The Laws of Human Nature By Robert Greene Hindi Summary

The Laws of Human Nature Robert Greene Hindi Summary

The Laws of Human Nature Robert Greene Hindi Summary

---------- About Book ----------

अगर आप भी कुछ फेमस लोगो की स्टोरीज़ जानना चाहते है, जैसे कि कोको चैनल, एंटोन चेखोव और मार्टिन लूथर किंग जूनियर तो ये बुक आपको ज़रूर पढनी चाहिए. इस बुक लॉज ऑफ़ ह्यूमन नैचर में हम इंसानों की कमजोरियों के बारे में बताया गया है जो हम चाह कर भी अवॉयड नहीं कर सकते. लेकिन ऊपर वाले ने हमे इस काबिल बनाया है कि हम अपनी फ्री विल पॉवर की हेल्प से राईट और रोंग के बीच चूज़ कर सकते है. ये बुक आपको ह्यूमन नैचर के बारे में सिखाती है. ये सिखाती है कि हर इन्सान अगर कोशिश करे तो अपनी कमजोरियों को दूर करके एक अच्छी और बेहतर जिंदगी जी सकता है.

ये समरी किस किसको पढनी चाहिए? 

किसी भी फील्ड के लोग, या वो लोग जो नहीं चाहते कि दुसरे लोग उनका एडवांटेज ले और जो खुद अपनी कमजोरियों को खुद पे हावी नहीं होने देना चाहते. 

ऑथर के बारे में. 

रोबर्ट ग्रीने एक इंटरनेशनल बेस्ट सेलिंग ऑथर है. उनकी कुछ फेमस बुक्स के नाम है, द 48 लॉज ऑफ़ पॉवर, द आर्ट ऑफ़ सेड्यूक्शन और मास्टरी. रोबर्ट ग्रीने की बुक्स के टॉपिक्स अक्सर ह्यूमन नैचर, सेड्यूक्शन, वॉर, सेल्फ इम्प्रूवमेंट, स्ट्रेटेजी और पॉवर पर बेस्ड होते है. उनकी लिखी किताबो में कई ऐसी स्टोरीज मिलती है जो एक्यूरेट रीसर्च पर बेस्ड होती है और हमे लेसंस देती है. उनकी हर किताब अपने रीडर्स के लिए एक ग्रेट मोटीवेशन और इन्स्पेरेशन का सोर्स है.  

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The Laws of Human Nature Robert Greene

इंट्रोडक्शन (Introduction)

द लॉज ऑफ़ ह्यूमन नैचर इंसान की ऐसी कमजोरियां है जो वो अवॉयड नहीं कर पाता है. हम लोग शोर्ट माइंडेड होते है, लालची होते है, हमे छोटी-छोटी बातो पे गुस्सा आ जाता है. हम इंसानों के अंदर फिकल माइंडेड और सेल्फ डीफिटिंग जैसी वीकनेसेस होती है. हम अगर अपनी कमजोरियों या लॉज को अच्छे से समझ जाए तो हम अपनी लाइफ काफी बैटर बना सकते है. फिर ना तो कोई हमारा फायदा उठा पायेगा और ना ही कोई अपने ट्रेप में हमे फंसा सकता है. लेकिन कई बार हमारी खुद की कमजोरी ही हमे मुसीबत में डाल देती है.

इस बुक में हम आपके साथ कुछ ऐसे ही फेमस लोगो की स्टोरीज़ शेयर करेंगे जो अपनी कमजोरियों और ह्यूमन नैचर से ऊपर उठकर सफलता की सीढियों पर चढ़े. देखा जाए तो हर इन्सान में कोई न कोई कमी होती है. क्योंकि इंसान कभी भी परफेक्ट नहीं होता. हमारे अंदर कई सारी कमियाँ होती है. लेकिन अगर हम अपनी इन कमियों को खुद पर हावी होने देंगे तो लाइफ बड़ी मुश्किल हो जायेगी. लेकीन अगर हम अपनी वीकनेसेस पर काबू पा ले तो हम खुद को एक बैटर इन्सान बनाकर एक बैटर लाइफ एन्जॉय कर सकते है. 

द लॉ ऑफ़ कावेट्सनेस (The Law of Covetousness)

गैब्रियल शनेल 11 साल की थी जब उसकी मदर की डेथ हो गयी. उसके फादर ने गैब्रियल और उसकी दो बहनों का फ्रांस के एक कोंवेंट में एडमिशन करवा दिया. और फिर कभी वापस उन्हें मिलने नहीं आये. एक दिन गैब्रियल को कॉन्वेंट में कुछ रोमांटिक नॉवेल्स मिले. शायद कोई बाहर से ये नॉवेल लेकर आया था. तब से गैब्रियल को सिंड्रेला टाइप की स्टोरीज अच्छी लगने लगी. वो इन स्टोरीज़ की प्रिंसेस के साथ खुद को कम्प्येर करती थी जो बचपन में गरीब होती है मगर बड़े होने पर किसी राजकुमार से शादी करती है और एक खुशहाल लाइफ जीती है.

18 साल की उम्र में गैब्रियल कान्वेंट छोडकर सीमट्रेस (seamstress ) की पढ़ाई करने के लिए बोर्डिंग स्कूल चली गयी. गैब्रियल पढ़ाई के साथ-साथ टाउन के अलग-अलग हिस्सों में घूमने जाती और इसी दौरान उसे थियटर का शौक भी लग गया था. थिएटर में जो एक्ट्रेस काम करती थी, गैब्रियल को उनके कलरफुल कपडे और मैक-अप बड़ा अच्छा लगता था. उसने डिसाइड कर लिया था कि वो भी एक फेमस ऐक्ट्रेस बनेगी. गैब्रियल ने एक थियटर ग्रुप ज्वाइन कर लिया और अपना स्टेज नेम रखा” कोको शनेल” (“Coco Chanel”.) थिएटर में काम करने से गैब्रियल को डांसिंग, सिंगिंग और एक्टिंग सीखने का मौका मिला.

मगर गैब्रियल को बड़ी जल्दी ही समझ आ गया था कि उसे अब तक सक्सेस नहीं मिली है जो वो डिज़र्व करती है. फिर उसे पता चला कि कई एक्ट्रेस को उनके अमीर लवर्स सपोर्ट करते है जो उनके महंगे शौक पूरे करते थे. ज्यादातर एक्ट्रेस लक्जूरियस लाइफ जीती थी. उन्हें एक्सपेंसिव जूलरी, कपडे और शूज़ का शौक था. असल में देखा जाए तो अमीरों के पैसो पे मज़े करने वाली ये खूबसूरत एक्स्ट्रेसेस किसी मिस्ट्रेस से कम नहीं थी. ये अपनी खूबसूरती का पूरा फायदा उठाते हुए किसी अमीर आदमी को अपने प्यार के जाल में फंसा के रखती थी. और कोको के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

उसका एक अमीर चाहने वाला था, एटिएन्ने बालसन (Etienne Balsan). उसने कोको को अपने मेन्शन में रहने के लिए इनवाईट किया.बालसन मेंशन में कुछ और लेडी गेस्ट भी आई हुई थी जिनकी सेक्सी,कर्वी बॉडी के आगे कोको लड़का लग रही थी. कोको चाहती तो कोई भी आदमी उसका दीवाना हो सकता था मगर वो रेस्टलेस थी. वो अपनी लाइफ में सेटिसफाई नहीं थी. एक दिन कोको मिस्टर बालसन के बेडरूम में गयी. उसने उनका वार्डरॉब चेक किया तो उसे कुछ ड्रेसेस दिखी. उसने उनके से कुछ ड्रेसेस निकाली और उन्हें ट्राई किया. उसने बटन वाली शर्ट्स, कोट्-पेंट और हैट पहन के देखे. उसे एक एन्डरोजिनस स्टाइल का आईडिया (androgynous style) एक ऐसा स्टाइल जो आधा मेल और आधे फ़ीमेल स्टाइल के कपड़ो से बना हो. 

कोको ने कोर्सेट्स और गाउन्स पहनने छोड़ दिए. मर्दों के कपड़े पहन कर उसे बड़ा फ्री और कम्फर्टबल फील होता था. बाकि दूसरो एक्ट्रेस उसके स्टाइल से जलती थी. क्योंकि कोको की बॉडी पर एन्डरोजिनस स्टाइल बड़ा सूट करता था.मिस्टर बालसन भी उसके इस नए लुक पर फ़िदा थे.   कोको शनेल समझ चुकी थी कि उसे लाइफ में क्या चाहिए. उसे वही फ्रीडम और पॉवर चाहिए थी जो सोसाइटी में मर्दों के पास है. फिर चाहे वो पॉवर उसे सेंस ऑफ़ फैंशन में ही क्यों ना मिले. कोको के डिजाईन किये हैट इतने पोपुलर हुए उसने हैट्स को फेमेनेन लुक देने के लिए उन पर फीदर्स और रिबन्स लगाये थे.

ये हैट्स बड़े स्टाइलिश और ईजी टू वियर थे. पूरे शहर में कोको के डिजाईनर हैट्स की धूम मच गयी थी. ये हैट्स थियटर इंडस्ट्री की एक्ट्रेस का नया स्टाइल क्रेज़ बन गया. और उन्हें देखके शहर की बाकि औरते भी स्टाइलिश हैट्स ट्राई करने के लिए क्यूरियस हो गयी. मिस्टर बालसन का पेरिस में एक फ़्लैट था जो उन्होंने कोको को अपना बिजनेस चलाने के लिए दे दिया. हैट्स के अलावा कोको अपने डिजाईन किये एन्डरोजिनस क्लोथ्स भी सेल करती थी. उस टाइम औरते फैशन के नाम पे सिर्फ कोर्सेट्स और गाउन्स पहनती थी. मगर कोको ने फैशन का ट्रेंड ही चेंज कर दिया था.

औरतो को उसके कपडे इसलिए भी पसंद थे क्योंकि वो उन कपड़ो को पहन कर कहीं भी जा सकती थी. शनेल ब्रांड अपने स्टाइलिश, कॉंफिडेंट और डेरिंग क्लोथवेयर के लिए फेमस था. कोको शोर्ट हेयर रखती थी और अपने क्लाइंट्स को भी छोटे बाल रखने के लिए एंकरेज करती थी. श्नैल ब्रांड के कपडे अमीर औरतो के लिए स्टेट्स सिंबल बन गए थे. सारी अमीर औरते पार्टीज़ में श्नैल की ड्रेसेस और हेयरस्टाइल का शो ऑफ करती थी. 1920 तक कोको श्नैल वर्ल्ड की बेस्ट फैशन डिज़ाइनर बन चुकी थी. फैशन इंडस्ट्री में उसे एक ऑथरिटी माना जाता था. लेकिन कोको की जर्नी अभी पूरी नहीं हुई थी.

कोको खुद का परफ्यूम ब्रांड रीलीज़ करना चाहती थी. उससे पहले किसी और फैशन ब्रांड ने परफ्यूम के बारे में नहीं सोचा था. उन दिनों मार्किट में सिर्फ फ्लोरल सेंट वाले परफ्यूम आते थे. श्नैल ने डिसाइड किया कि उसका परफ्यूम सबसे अलग होगा. एक ऐसी महक वाला परफ्यूम जो किसी भी फ्लावर से ना मिले फिर भी काफी खुशबूदार हो, जो लेडीज़ एंड जेंट्स दोनों को अट्रेक्ट करे. उसने परफ्यूम के लिए एक यूनिक नाम सोचा.

मार्किट में जो परफ्यूम आते थे वो सब किसी ना किसी फ्लावर के नाम पर थे. लेकिन कोको ने एक मिस्टीरियस नाम रखा, श्नैल नंबर 5. इसके लिए उसने काफी मॉडर्न टाइप की पैकेजिंग भी चूज़ की और दो इंटरलॉकिंग “सी” वाला लोगो क्रिएट किया. कोको ने अपना न्यू परफ्यूम एकदम अलग तरीके से लांच किया. उसने अपनी पूरी शॉप में परफ्यूम स्प्रे कर दिया. हवा में एक खुशबू फ़ैल गयी. जो भी शॉप के पास से गुजरता वो इस खुशबू से अट्रेक्ट होकर शॉप में आता और परफ्यूम खरीद कर ले जाता. कोको ने अपने अमीर कस्टमर्स को फ्री सैंपल्स भी दिए. ये परफ्यूम सबको इतना पसंद आया कि सारे पेरिस के अमीर लोगो श्नैल नंबर 5 यूज़ करने लगे. इनफैक्ट ये परफ्यूम लोगो के सर चढ़कर बोला. श्नैल नंबर 5 हिस्ट्री का बेस्ट सेलिंग परफ्यूम बन गया. 

इन्सान की फ़ितरत होती है कि वो हमेशा ही मिस्ट्री और टैबू की तरफ अट्रेक्ट होता है. और कोको श्नैल इस ह्यूमन नैचर को बखूबी समझती थी. यही वजह थी उसने अपने पास्ट को हमेशा सीक्रेट रखा. वो हर किसी को एक डिफरेंट स्टोरी बताती थी. अपने बारे में वो इतनी सीक्रेटिव थी कि किसी से भी अपना क्रिएटिव प्रोसेस शेयर नहीं करती थी और ना ही ज्यादा पब्लिक में जाती थी. कोको ने अपने चारो तरफ एक मिस्ट्री की दिवार बना रखी थी. कोको श्नैल ने अपने ब्रांड को थोडा सा रिबेलियस भी रखा था. उसने स्टीरियो टाइप को चेलेंज किया था.

सोसाईटी में औरतो को बड़े फेमिनाइन और डेलिकेट यानी छुई-मुई वाली इमेज में देखा जाता था. लेकिन कोको ने औरतो के लिए जो कपड़े डिजाईन किये वो काफी डेयरिंग टाइप के थे, ट्रेडिशनल एकदम अलग. कोको का स्टाइल बोल्ड और ब्यूटीफुल था. जैसा कि हमने पहले भी मेंशन किया है, वो औरतो को शोर्ट हेयर रखने के लिए एंकरेज करती थी. स्विम सूट्स से लेकर लिटल ब्लैक ड्रेस और अपने एन्डरोजिनस स्टाइल क्लोथिंग से कोको ने सोसाईटी के नॉर्म्स बदल कर रख दिए थे. एक्चुअल में ये एक ट्रिक है कि परफ्यूम श्नैल नंबर 5 नाम से पता नहीं चलता कि सेंट बना किस चीज़ से है जबकि रियल में ये सेंट जास्मीन और बाकि फ्लावर्स का कॉम्बीनेशन है. इस तरह कोको श्नैल ने पॉवर ऑफ़ डिजायर, मिस्ट्री और बिजनेस टैबू का यूज़ किया और अनलिमिटेड सक्सेस अचीव की.   

द लॉ ऑफ़ सेल्फ सबोटेज (The Law of Self-sabotage )

अन्टोन चेखोव् रशिया के तागंरोग टाउन में पैदा हुए. उसके फादर ग्रोसरी शॉप चलाते थे और मदर एक हाउसवाइफ थी. चेखोव के 4 भाई और 1 बहन थी. चेखोव फेमिली काफी गरीब थी. चेखोव के फादर पावेल शराब पीकर बच्चो को पीटते थे चाहे उनकी कोई गलती हो या ना हो. फिर कुछ टाइम बाद चेखोव के बड़े भाई काफी बड़े हो गए. अब उन्हें और फादर की मार नहीं खानी थी इसलिए वो मास्को चले गए. निकोलाई को आर्टिस्ट बनना था और अल्केजेंडर यूनिवरसिटी में एडमिशन लेना चाहता था.

दोनों भाई अपने शराबी फादर से दूर एक नयी लाइफ स्टार्ट करना चाहते थे. और पावेल भी अब अपने बेटो को रोक नहीं पाया. उसके ग्रोसरी स्टोर में कुछ खास कमाई नही हो रही थी. दिन ब दिन उधार बढ़ता ही जा रहा था. पावेल ना तो अपना काम ही संभाल पाया और ना ही अपनी फेमिली. एक रात, वो घर छोडकर चुपचाप चला गया. जिन लोगो से उसने उधार लिया था, वो उनसे बचने के लिए अपने दोनों बेटो की तरह घर छोड़ दिया था. फिर बाकि चेखोव् फेमिली भी घर छोड़ने पर मजबूर हो गयी. वो लोग भी मास्को चले आए. बस एंटोन ही अपनी स्टडीज कम्प्लीट करने के लिए अकेला रह गया था. उस टाइम एंटोन सिर्फ 16 साल का था. बेचारे के पास ना तो पैसे था ना ही उसकी फेमिली उसके साथ थी. एंटोन किसी तरह अपना गुज़ारा कर रहा था.

उसे सबसे ज्यादा गुस्सा अपने फादर पर आता था. कुछ टाइम तक तो वो डिप्रेशन में चला गया मगर फिर उसने सोचा, चाहे जो भी हो, वो लाइफ की हर प्रोब्लम फेस करेगा. और वो फेमिली ट्यूटर बनकर पैसे कमाने लगा. एंटोन ने सोच रखा था कि बड़े होकर उसे डॉक्टर बनना है. इसके लिए वो काफी हार्ड वर्क भी कर रहा था. वो ज्यादा से ज्यादा बच्चो को ट्यूशन देने लगा. खुद वो टाउन लाइब्रेरी में जाकर अपनी पढ़ाई करता था. लाइब्रेरी में फिक्शन पढ़ते हुए वो सपनों की दुनिया में खो जाता था. फिर धीरे-धीरे एंटोन ने खुद स्टोरीज लिखना शुरू किया. वो एक सेल्फ मेड इन्सान था और इस बात पे उसे खुद बड़ा प्राउड भी था.

उसका टाउन तागंरोग पहले जैसा ही था पर एंटोन बदल गया था. वो और ज्यादा नॉलेज हासिल करना चाहता था. इसी बीच मास्को से बड़े भाई ने लैटर भेजा कि फादर ने सबको फिर से तंग करना शुरू कर दिया है. एंटोन ने अलेक्जेंडर को वापस लिखा” फादर की टेंशन छोड़ो और खुद को इम्प्रूव करने पर ध्यान दो” उसने मिखाइल से बोला” ये कभी मत सोचो कि तुम वर्थलेस हो, तुम्हे औरो से ज्यादा अपना सेल्फ वर्थ प्रूव करना है” एंटोन ने अपने फादर को उनकी हरकतों के लिए माफ़ कर दिया था. उन्हें लगा शायद बचपन में उनके फादर की भी खूब पिटाई होती होगी.

एंटोन के फादर पावेल के अंदर जो नेगेटिविटी थी उसकी वजह ये थी कि उनके फादर ने उन्हें आर्टिस्ट नहीं बनने दिया और एक मर्चेंट बनने पर मजबूर कर दिया था. एंटोन और उसके भाई बहनों को बिटरनेस और गुस्सा विरासत में मिल रहा था. लेकिन एंटोन गुस्से और नफरत भरी लाइफ नहीं जीना चाहते थे. वो चाहते थे कि उनकी और उनके सिब्लिंग्स की लाइफ भी औरो की तरह नोर्मल और खुशहाल हो. उन्हें लाइफ में किसी से भी रहम की भीख नहीं चाहिए थी. नो सेल्फ पिटी एंड नो नेगेटिव आउटलुक. 

“वर्क एंड लव, लव एंड वर्क”  ये एंटोन की लाइफ का न्यू मोटो था. और यही चीज़ वो अपने सिब्लिंग्स और बाकि लोगो के साथ भी शेयर करना चाहता था जिससे हर कोई लाइफ में खुश रह सके. अपनों शोर्ट स्टोरीज और प्लेज़ के जरिये एंटोन ने “वर्क एंड लव” का मैसेज दिया. 1879 में एंटोन मेडीसिन की पढ़ाई करने के लिए मास्को चले गए और अपनी फेमिली के साथ रहने लगे. उनके परिवार की हालत बड़ी खराब थी. एंटोन को देख कर बड़ा दुःख हुआ. उनकी फेमिली रेड लाईट डिस्ट्रिक्ट के एक टूटे-फूटे बेसमेंट में रहती थी जहाँ ना तो कोई विंडो थी और ना कहीं से लाईट आती थी. ऊपर से फेमिली का माहौल भी खराब था. उनके फादर छोटी-मोटी जॉब्स करते थे और माँ दिन-रात घर के कामो में उलझी रहती थी.

फादर को शराब की लत के साथ बाजारू औरतो का भी चस्का था. एंटोन के छोटे भाई बहनों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था. अलेक्जेंडर और निकोलाई आर्टिस्ट और राइटर थे लेकिन उन्हें भी शराब की लत पड़ चुकी थी. एंटोन ने सोच लिया था कि वो अपनी फेमिली को चेंज करके ही रहेंगे. शुरुवात उन्होंने घर की साफ़-सफाई और बर्तन धोने से की. ये देखकर उन्हें भाइयों को शर्म आई और वो भी उनकी हेल्प करने लगे. एंटोन को जो मेडीकल स्कोलरशिप मिलती थी, उसे वो सेव करते थे. अपने छोटे भाई बहनों को दुबारा स्कूल भेजने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की. अपने फादर के लिए उन्होंने एक अच्छी जॉब ढूंढी और फेमिली के रहने के लिए एक अपार्टमेंट भी जो पहली वाली जगह से काफी बैटर था.

फाइनली एंटोन का परिवार अब पहले से बैटर सिचुएशन में था. एंटोन चेखोव ने एक बार बोला था”मेडीसिन मेरी वाइफ है और लिटरेचर मेरी मिस्ट्रेस”. उन्होंने अपने परिवार को बर्बाद होने से बचाया था. यही नहीं उन्होंने सखालिन आईलैंड के प्रिजनर्स की सिचुएशन इम्प्रूव करने के लिए काफी हेल्प की. एंटोन ने अपनी राइटिंग के थ्रू उनकी टेरीबल सिचुएशन को एक्सपोज़ किया था. इंसान के अंदर सेल्फ सबोटेज़ की टेंडेसी होती है. जब लोग किसी प्रोब्लम में फंस जाते है तो अपनी लाइफ और भी मिज़रेबल बना लेते है. मगर एंटोन चेखोव इस बात से एग्री नहीं करते थे. उनका मानना था कि इन्सान चाहे तो अपने एटीट्यूड से अपने हालात भी बदल सकता है. उनकी लाइफ का एक सिंपल और पॉवरफुल मोटो था’ “वर्क एंड लव”.

एंटोन गरीबी में पले-बढे, फिजिकल अब्यूज से गुज़रे. एक होपलेस सिचुएशन में उनका पूरा बचपन बीता था. मगर एंटोन चेखोव एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने सब कुछ फेस किया मगर अपना मोराल कभी डाउन नहीं होने दिया. और एक ब्रेव इंसान वही होता है जो मुश्किल से मुश्किल हालात में भी खुद को टूटने ना दे. एंटोन के इसी राईट एटीट्यूड ने ना सिर्फ उनकी बल्कि दूसरो की लाइफ भी बैटर बना दी थी. 

अपनी डेस्टीनी के लिए कभी अपने हालात को ब्लेम मत करो. आप के आस-पास चाहे कितने भी नेगेटिव लोग रहते हो, तुम खुद कभी नीचे मत गिरो. चॉइस आपके हाथ में है. ये आपकी लाइफ है इसे चाहे जैसा बना लो. तो एंटोन चेखोव की इस स्टोरी से हम काफी कुछ सीख सकते है और अपनी लाइफ को एक राईट डायरेक्शन दे सकते है. 

द लॉ ऑफ़ एम्लेसनेस (The Law of Aimlessness)

मार्टिन लूथर किंग जूनियर जन्म एक मिडल क्लास ब्लैक फेमिली में हुआ था. वो लोग जॉर्जिया, एटलांटा के रहने वाले थे. मार्टिन के फादर जोकि एक बड़े चर्च के पास्टर थे, चाहते थे कि उनका बेटा कॉलेज में थियोलोजी पढ़े और जब रिटायर हो तो उनकी तरह एक पास्टर बन जाये. हालाँकि मार्टिन ने अपने फादर की बात मानी और थियोलोजी भी पढ़ी मगर वो अपनी नॉलेज यही तक लिमिट नहीं रखना चाहते थे. मार्टिन लूथर ने कार्ल मार्क्स की लिखी किताबे पढ़ी और मार्क्स और गांधी जी के विचारों से काफी इंस्पायर हुए. बोस्टन यूनिवरसिटी से थियोलोजी में डॉक्टरेट करने के बाद मार्टिन कुछ और करना चाहते थे मगर उनके फादर की ज़िद के चलते उन्हें लोकल चर्च में पास्टर की जॉब करनी पड़ी.

 इस टाइम तक वो शादीशुदा थे और उनकी फेमिली लाइफ स्टार्ट हो गयी थी. वो चाहते तो नार्थ में सेटल हो सकते थे जहाँ पर रेशियल डिसक्रीमिनेशन या सोशल कनफ्लिक्ट ज्यादा नहीं था पर मार्टिन जूनियर स्ट्रोंगली फील करते थे कि उन्हें साऊथ में रहकर लोगो की सेवा करनी चाहिए. इसलिए वो एक बड़े चर्च में पास्टर बन गए थे ताकि ज्यादा से ज्यादा से लोगो की हेल्प कर सके. मार्टिन लूथर के फादर ने उनके लिए एक सिंपल लाइफ का ड्रीम देखा था लेकिन मार्टिन ने एक मुश्किल काम का बीड़ा उठाया था. लोगो की हेल्प करने, उनके काम आना, इसी में मार्टिन को रियल सेटिसफेक्शन मिलता था. वो अलबामा, मोंटगोमेरी के बैप्टिस्ट चर्च में प्रीचिंग करने लगे.

अपने हर सेर्मोन से पहले मार्टिन काफी स्टडी करते थे ताकि वो जो भी बोले, सुनने वालो को इंस्पायर कर सके. वो कभी आफ्टरलाइफ जैसी चीजों की बात नहीं करते थे. बल्कि वो लोगो को ऐसे आईडियाज बताते थे जो लोग अपनी डेली लाइफ में अप्लाई कर सके, जैसे फोरगिवनेस, और अपने दुश्मनों से भी प्यार करना. मोंटगोमेरी में रेशियल डिसक्रीमिनेशन जोरो पर था , व्हाईट और ब्लैक लोग आपस में लड़ रहे थे. हर जगह से वायोलेंस की खबरे आती थी. स्ट्रीट्स में और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में व्हाईट लोगो की सीट रीज़र्व रहती थी जिन पर ब्लैक लोग बैठने की हिम्मत नहीं करते थे. जो करता, सीधा जेल भेज दिया जाता.

मार्टिन लूथर किंग नेशनल एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ द कलर्ड पीपल के एक एक्टिव मेंबर बन गए. उन्हें इस ग्रुप का प्रेजिडेंट बनने का ऑफर मिला पर उन्होंने मना कर दिया. वो चर्च के थ्रू ही लोगो को सर्व करने में बिलीव करते थे. हालाँकि प्रेजिडेंट पोस्ट का ऑफर रिजेक्ट करने के बावजूद वो एनएएसीपी से जुड़े रहे. उन्हें लोग डॉक्टर किंग के नाम से जानते थे. 1955 में मोंट्गोमेरी में कुछ ऐसा इंसिडेंट हुआ जिससे एक काफी बड़ा प्रोटेस्ट मूवमेंट स्टार्ट हो गया. एक ओल्ड ब्लैक लेडी रोज़ा पार्क्स पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बस में व्हाईट लोगो की सीट पे बैठ गयी थी. उसे उठने के लिए बोला गया तो उसने साफ़ मना कर दिया था. और फिर उसे अरेस्ट कर लिया गया. रोज़ा पार्क्स एनएएसीपी की एक्टिव मेंबर थी.

उसके अरेस्ट होने की न्यूज़ तेज़ी से फ़ैल गयी. पूरी ब्लैक कम्युनिटी ने एक साथ मिलकर मोंट्गोमेरी की पब्लिक बसों का बायकाट कर दिया था. एक दिन की स्ट्राइक एक हफ्ते तक चली और फिर कई हफ्तों तक चलती रही. ब्लैक लोग अपने काम पे या तो पैदल जाते थे या कार पूलिंग करके. अब ब्लैक कम्युनिटी ने डिसाइड किया कि वो लोग और ज्यादा बड़ा और स्ट्रोंग ओर्गेनाइजेशन बनायेंगे जिसका नाम होगा मोंट्गोमेरी इम्प्रूवमेंट एसोसिएशन. एक बार फिर डॉक्टर किंग को लीड करने के लिय बुलाया गया. और इस बार मार्टिन लूथर मान गए. उन्हें लगा कि लोगो को वाकई में उनकी ज़रूरत है इसलिए उन्हें लोगो की हेल्प करनी चाहिए. यहाँ पर डॉक्टर किंग ने कई इंस्पाइरिंग स्पीचेस दी.

उन्होंने नॉन वायोलेंस और पैसिव रेजिस्टेंस पर ज्यादा जोर दिया. गाँधी जी का उन पर बड़ा इन्फ्लुएंश था इसलिए वो गांधी की तरह अहिंसा के सपोर्टर थे. उन्होंने बलैक लोगो को डिसक्रीमिनेशन का प्रोटेस्ट पीसफुल तरीके करने के लिए बोला ताकि एंड में उनकी जीत हो. लोग अगर चाहे तो बायकाट और प्रोटेस्ट करते रहे मगर कोई वायोलेंस ना करे. डॉक्टर किंग ब्लैक लोगो की इस लड़ाई में तब तक उनके साथ खड़े रहे जब तक कि मोंटगोमेरी में सेग्रेशन को कम्प्लीटली रीमूव नहीं कर लिया गया. लेकिन मार्टिन लूथर किंग के लिए ये बड़ा रिस्क था, उन्हें व्हाईट लोगो से डेथ थ्रेट मिल रही थी. पोलिस ने उन्हें ओवर स्पीडिंग के लिए अरेस्ट कर लिया क्योंकि वो उनका प्रोटेस्ट मूवमेंट रोकना चाहते थे. कोर्ट ट्रायल से पहले, डॉक्टर किंग को एक कॉल आई. कोई आदमी फोन पे बोल रहा था” निग्गर, अगर तुम 3 दिन के अंदर टाउन छोडकर नहीं गए तो हम तुम्हारे घर के साथ-साथ तुम्हारी खोपड़ी भी उड़ा देंगे”. मार्टिन को अपनी वाइफ और अपनी न्यू बोर्न बेटी की फ़िक्र होने लगी. उन्हें लगा जैसे उनके कंधो पे एक बर्डन आ गया है. वो गॉड से प्रे करने लगे. वो बोले” गॉड, मै वीक फील कर रहा हूँ. मेरी हिम्मत खो चुकी है. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूँ”. 

मार्टिन ऊपरवाले के ध्यान में डूबे हुए थे कि तभी उन्हें लगा जैसे कोई उस गहरे सन्नाटे और कंसन्ट्रेशन के बीच उनसे कह रहा हो” मार्टिन लूथर किंग ! जो सही उसका साथ दो. सच्चाई और इंसाफ के लिए लड़ो”. 

और कुछ दिनों बाद ही उनके घर को किसी ने बोम्ब से उड़ा दिया था. ये ऊपर वाले का चमत्कार ही कहा जाएगा कि उनकी वाइफ और बेटी इस हादसे में बाल-बाल बच गयी थी. गुस्साए हुए ब्लैक लोग उनके घर आए. लोगो को उनसे पूरी हमदर्दी थी. वो अब व्हाईट लोगो पर अटैक करने की तैयारी करने लगे मगर डॉक्टर किंग बोले” हमे अपने दुश्मनों से नफरत नहीं बल्कि उनसे प्यार करना चाहिए. हम उनके साथ अच्छा बिहेव करेंगे और उन्हें शो कराएँगे कि हम उन्हें अपना दुश्मन नहीं समझते”. 

इस के कुछ मंथ्स बाद सुप्रीम कोर्ट से जजमेंट आया. नया रुल निकला कि मोंटगोमेरी की बसों में अब व्हाइट्स के लिए रीज़र्व सीट्स नहीं होंगी. अब ब्लैक लोग बिना डरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज़ कर सकते थे. मार्टिन लूथर किंग पहले ऐसे ब्लैक थे जो किसी भी सीट में बैठने के लिए फ्री थे. ब्लैक लोगो के लिए ये एक हिस्टोरिक डे था. 

ह्यूमंस में एक और टेन्डेसी होती है, एमलेसनेस की. एक टाइम था जब मार्टिन लूथर किंग खुद नहीं जानते थे कि उनकी लाइफ का पर्पज़ क्या है. उनके फादर ने उन पर जो प्रेशर डाला था, वो उन्हें उपर उठने नही दे रहा था. वो अपना रास्ता खुद सेलेक्ट करना चाहते थे लेकिन एक बेटे के तौर पर वो अपनी ड्यूटी निभाने को मजबूर थे. फिर कुछ ऐसी बाते हुई जिससे डॉक्टर किंग को एक मीनिंगफुल पाथ मिला. उन्हें अपना एम मिल चूका था. लोगो को राईट पाथ दिखाना और ह्यूमेनिटी की सेवा करना ही डॉक्टर किंग को सेटिसफेक्शन देता था.

शुरुवात में बाकियों की तरह उन्हें भी डर लगा और हेज़ीटेशन हुई पर फाइनली उन्हें हिम्मत मिली कि वो अपने अंदर की आवाज़ सुने. उन्हें डेथ थ्रेट मिली फिर भी डॉक्टर किंग अपना फ़र्ज़ निभाते रहे. मार्टिन लूथ किंग को हिस्ट्री हेमशा याद रखेगी क्योंकि उनके हार्ड वर्क और एफर्ट्स से ही ब्लैक लोगो पर हो रहे डिसक्रीमिनेशन का एंड हुआ जोकि ह्यूमेनिटी पर एक ब्लैक स्पॉट की तरह था. एक हायर पर्पज़ के साथ मार्टिन लूथर किंग लाखो लोगो की लाइफ में एक पोजिटिव चेंज लेकर आये जिसे लोग हमेशा याद रखेंगे.  

 द लॉ ऑफ़ फिकलनेस (The Law of Fickleness)

क्वीन एलिज़बेथ I सिर्फ 25 की उम्र में इंग्लैण्ड की रानी बन गयी थी. ये 1559 की बात है. तब ये ट्रेडिशन था कि जो भी न्यू किंग या क्वीन बनेगा पूरे लंदन में उसका प्रोसेशन होगा. क्वीन जब रानी बनी उस टाइम इंग्लैण्ड क्राइसिस से गुजर रहा था. गवर्नमेंट के ऊपर काफी उधारी थी. सोसाइटी में चोर और भिखारियों की भरमार थी. और क्वीन के सामने सबसे बड़ा चेलेंज था, प्रोटेस्टेंट्स और कैथोलिक क्रिश्चियंस के बीच की लड़ाई. क्वीन के फादर, हेनरी VIII, ने प्रोटेस्टेंट को कंट्री का ऑफिशियल लेंगुएज डिक्लेयर कर दिया था.

उसके बाद उनकी बड़ी बेटी क्वीन मैरी की लीडरशिप चली. और उसने डिक्लेयर कर दिया कि इंग्लैण्ड में सिर्फ कैथोलिक रिलिजन रहेगा. और इस तरह कंट्री में एक ब्लडी सिविल वार शुरू हो गया. यही वजह थी जो क्वीन मैरी को ‘ब्लडी मैरी” भी बोला जाता है. क्वीन एलिज़बेथ के रानी बनने पर लोग ज्यादा खुश नहीं थे क्योंकि उन्हें लीडरशिप का कोई एक्स्पिरियेंश नहीं था. कोई नहीं जानता था कि वो इंग्लैण्ड में क्या चेंजेस लेकर आएगी. उनका रियेल नेम था एलिजाबेथ ट्यूडोर. (Elizabeth Tudor.) वो हेनरी VIII और एन्ने बोलिन (Henry VIII and Anne Boleyn) की बेटी थी. एन्ने बोलीन हेनरी की सेकंड वाइफ थी जिसका उसने सर कटवा दिया था. एलिज़बेथ तब सिर्फ 3 साल की थी. इंग्लैण्ड के लोग उनके बारे में, उनकी पर्सनेलिटी के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे. 

क्वीन के रानी बनने पर एक ग्रैंड प्रोसेशन हुआ. पूरे लन्दन को सजाया गया था. म्यूजिशियंस और जेस्टेर्स लोगो का एंटरटेन करने के लिए बुलाये गए थे. क्वीन एलिज़ाबेथ ने एक एलीगेंट गोल्डन कलर का रॉब पहना था जिसमे काफी प्रिसिय्स जेम्स जड़े हुए थे. लोग ये देखकर हैरान रह गए कि उनकी नयी रानी लोगो से घुल-मिल रही थी. वो बड़े सिम्पल और प्यार भरे लहजे में बात कर रही थी. एक ओल्ड लेडी ने उन्हें रोजमैरी की टहनी दी. पूरे प्रोसेशन के दौरान क्वीन एलिज़ाबेथ वो टहनी अपने हाथो में पकड़े रही. वो पब्लिक की तरफ देख के स्माइल कर रही थी, उनकी आँखों में देख रही थी.

उनकी बाते सुन रही थी. उसी दिन से क्वीन ने अपने लोगो का दिल जीत लिया था. बाकि रोयल मेंबर आम जनता से डिस्टेंस मेंटेन करते थे मगर क्वीन ऐसी नहीं थी. उनके चीफ एडवाईजर, विलियम सेसिल, का एक सीक्रेट प्लाट था कि वो रानी को हटाकर टेक ओवर कर लेंगे. क्योंकि सेसिल को लगता था कि एक औरत कभी भी एक ट्रू लीडर नहीं बन सकती. ब्लडी मैरी की गलती से इंग्लैण्ड की जो बर्बादी हुई थी उसे अब तक वो भूले नहीं थे. सेसिल और बाकि एडवाईजर्स ने प्लानिंग की कि वो लोग कभी भी क्वीन को इंडिपेंडटली डिसीजन नहीं लेने देंगे जब तक कि उनकी शादी ना हो जाये.

फिर जो नया राजा होगा वही ट्रू अथॉरिटी होगा. हेनरी VIII खुद अपने एडवाईजर्स के भरोसे रहते थे. इंग्लैण्ड में उनके एडवाईजर्स का राज चलता था जबकि हेनरी जानवरों के शिकार और खूबसूरत औरतो के साथ बिज़ी रहते थे. पर क्वीन एलिज़बेथ अपने फादर और सिस्टर से एकदम डिफरेंट थी. स्टेट के हर मामले में रानी का पूरा इन्वोल्व्मेंट था. वो आधी रात के बाद तक काम करती थी. रानी का ये डेली रूटीन था. सेसिल ने कभी उम्मीद भी नहीं की थी कि क्वीन एलिजाबेथ एक डेडीकेट लीडर निकलेगी. फॉरेन अफेयर्स हैंडल करने के लिए क्वीन एलिजाबेथ की एक इंट्रेस्टिंग स्ट्रेटेजी थी.

स्पेन ने जब योरोप में वार स्टार्ट करनी चाही तो क्वीन ने फ्रांस के लीडर से शादी का इंटेंशन दिखाया. रीजल्ट ये हुआ कि स्पेन इस इंग्लिश-फ्रेंच अलायन्स से डर के पीछे हट गया. अगर फ़्रांस और स्पेन कभी ट्रबल करते तो क्वीन ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक को फेवर करके इंग्लिश –ऑस्ट्रियन अलायन्स का हिंट दे देती थी. और जब रानी अपने मकसद में कायमाब हो जाती तो उसके इंटेंशन ठंडे पड़ जाते. एक ऐसा टाइम भी आया जब पार्लियामेंट ने थ्रेट दिया कि अगर रानी ने जल्दी शादी नहीं की तो वो मोनार्ची यानी रॉयल फंडिंग को बंद कर देंगे.

क्वीन एलिज़ाबेथ तब किसी किंग, प्रिंस या आर्कड्यूक में इंटरेस्ट शो करने लगती ताकि लोगो को लगे कि वो वाकई में शादी करने जा रही है. फंडिंग मिलते ही वो कोई बहाना बनाकर अपना मैरिज प्रोपोजल वापस ले लेती. क्वीन एलिजाबेथ ने शादी से बचने के लिए कई सालो तक ये ट्रिक आजमाई. सच तो ये था कि वो इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती थी. क्वीन एलिजाबेथ ने प्रूव कर दिया था कि वो अपने दम पर इंग्लैण्ड का राज चला सकती है. रानी को ना तो कोई एडवाईजर्स और ना ही उनके सूटर्स कभी चेलेंज कर पाए.

इंसानों में एक और टेंडेसी होती है, फिकलनेस की. यानी हम लोग अक्सर बड़े गैरजिम्मेदार एक्शन ले लेते है. अक्सर पोलिटिकल लीडर्स समझते है कि उनके पास पॉवर और पोजीशन है तो वो जो चाहे कर सकते है. और बदले में लोग बिना कोई सवाल किये उनके हर फैसले, हर डिसीजन को फोलो करे. लेकिन ऐसा नहीं है. क्वीन एलिजाबेथ ये बात बखूबी समझती थी. उन्होंने हमेशा अपनी रिसपोंसेबिलिटी को बड़े सिरियसली लिया है. उन्होने अपनी वर्थनेस प्रूव करके दिखाई है. वो सही मायनों में लोगो की क्वीन है. क्वीन वही करती है जो वो बोलती है और इसी वजह से उनके लोग उनकी रिस्पेक्ट करते है. रानी ने अपने सबओर्डीनेट्स के लिए भी एक्जाम्पल सेट किये है. लोग डर या मैनीपुलेशन से उन्हें रिस्पेक्ट नहीं देते बल्कि उनके अच्छे केरेक्टर और एक ट्रू लीडर होने की वजह से देते है.  

कनक्ल्यूजन (Conclusion)

आपने कोको चैनल और लॉ ऑफ़ कावेटसनेस के बारे में पढ़ा. दरअसल हम इंसानों की आदत होती है कि हम लोग मिस्ट्री की तरफ ज्यादा अट्रेक्ट होते है. अगर आप अपने बिजनेस में थोडा सा मिस्ट्री का तड़का लगा दे तो आप के प्रोडक्ट्स और ज्यादा बिकने लगेंगे. इस बुक समरी में आपने एंटोन चेखोव के द लॉ ऑफ़ सेल्फ सबोटेज़ के बारे में भी पढ़ा. जो इंसान अपनी लाइफ में पोजिटिव एटीट्यूड अडॉप्ट करता है वो काफी हद तक अपनी सिचुएशंस चेंज कर सकता है. आपने यहाँ मार्टिन लूथर किंग जूनियर के बारे में भी पढ़ा और लॉ ऑफ़ एमलेसनेस भी.

जिसके पास लाइफ में कोई हायर पर्पज़ होता है तो वो इन्सान कभी फेल नहीं हो सकता. आपने क्वीन एलिज्बैथ I की स्टोरी भी पढ़ी और लॉ ऑफ़ फिकलनेस के बारे में जाना. अगर ग्रेट लीडर बनना है तो आपको पहले खुद एक्जाम्पल सेट करना होगा और वही चूज़ करना होगा जो राईट है. इंसान के अंदर कमजोरियां पहले भी थी और हमेशा रहेंगी. मगर हमारे पास फ्री विल की पॉवर भी है. इसलिए हम चाहे तो अपनी लाइफ में ढेर सारी खुशियाँ ला सकते है, एक पीसफुल और मीनिंगफुल लाइफ जी सकते है. ये आप के उपर है कि आप क्या चूज़ करोगे. इस बुक में हमने जिन फेमस लोगो के बारे में आपको बताया आप भी उनकी तरह ह्यूमन नैचर की वीकनेसेस से ऊपर उठकर एक स्ट्रोंग माइंडेड इंसान बन सकते हो. 

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The Laws of Human Nature By Robert Greene

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