रेन्योर्स को लगता है कि वे अपने फ्यूचर को कंट्रोल कर सकते हैं. उन्हें लगता हैं कि वे इतना पैसा कमा सकते हैं जिसकी कोई लिमिट नहीं. 

लेकिन एक बिजनस ओनर बनने के लिए आपके अंदर सेल्फ-एम्प्लॉयड होने की इच्छा होनी चाहिए. अगर आप अपने आप को कॉर्पोरेट दुनिया से बाहर काम करते हुए नहीं देख सकते हैं, तो एक एंट्रेप्रेन्योर होना आपके लिए शायद  नहीं है.

आइए किसी ऐसे शख्स का केस देखते है जो अपनी नौकरी को सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट में बदलने के लिए तैयार था.

लैरी कई सालों से प्रिंटिंग सर्विस बेच रहे थे. वो जिस कंपनी के लिए काम कर रहे थे, उस कंपनी में वो टॉप परफ़ॉर्मर थे. लेकिन इसके बावजूद उन्हें लगातार डर था कि कहीं उनका मालिक दिवालिया न हो जाए. वो अपना खुद का प्रिंटिंग बिज़नस शुरू करने के बारे में सोचने लगे. 

लैरी ने एडवाइस मांगी. क्या उन्हें अपना खुद का बिज़नस खोलना चाहिए? एक दोस्त ने उनसे पूछा, "प्रिंटिंग कंपनियों को कौन से सबसे ज़रूरी चीज़ की ज़रूरत होती है?"

लैरी ने फ़ौरन अपने एक्सपीरियंस से जवाब दिया और कहा कि प्रिंटिंग कंपनियों को जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, वो है ज़्यादा कस्टमर्स, ज़्यादा बिज़नस और ज़्यादा इनकम.

लैरी ने महसूस किया कि प्रिंटिंग इंडस्ट्री को किसी दूसरे प्रिंटिंग कंपनी की नहीं, बल्कि प्रिंटिंग सर्विसेस के ब्रोकर की ज़रूरत हैं. और, वो वही ब्रोकर बन गए, जो कई सबसे सक्सेसफुल प्रिंटिंग कंपनियों को रिप्रेजेंट करते थे, और हर सेल्स पर एक कमीशन लेते थे.

लैरी को अपने इस कदम के लिए काफी हिम्मत की जरूरत थी. हर किसी में हिम्मत नहीं होती, क्योंकि अपनी नौकरी छोड़कर अपना खुद का बिज़नस शुरू करना काफी रिस्की होता है. लेकिन लाइफ में हर चीज के अपने रिस्क होते हैं. ये आपको तय करना है कि आप कौन से रिस्क उठाने को तैयार हैं!

कन्क्लूज़न 

इस बुक में आपने सीखा है कि एवरेज करोड़पति अपने ज़रूरतों से ज़्यादा खर्च करके अमीर नहीं बनता.

आपने सीखा है कि वे अपने टाइम, पैसे और एनर्जी को  समझदारी से मैनेज करते हैं.

आपने जाना है कि कई सारे करोड़पति सेकेंड हैंड कार चलाते हैं.

आपने जाना कि पेरेंट्स से मिलने वाले फाइनेंशियल हेल्प से उमरदार बच्चे कम कामयाब हो सकते हैं और बाद में उनके पास कम प्रॉपर्टी हो सकती है.

इस बुक में आपने सीखा है कि ज़्यादातर करोड़पति हिम्मत और रिस्क उठाए बिना अमीर नहीं बनते.

आप भी अमीर बन सकते हैं. अपनी  लाइफ स्टाइल को सिंपल बनाकर और पैसे की बचत करके आज से ही शुरुआत कीजिए. आप न सिर्फ अपने पैसों को बड़ा पाएंगे, बल्कि आप बहुत खुश भी होंगे!

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