Elon Musk Biography in details in Hindi

 Elon Musk Biography Hindi Compilied by GIGL

---------- About Book ----------

इस समरी में आप  इलॉन  मस्क के बचपन और उसके बाद की लाइफ के बारे में पढ़ेंगे जिससे आपको पता लग जाएगा कि उन्होंने किस तरह अपनी लाइफ स्टार्ट की थी और वो कैसे वहाँ तक पहुंचे जहाँ वो आज हैं. 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए ? 

इलॉन  मस्क की लाइफ और उनकी एक्स्ट्राओर्डीनेरी सक्सेस स्टोरी सुनकर कोई भी इंस्पायर हुए बिना  नहीं  रह सकता है. ये समरी हर उस इन्सान को पढनी चाहिए जो इलॉन मस्क की पर्सनेलिटी और उनके यूनिक विज़न के बारे में जानना चाहता है. 

---------- Summary ----------

Elon Musk Biography Hindi Compilied by GIGL

बहुत से लोग फेमस और अमीर अपने काम से और काम करने के तरीकों से बनते है. ये लोग हमे भी लाइफ में इनक्रेडिबल चीज़े करने के लिए इंस्पायर करते है. 

हर कोई जो लाइफ में कुछ बनना चाहता है, अपना सपना सच करने के लिए कड़ी मेहनत करता है लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते है जो अपने सपनों की मंजिल तक पहुँचकर  लोगों  को हैरान कर देते है. यहाँ तक कि ऐसे लोग प्रोगेस करते-करते इतना कुछ अचीव कर लेते है जिसकी किसी ने कल्पना भी  नहीं  की होती. 

आज का युग इनोवेटर्स का है और जिस दुनिया को आज हम देख रहे है, ये इन्होने ही रीडीफाईन की है. इनमे से एक ऐसे ही इनोवेटर है इलॉन मस्क जिन्होंने अपनी लाइफ में बहुत सी रीमार्केबल अचीवमेंट्स की है. इलॉन मस्क एक एंटप्रेन्योर और बिजनेस मेग्नेट है. वो एक सेंटी बिलेनियर है यानी उनकी नेट वर्थ करीब $100 बिलियन से भी  ज़्यादा है. कुल मिलाकर इलॉन दुनिया के सबसे अमीर  लोगों  में से एक माने जाते है. 

एक ऐसा आदमी जिसने लाइफ में इतना कुछ अचीव किया, तो उनके पास हमे इंस्पायर करने के लिए कई सारी कहानियाँ भी जरूर होंगी. अगर हम बोले कि उन्होंने स्क्रैच से स्टार्ट किया तो गलत  नहीं  होगा. इलॉन ने जीरो से शुरुवात करके एक ऐसा मजबूत बिजनेस एम्पायर खड़ा किया जिसकी मिसाल दी जा सकती है. 

तो चलिए! पढ़ते है इलॉन मस्क की ये इंट्रेस्टिंग स्टोरी जिसे पढ़कर हमारे रीडर्स को भी शायद कुछ सीखने को मिल जाये. 


  इलॉन मस्क का पूरा नाम है इलॉन रीव मस्क और वो 28 जून, 1971 में प्रीटोरिया, साउथ अफ्रीका में पैदा हुए थे. उनकी माँ ‘मे मस्क’ कैनेडा में जन्मी थी और उसके बाद वो साउथ अफ्रीका में पली-बढ़ी. प्रोफेसन से वो एक मॉडल और डायटीशियन थी. इलॉन के पिता   एरॉल  मस्क एक मल्टी टेलेंटेड शख्स थे जो इलेक्ट्रोमैकेनिकल इंजीनियर, पायलट, सेलर, कंसलटेंट और प्रोपटी डेवलपर रह चुके थे. इलॉन अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े है. उनके छोटे भाई का नाम किम्बल मस्क और बहन का नाम टॉस्का मस्क है. 

1980 में जब इलॉन नौ साल के थे तो उनके पेरेंट्स का तलाक हो गया था. इतनी छोटी उम्र में उनके लिए ये काफी स्ट्रेसफुल एक्सपिरियेंस रहा. उनके पेरेंट्स जब अलग हो रहे थे तो इलॉन ने फैसला किया कि वो अपने पिता  के साथ रहना चाहेंगे. 

लेकिन इलॉन की बदकिस्मती कि ये फैसला उन्हें महंगा पड़ा. उनके पिता  बाकि पिताओं  जैसे नहीं थे. वो ना तो अपने बच्चो को प्यार करते थे और ना ही उनके लिए केयरिंग थे. इलॉन बताते है कि उनक पिता  बेहद बुरे इन्सान थे. ये एक और दर्दनाक  सिचुएशन थी जो उन्हें झेलनी पड़ी. पूरे दो साल अपने पिता  के साथ रहने के बाद आखिरकार तंग आकर वो अपनी माँ के पास रहने चले गए. बाप-बेटे के रिश्ते में इस हद तक खटास पड़ी कि बाद में इलॉन ने अपने पिता के साथ सारे ताल्लुकात खत्म कर दिए. 

उनके अंदर टेलेंट शुरू से ही भरा था. उनमे कुछ ऐसी खूबियाँ थी जो उन्हें औरों से अलग बनाती थी. बचपन से ही इलॉन काफी इंटेलिजेंट थे. कम उम्र में ही उनके अंदर वीडियो गेम और कंप्यूटिंग डेवलप करने का शौक पैदा हो गया था. सिर्फ दस साल की उम्र में वो कोमोडोर विक-20 चलाने लगे थे. ये एक 8-बिट होम कंप्यूटर हुआ करता था जो कोमोडोर बिजनेस मशीन ने बनाया था. 

जब तक इलॉन 12 साल के हुए, उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की काफी नॉलेज हो गई थी. उन्होंने सिर्फ मैन्युअल पढ़कर ही कंप्यूटर के बारे में काफी कुछ सीख लिया था. 12 साल की छोटी उम्र में इलॉन ने बेसिक कंप्यूटर लेंगुएज़ यूज़ करते हुए एक कोड डेवलप कर लिया था. ये कोड उन्होंने वीडियो गेम के लिए बनाया था. बाद में उन्होंने इस कोड को $500 में पीसी एंड ऑफिस टेक्नोलोजी मैगजीन को बेच दिया. यानि इतनी छोटी उम्र से ही उनके अंदर एक ब्रिलिएंट माइंड होने लक्षण नजर आने लगे थे. 

इलॉन वाटरक्लूफ़ हाउस preparatory स्कूल में पढ़ा करते थे. उन्होंने अपनी हाई स्कूल की पढाई ब्रायनस्टोन हाई स्कूल से की थी. अब तक आपको इस स्टोरी में सब कुछ काफी अच्छा लग रहा होगा. है ना? पर असल में सच्चाई कुछ और ही थी. इलॉन की लाइफ शुरू से ही काफी मुश्किलों और परेशानियों में गुज़री थी. 

बचपन से ही वो काफी शर्मीले स्वभाव  के थे. साथ ही वो थोड़े अजीब और इंट्रोवर्ट भी हुआ करते थे.  लोगों  से मिलने-जुलने में उन्हें परेशानी होती थी. शाई नेचर  की वजह से उनका कोई दोस्त  नहीं  था. इसलिए इलॉन सबसे अलग-थलग रहते थे और यही वजह थी कि कुछ दबंग टाइप के बच्चे उन्हें बुली किया करते थे. असल में ये  प्रॉब्लम  उनके साथ हमेशा से रही थी. 

किसी को बुली करना और डराना-धमकाना बेहद बुरी बात होती है. एक तरह से इसे क्राइम माना जाता है. बचपन में bullying  का शिकार होने वाले बच्चे पूरी उम्र इस दर्दनाक एक्सपीरियंस  से उबर  नहीं  पाते. बुली होने वाले बच्चे अक्सर हीन भावना यानी इन्फीरियरटी कॉम्प्लेक्स  का शिकार बन जाते है. इलॉन अपनी  पूरी लाइफ बूलीईंग के शिकार रहे. हालत इतनी खराब थी कि एक बार कुछ लडको ने उन्हें सीढियों से नीचे धकेल दिया था जिसकी वजह से इलॉन बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें हॉस्पिटल  में भर्ती करना पड़ा. 

बचपन से ही उन्हें काफी दुःख-तकलीफों का सामना करना पड़ा. सबसे पहला शॉक तो उन्हें तब लगा था जब उनके पेरेंट्स का तलाक हुआ था, फिर उनके पिता  का उनके साथ बुरा सुलूक और उसके बाद स्कूल लाइफ में बुलीईंग. इन सारी चीजों का छोटे इलॉन के दिलो-दिमाग पर गहरा सदमा लगा पर इसके बावजूद उनकी विलपॉवर कभी  नहीं  टूटी, वो दिल लगाकर पढाई करते रहे और आगे बढ़ते गए. 

उन्होंने प्रीटोरिया बॉयज़ हाई स्कूल से ग्रेजुएशन कम्प्लीट की. अपनी पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज़ के लिए इलॉन US जाना चाहते थे. फिर उन्हें आईडिया आया कि अगर वो पहले कैनेडा जाते है तो उनके लिए US जाना आसान हो जाएगा. उनकी माँ कैनेडा में ही जन्मी थी इसलिए उन्हें आसानी से पासपोर्ट मिल सकता था. 

मस्क जब छोटे थे तो साउथ अफ्रीका के गोरे लड़कों को कंपल्सरी मिलिट्री सर्विस ज्वाइन करनी होती थी. इलॉन जानते थे कि वो मिलिट्री में फिट  नहीं  हो सकते इसलिए वोउसे  ज्वाइन  नहीं  करना चाहते थे. एक रुल ये भी था कि जो लडके किसी यूनिवर्सिटी  या कहीं कुछ पढ़ रहे हो तो उन्हें फ़ोर्स  नहीं  किया जाता था. 

  इलॉन ने स्कूल कम्प्लीट कर लिया था और अब उन्हें मिलिट्री सर्विस ज्वाइन करनी थी पर इसके बजाए इलॉन ने यूनिवर्सिटी  ऑफ़ प्रीटोरिया में एडमिशन ले लिया. इस दौरान वो अपने कैनेडियन पासपोर्ट के लिए डॉक्यूमेंट कम्प्लीट होने का वेट करते रहे ताकि वो जल्द से जल्द कैनेडा जा सके. कैनेडा जाने से पहले वो यूनिवर्सिटी  ऑफ़ प्रीटोरिया में पांच महीने रहे. इसका एक फायदा ये हुआ कि वो मिलिट्री सर्विस ज्वाइन करने से बच गए. 

1989 में इलॉन कैनेडा पहुंच गए. ये डिसाइड हुआ था कि वो मोंट्रियाल में अपने ग्रेट अंकल के साथ रहेंगे. लेकिन कैनेडा पहुँचने के बाद वो अपने ग्रेट अंकल तक पहुँच ही नहीं पाए क्योंकि उन्हें उनका एड्रेस  नहीं  मिल पाया. लिहाज़ा उन्होंने प्लान चेंज किया और और एक यूथ होस्टल में रहने चले गए. फिर कुछ दिनों बाद ही वो अपने एक सेकंड कज़न के पास सस्केचवान (Saskatchewan ) में जाकर रहने लगे. 

  इलॉन दो साल तक अपने कज़न के साथ रहे. इस दौरान उन्हें पैसों कि बड़ी दिक्कत हुई. अपने खर्चे पूरे करने के लिए उन्होंने कई तरह की छोटी-मोटी जॉब की जैसे फार्म में और लकड़ी के मिल में. 

1990 में इलॉन ने कैनेडा में रहने के दौरान ही क्वीन’स यूनिवरसिटी, किंग्स्टन, ओंटेरियो में एडमिशन लिया जहाँ उन्होंने दो साल स्टडी की, उसके बाद 1992 में उन्हें  यूनिवर्सिटी ऑफ़  पेन्सिल्वेनिया  ट्रांसफर कर दिया गया. 

1997 में इलॉन ने अपनी ग्रेजुएशन कम्प्लीट की. उन्होंने wharton स्कूल से साइंस में डिग्री ली और  यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेन्सिल्वेनिया स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंस से फिजिक्स की डिग्री ली. 

ग्रेजुएशन करने के दौरान ही उन्होंने सिलिकॉन वैली से दो इंटरशिप भी कर ली थी, ये 1994 में गर्मियों की बात है. उन्होंने पहली इंटरशिप एनर्जी स्टोरेज स्टार्ट-अप पिनेकल रिसर्च  इंस्टीट्यूट से की थी. इसमें उन्होंने एनर्जी स्टोरेज के लिए इलेक्ट्रोलिक्ट अल्ट्रा-कैपेसिटर की स्टडी की और अपनी सेकंड इंटरशिप उन्होंने  Palo Alto -बेस्ड स्टार्ट-अप से की थी जिसने राकेट साइंस गेम बनाया था. 

  इलॉन अभी पढ़ाई छोड़ना  नहीं  चाहते थे. वो हायर स्टडीज़ करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने पोस्टग्रेजुएट स्टडीज़ के लिए अप्लाई कर दिया. उन्होंने स्टैंडफोर्ड  यूनिवर्सिटी कैलीफोर्निया में एडमिशन मिल गया जहाँ वो फिलोसफी ऑफ़ मटेरियल साइंस की स्टडी करने वाले थे. हालाँकि बाद में उन्होंने अपना मन बदल दिया. उन्होंने पीएच. डी प्रोग्राम ड्राप कर दिया क्योंकि इलॉन का फोकस अब इंटरनेट बूम पर था. 

  इलॉन ने अपने छोटे भाई किम्बल और ग्रेग कौरी के साथ एक इंटरनेट स्टार्ट-अप शुरू करने का फैसला किया. तीनो ने मिलकर ज़िप 2 की फाउंडेशन रखी. 

अब बस उन्हें इन्वेस्टर चाहिए थे ताकि उनका स्टार्ट-अप शुरू  हो सके. फिर जल्द ही उन्हें एंजेल इन्वेस्टर्स मिल गए जो उनके स्टार्ट-अप आईडिया में इंट्रेस्टेड थे. ज़िप 2 का आईडिया था एक ऐसा इंटरनेट गाईड बनाना जिसमे मैप और येलो पेज और डायरेक्शन दिए हो जिससे आप कहीं भी आसानी से पहुँच सकते है. ये प्रोडक्ट बेसिकली न्यूजपेपर पब्लिशिंग इंडस्ट्री के लिए बनाया गया था. 

अब ये इम्पोर्टेंट था कि उनका ये स्टार्ट-अप चल सके. क्योंकि जिस वक्त उन्होंने अपना ये स्टार्ट-अप लॉन्च  किया था, उनकी माली हालत बड़ी खराब थी. जो भी उनके पास बचा-कुचा  पैसा था वो उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट में लगा दिया था. 

 Palo Alto  में उन्होंने एक ऑफिस रेंट पर लिया था पर अब उनके पास इतने पैसे  नहीं  थे कि अपार्टमेंट ले सके तो वो लोग ऑफिस में काउच पर सो जाते थे और नहाने के लिए वाईएमसीए YMCA (Young men’s Christian association) चले जाते थे. लेकिन सबसे बड़ी  प्रॉब्लम  उनके सामने ये थी कि उनके पास एक ही कंप्यूटर था, दूसरा खरीदने के पैसे  नहीं  थे तो इलॉन और उनके भाई को एक ही कंप्यूटर से काम चलाना पड़ता था. 

वैसे भी अपार्टमेंट की जरूरत तो उन्हें तब होती जब सोने का वक्त मिलता. ज़िप 2 की शुरुवात से ही इलॉन बेहद बिज़ी रहने लगे थे. उनके पास ढ़ेरों काम था. दिन में वेबसाईट चलानी होती थी. इसलिए इलॉन सारी रात जागकर कोडिंग करते थे. सारा दिन काम,काम और बस काम, उन्हें सिर उठाने की भी फुर्सत  नहीं  होती थी. ना कोई छुट्टी,  ना कोई आराम. वो लोग पूरे हफ्ते दिन-रात मेहनत कर रहे थे. 

लेकिन सिर्फ वेबसाईंट बनाकर कोई फायदा  नहीं  था, उन्हें इसकी मार्केटिंग भी करनी थी ताकि उसे सही  क्लाइंट तक पहुँचाया जा सके. उन्होंने डिसाइड किया कि वो अपनी वेबसाईट को न्यूज़पेपर इंडस्ट्री के कुछ बड़े क्लाइंट्स तक पहुंचाएंगे. उन्हें न्यू यॉर्क टाइम और शिकागो ट्रीब्यून से कुछ बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिल गए. उन्होंने बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स को सिटी सर्च के बजाए अपना प्रोडक्ट लेने के लिए कन्विंस कर लिया. दरअसल सिटी सर्च उनकी कॉम्पटीटर कंपनी थी जो सेम सर्विस ऑफर कर रही थी. 

  इलॉन कंपनी के सीईओ बनना चाहते थे पर नहीं बन सके. ये पोजीशन chairman रिच सॉर्किन के पास थी और फरवरी, 1999 में कंपनी को एक आई. टी. कंपनी कॉमपैक ने खरीद लिया था. कंपनी $307 मिलियन में बेचीं गई थी. कंपनी के 7% इलॉन के पास थे इसलिए उन्हें इसके बदले $22 मिलियन मिले. 

अब इलॉन की लाइफ का अगला चैप्टर शुरू होने वाला था. वो अभी सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में ही काम कर रहे थे और उनका नेक्स्ट वेंचर था एक ई-मेल पेमेंट कंपनी जो ऑनलाइन फाईनेंशियल सर्विस भी प्रोवाइड कराती थी.  

एक्स.कॉम की फाउंडेशन उन्होंने 1999 में रखी थी. ये अपनी तरह के पहले ऑनलाइन बैंक थे जो फ़ेडरली इन्स्योर्ड थे यानी deposit का कुछ हिस्सा insurance से cover किया जाता है. ये इतना पोपुलर हुआ कि शुरुवात के कुछ महीनों में ही इसने 200,000 कस्टमर बना लिए थे. सिर्फ 28 की उम्र में मस्क इस कंपनी के सीईओ बन गए. बोर्ड को लगा कि वो सीईओ की ज़िम्मेदारी   नहीं  संभाल पायेंगे तो उन्हें सीईओ पोजीशन से हटा दिया गया. उनके बदले रिचर्ड हैरिस को ये पोजीशन दे दी गई. 

कंपनी तेज़ी से सक्सेस की तरफ कदम बढ़ा रही थी. एक और कंपनी थी, Confinity, जो सेम सर्विस प्रोवाइड करती थी और ये भी मार्केट में काफी पोपुलर थी. इसलिए दोनों कंपनी ने डिसाइड किया कि उन्हें मर्ज करना चाहिए. ये इसलिए भी जरूरी था ताकि उन्हें मार्केट में बेकार का कॉम्पटीशन फेस ना करना पड़े. मैक्स लेव्चिन और पीटर थिएल ने मिलकर Confinity की फाउंडेशन रखी थी. जब दोनों कंपनी को मर्ज किया गया तो मस्क को कंपनी में एक बार फिर से सीईओ की पोजीशन मिल गई.  

मस्क लिनक्स से माइक्रोसॉफ्ट पर स्विच करना चाहते थे. लेकिन पीटर थिएल को ये फैसला कुछ जमा  नहीं  इसलिए उसने कंपनी छोड़ दी. हालांकि जब सिस्टम चेंज हुए तो कई सारे टेक्निकल प्रॉब्लम आने लगे और इसलिए 2000 में थिएल को वापस कंपनी में बुला लिया गया. Confinity का ऑनलाइन मनी ट्रांसफर मेथड, Paypal, X.com से  ज़्यादा पोपुलर हुआ. 

थिएल को जब चार्ज मिला तो उन्होंने पे-पाल पर  ज़्यादा फोकस करने का फैसला लिया. और इस तरह 2001 में कंपनी का नाम बदलकर ऑफिसियल तौर पर पे-पाल कर दिया गया. बाद में 2002 में ई-बे ने $1.5 बिलियन में पे-पाल को खरीद लिया था. 

मस्क के शेयर परसेंट सबसे  ज़्यादा थे, करीब 11.7% तक इसलिए उन्होंने इस डील से $100 मिलियन कमाएँ. 

दो सॉफ्टवेयर बेस्ड स्टार्ट-अप के बाद ऐसा लगता था जैसे उनका अगला  स्टार्ट-अप भी कोई सॉफ्टवेयर बेस्ड कंपनी ही होगी. लेकिन इलॉन के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. वो उन दिनों कुछ अलग करने की सोच रहे थे, कुछ ऐसा जो एकदम अलग हो. जो भी हो, वो कुछ ऐसा करने की सोच रहे थे जो दुनिया को एकदम हैरान करके रख दे.  

2001 में इलॉन एक नॉन-प्रॉफिट Mars सोसाईटी के कांटेक्ट में आये. ये एक वालंटियर बेस्ड ऑर्गेनाईजेशन है जो मार्स सैटलमेंट को प्रोमोट करने के लिए बनाई गई थी. मार्स के एक ग्रोथ चैम्बर में प्लांट ग्रो करने का प्रोजेक्ट इलॉन को बड़ा दिलचस्प लगा. उन्होंने इस प्रोजेक्ट को फंड करने का मन बनाया. 

अब  इलॉन  पूरी तरह से इस प्रोजेक्ट में इन्वोल्व हो गए थे. इस प्रोजेक्ट के लिए फिर से नया बनाया गया intercontinental ballistic missiles (ICBMs) का अरेंजमेंट करने वो मोस्को गए. इन मिसाईल्स का मेन पर्पज था प्लांट ग्रो करने के लिए मार्स पर  ग्रीनहाउसेज़ भेजना. 

हालाँकि उन्हें वहां के ऑफिसर्स ने सीरियसली  नहीं  लिया और इस तरह वो खाली हाथ वापस लौट आये. बाद में वो और उनकी टीम तीन ICBM लेने दोबारा  रशिया गई. उन्हें एक डील ऑफर की गई कि जहाँ एक रॉकेट उन्हें $8 मिलियन का मिल  रहा था. ये बहुत बड़ी रकम थी इसलिए मस्क को ये ऑफर रिजेक्ट करना पड़ा. लेकिन इससे उन्हें एक आईडिया जरूर मिल गया. 

उन्होंने डिसाइड किया कि वो खुद की एक कंपनी खोलेंगे जो किफ़ायती कॉस्ट  पर रॉकेट बनाएगी.  

और इस तरह  स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलोजी कोर्प की फाउंडेशन रखी गई. इस कंपनी स्पेस एक्स के अंडर में ट्रेड किया गया. ये कंपनी फरवरी 2002 में बनाई गई थी.  इलॉन  ने इस कंपनी को स्टार्ट करने के लिए लगभग अपना सारा पैसा लगा दिया था. एक तरह से उन्होंने एक बड़ा दांव खेला क्योंकि अगर कंपनी फेल हो जाती  तो  इलॉन  बड़ी मुश्किल में पड़ सकते थे. लेकिन  इलॉन  इतना बड़ा रिस्क उठाने को तैयार थे. 

शुरू-शुरू में स्पेस एक्स के तीन लॉन्च अटेम्प्ट बुरी तरह से फेल हुए. तब सबको ऐसा लग रहा था जैसे कंपनी चल नहीं पाएगी पर चौथी कोशिश  में लॉन्च  पूरी तरह से सक्सेसफुल  रहा. 2008 में Falcon 1  को सक्सेसफूली अर्थ के ऑर्बिट में लॉन्च  किया गया. ये पहली बार था जब किसी प्राईवेट रॉकेट को लिक्विड फ्यूल की मदद से अर्थ के ऑर्बिट में भेजा गया था . इस बड़ी सफलता के बाद स्पेस एक्स को Falcon  9 रॉकेट और ड्रेगन स्पेसक्राफ्ट की 12 फ्लाइट का कांट्रेक्ट मिला. स्पेस एक्स की ये कमर्शियल रीसप्लाई सर्विस के साथ $1.6 बिलियन की डील थी. 

स्पेस एक्स ने कई और ऐसे ही एक्साईटिंग प्रोजेक्ट किये और अभी भी ये लगातार नए  और इनोवेटिव प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. आज भी स्पेस एक्स अपने मार्स सैटलमेंट के गोल पर काफी सीरियसली काम  कर रही है. 

लेकिन  इलॉन की दुनिया में सिर्फ स्पेस एक्स ही नहीं है जिसके लिए वो जाने जाते है, है ना? अभी तो उनकी कार का जिक्र बाकि है. टेस्ला, इंक जो पहले टेस्ला मोटर्स के नाम से जानी जाती थी, जुलाई 2003 में एस्टेबिलिश की गई. 2004 में  इलॉन  ने टेस्ला इंक के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स को ज्वाइन किया. वो बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के चेयरमेन थे. कंपनी में  इलॉन का बेहद एक्टिव रोल रहा जहाँ प्रोडक्ट डिजाईन वो ही देखते थे. हालाँकि वो कंपनी की डे टू डे एक्टिविटी में इन्वोल्व  नहीं  थे. 

2008 में  इलॉन टेस्ला के सीईओ और प्रोडक्ट आर्किटेक्ट बने. उनका पहला डिजाईन जिस पर उन्होंने काम किता था वो था रोडस्टर. ये पहली ऐसी fully इलेक्ट्रिक कार थी जिसमे लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल हुआ था. 

 इलॉन इस कार  को डीलरशिप के ज़रिए  बेचना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने वेब में और हाई एंड मॉल की गैलरी में इन्हें बेचा. टेस्ला की बनी कार मिनियम मेंटनेस मांगती थी और रीचार्ज स्टेशन भी हर जगह सेट किये जा रहे थे. ये एक यूनीक मेथड था क्योंकि ज़्यादातर कार कंपनी कार की मेंटनेस से ही पैसा कमाती थी. लेकिन टेस्ला  इलॉन  की लीडरशिप में धडल्ले से चल रही है. 

2006 में  इलॉन के कज़न ने मिलकर सोलरसिटी की फाउंडेशन रखी, ये  इलॉन  का ही कांसेप्ट था. इसके लिए फाइनेंस  भी उन्होंने ही प्रोवाइड किया था. अब ये कंपनी US  की सेकंड लार्जेस्ट सोलर पॉवर सिस्टम बन गई है. 2016 में टेस्ला ने ही सोलरसिटी को $2 बिलियन से भी  ज़्यादा में खरीद लिया और इसे बैटरी एनर्जी स्टोरेज़ प्रोडक्ट डिविजन के साथ मर्ज कर दिया. ये डिसीजन टेस्ला एनर्जी को क्रिएट करने के लिए  लिया गया था. 

तो इस तरह  इलॉन की लाइफ की शुरुआत  कुछ सॉफ्टवेयर बेस्ड प्रोजेक्ट से हुई फिर उन्होंने एक ऐसी कंपनी की नींव रखी जिसका गोल है  लोगों  को फ्यूचर में मार्स में सेटल  करना और उसके बाद आई उनकी कंपनी जिसने FULLY  इलेक्ट्रिक कार बना कर दिखाई जो किसी ने कभी सोचा भी नहीं था. उसके बाद  इलॉन की नज़र सोलर पॉवर कंपनी पर पड़ी. इन सारे एक्श्न्स को देखते हुए ये बताना थोडा मुश्किल होगा कि अब उनका अगला कदम क्या होगा. 

हालांकि  लोगों  को  ज़्यादा वेट  नहीं  करना पड़ा क्योंकि 2016 में ही उन्होंने अपनी इंटेंशन क्लियर कर दी थी.  इलॉन ने  न्यूरालिंक स्टार्ट किया जिसमे वो को-फाउंडर थे. जैसा कि इस नाम से ही पता चलता है, ये स्टार्ट-अप ब्रेन से रिलेटेड है. असल में इस स्टार्ट-अप कंपनी का मेन गोल है ह्यूमन ब्रेन में ऐसे डिवाईस फिट करना जिन्हें मशीनों के साथ जोड़ा जा सके. ये डिवाईस ऐसी है जो आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स इंडस्ट्री में हो रही करंट डेवलपमेंट के साथ भी अपडेटेड  रहेगी. 

कुछ टाइम पहले अगस्त 2020, में ही  इलॉन ने एक डिवाईस डिस्प्ले की थी जो बहरेपन, पैरालिसिस, ब्लाइंडनेस और बाकि डिसएबिलिटीज़ को ठीक कर सकती है. 

2016 में  इलॉन  ने सिर्फ न्यूरालिंक बनाई. उन्होंने एक बोरिंग कंपनी भी स्टार्ट की थी जो सुरंग बनाने का काम करती थी. असल में  इलॉन  जब कुछ बना रहे होते है तो कोई  नहीं  जान सकता कि उनके दिल में क्या है.

तो ये है उन सब कामों लिस्ट जो उन्होंने आज तक किये. आज 2021 में उन्हें स्पेस एक्स के फाउंडर, सीईओ और चीफ इंजीनियर के तौर पर जाना जाता है और वो टेस्ला इंक के प्रोडक्ट आर्किटेक्ट है. वो बोरिंग कंपनी और एक्स. कॉम के फाउंडर है जो पे-पाल का एक पार्ट है. साथ ही वो न्यूरालिंक, ओपनएआई और ज़िप 2 के को-फाउंडर भी है. 

अभी की करंट पोजीशन देखते हुए कोई भी इमेजिन कर सकता है कि इस आदमी ने आज तक कितना कुछ अचीव किया है और कितना कुछ और कर सकता है. ये सब कुछ सिर्फ honorary  पोजीशन नहीं है, और उसे हर वेंचर पर काम करना होता है. वो अलग बात है कि इलॉन ने अलग-अलग फील्ड में स्टार्ट-अप बिजनेस शुरू किये और उनका हर बिजनेस वेंचर बेहद सक्सेसफुल रहा लेकिन इसके बावजूद इतनी  सारी चीज़े एक साथ संभाल पाना अपने आप में एक बड़ा चैलेंज है. 

उनकी यही खूबी प्रूव करती है कि वो एक स्ट्रोंग लीडर भी है. उनके अंडर काम करने वाले उनके और उनके बिजनेस के प्रति लॉयल रहते है. शायद ये भी एक कारण है कि उनका हर बिजनेस वेंचर इतना सक्सेसफुल रहता है. अपने स्टाफ को वो जिस तरह से हैंडल करते है. वो बेशक हटकर  है पर उनके साथ काम करने वालों को यही तरीके फायदेमंद लगते है. 

लेकिन सिर्फ उनका यही तरीका उन्हें औरो से अलग  नहीं  करता. अगर हम कुछ दशक पीछे लौटे यानी जब इंटरनेट अपने शुरुवाती दौर में था, तो उस टाइम हर कोई प्रेडिक्ट कर रहा था कि 2020 या 2030 में टेक्नोलोजी कि फील्ड बहुत एडवांस हो जाएंगी  और शायद तब फ्लाइंग कार्स या फ्लोटिंग हाउस या फिर कुछ ऐसी ही अजीबो-गरीब चीज़े देखने को मिल सकती है. 

हालाँकि तब से लेकर आज तक इनोवेशन इंडस्ट्री में  ज़्यादा कुछ खास  नहीं  हुआ,  ज़्यादातर इनोवेशन जो हुए है सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में हुए है. लेकिन  इलॉन ने तो पूरी काया  ही पलट दी. उनके सारे स्टार्ट-अप्स जो उन्होंने स्टार्ट किये या इन्वेस्ट किये, उनमे एक चीज़ कॉमन है. वो ये कि जिस भी बिजनेस में वो इन्वोल्व हुए है, वो किसी न किसी इनोवेटिव कांसेप्ट पर बेस्ड है. उनका कोई भी बिजनेस ऐसा नहीं रहा जो किसी पुराने  आईडिया की नई  कॉपी हो. 

क्योंकि  इलॉन इनोवेशन में बीलीव करते है नाकि घिसे-पिटे बिजनेस आईडिया में, सबसे बड़ी बात तो ये है कि  इलॉन  जैसा कोई इन्सान जब कुछ ऐसा करता है तो वो यंग जेनरेशन में एक स्पार्क क्रिएट करता है और उन्हें भी कुछ यूनीक करने के लिए इंस्पायर करता है.  इलॉन  आज के यूथ के लिए बहुत बड़ी इन्सिपिरेशन बनकर उभरे है जो बहुत ऊँचाइयों तक पहुँचना चाहते है और कुछ हटकर करना चाहते है. उन्होंने उन यंग इनोवेटर्स के लिए नए standard सेट किये है जो आउट ऑफ़ द बॉक्स थिंकिंग रखते है. अब ये देखना इंट्रेस्टिंग होगा कि फ्यूचर में  इलॉन  क्या कुछ अचीव करते है और कैसे नए इनोवेटर्स को इंस्पायर करते है. 

------------------------------

Elon Musk Biography Hindi Compilied by GIGL

Recommended: Elon Musk: How the Billionaire CEO of SpaceX and Tesla is Shaping our Future Hindi Summary

Previous Post Next Post